गांव की महिलाओं ने केले के रेशे से बनाया इको-फ्रेंडली पैड, दो साल तक रहेगा नया और किफायती

बुरहानपुर.
अकसर गांव की महिलाओं की जब बात होती है तो लोग सुनते हैं और कहते हैं खेत में काम करने के लिए जाती होगी या कहीं पर मजदूरी करती होगी या ग्रहणी होगी. लेकिन मध्य प्रदेश के बुरहानपुर जिले के छोटी खकनार की 20 से अधिक महिलाएं इतनी टैलेंटेड है कि वह पढ़ी-लिखी नहीं है लेकिन उन्होंने ऐसा प्रशिक्षण प्राप्त कर लिया है कि अब वह केले के रेशे से सेनेटरी पैड बना रही हैं. इस पैड की खासियत है कि यह 2 साल तक खराब नहीं होता है. एक पैड की कीमत ₹300 है.
महिलाएं पीरियड्स के समय इसको इस्तेमाल करती हैं. नारी शक्ति समूह की सुनीता राम प्रसाद मार्को ने जानकारी देते हुए बताया कि हम महिलाएं पहले गृहणी थी कोई काम नहीं था लेकिन जब हमने यह प्रशिक्षण प्राप्त किया अब 3 सालों से हम यह सेनेटरी पैड बनाने का काम कर रहे हैं. हमारे यहां के सेनेटरी पैड कई महानगरों में जाते हैं हमको आर्डर मिलते हैं रोजाना एक महिलाएं 35 तैयार कर लेती है 20 महिला यह काम कर रही है जिससे हमको रोजगार मिल रहा है.
महिला ने दी जानकारी
जब गांव की सुनीता रामप्रसाद मार्को से बात की तो उन्होंने बताया कि पहले हम गांव की महिलाएं गृहणी थी कोई काम नहीं था केवल खेत में जाने का ही काम रहता था. लेकिन जब हमको स्वयं सहायता समूह के माध्यम से इस तरह के प्रशिक्षण के बारे में जानकारी लगी तो हमने भी यह प्रशिक्षण प्राप्त किया. अब हम तीन वर्षों से केले के रेशे के सेनेटरी पैड तैयार कर रहे हैं. यह पैड बनाना हमने केरल की महिलाओं से सीखा है. केरल में यह बहुत बड़ी मात्रा में बनाए जाते हैं अब हम बुरहानपुर में भी बना रहे हैं. एक महिला प्रतिदिन 35 पैड सील लेती है हम एक पैड ₹300 में बेचते हैं. इसे महिलाएं 2 साल तक इस्तेमाल कर सकती है.
एक्सपर्ट ने दी जानकारी
जब एक्सपर्ट संत मती सलखों से बात की तो उन्होंने बताया कि यह सेनेटरी पैड सरकार की मान्यता और मापदंड के आधार पर सही है. इसको महिलाएं 2 साल तक इस्तेमाल कर सकती है यह वॉशेबल होता है. एक पैड की कीमत ₹300 है इसको महिलाएं दो साल तक इस्तेमाल कर सकती हैं. इससे कोई साइड इफेक्ट नहीं होते हैं यह पूरी तरीके से स्वास्थ्य विभाग के गाइडलाइन के अनुसार ही बनाया जा रहा है. इसमें केले का रेशा और कपड़े का इस्तेमाल होता है.



