आदिवासी बाहुल्य गांव कारीडोंगरी में पहली बार पहुंची रौशनी
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
गरियाबंद : इस बार चैत्र नवरात्रि आदिवासी बाहुल्य ग्राम कारीडोंगरी के ग्रामीणों के लिए यादगार रहा। यहां गांव में पहली बार बिजली पहुंची है। लालटेन की टिमटिमाती रोशनी के बजाय अब घर बिजली के बल्ब से दुधिया रोशनी से जगमगा उठा है। गरियाबंद जिले के तहसील मुख्यालय मैनपुर से लगभग 25 किमी दूर ग्राम पंचायत मरदाकला के आश्रित ग्राम कारीडोंगरी मे पहली बार बिजली की रौशनी पहुंची तो नवरात्रि के प्रथम दिन ग्रामीणों ने पूजा अर्चना कर गांव में बिजली आने की खुशिया मनाई।
ग्राम पंचायत मरदाकला के आश्रित ग्राम कारीडोंगरी की जनसंख्या महज 250 है। यह गांव बीहड़ जंगल के भीतर बसा हुआ है। आज भी इस गांव मे पहुंचने के लिए जंगली रास्तों से होकर जाना पड़ता है। इस गांव के ग्रामीणो द्वारा छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के बाद गांव मे बिजली लगाने की लगातार मांग की जा रही थी। इस दिशा में कोशिशों के बावजूद भी गांव में बिजली नहीं पहुचं पाई थी। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के संज्ञान में आते ही इस दिशा में ठोस कार्य योजना बनाने के निर्देश जिला प्रशासन को दिये गये। स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने भी इस दिशा में पहल करते हुए बिजली की समस्याओं को शासन-प्रशासन तक पहुंचाने में मदद की। तत्पश्चात इस दिशा में त्वरित कार्यवाही की गई। फलस्वरूप 6 माह पहले प्रारंभ किये गये विद्युत स्थापना के कार्य में गति आई और इस वर्ष गांव में बिजली पहुंच गई। गांव की गलियों में बिजली के पोल लगने एवं घरों में कनेक्शन होने के कारण गांव में खुशनुमा माहौल है। गांव के यशवंत यादव, हुमन नागेश, नूतन मरकाम, नेपाल सोरी, बलिराम नेताम ने बताया कि छत्तीसगढ़ के संवेदनशील सरकार ने महज छः माह के भीतर इस दुर्गम जंगल के अंदर बसे गांव मे बिजली पहुंचाई है, यह ऐतिहासिक उपलब्धि है। गांव में अब बिजली पहुंच जाने से गांव मे ट्यूबवेल की सुविधा भी मिलने लगेगी। साथ ही स्कूली बच्चे आसानी से रात मे पढ़ाई कर सकेंगे। पूरे गांववासियों ने छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल एवं शासन-प्रशासन के प्रति आभार व्यक्त किया है। इसके अलावा प्रशासन द्वारा जिला मुख्यालय से दूरस्थ अंचल देवभोग एवं अमलीपदर क्षेत्र के नागरिकों को गुणवत्तापूर्ण विद्युत सुविधा प्रदान करने हेतु 132/33 के.व्ही उपकेन्द्र इंदागांव का निर्माण कार्य तेजी से जारी है। इससे क्षेत्र के 210 ग्रामों को सीधा लाभ मिलेगा एवं लो-वोल्टेज की समस्या से निजात मिलेगी। उपकेन्द्र स्थापना हेतु टॉवर लगाने का कार्य प्रगति पर है।