वन विभाग की छवि चमकाने में राकेश चतुर्वेदी का है अहम रोल

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
रायपुर : छत्तीसगढ़ वन सम्पदा के मामले में एक समृद्ध राज्य है। वनों के संरक्षण तथा संवर्धन और विकास में विभाग और इसके अमले का महत्वपूर्ण योगदान होता है। राकेश चतुर्वेदी द्वारा वन विभाग का दायित्व संभालने के बाद वन विभाग में काफी सकारात्मक बदलाव हुए हैं। माटी पुत्र राकेश चतुर्वेदी 1985 बैच के आईएफएस अधिकारी हैं। राकेश चतुर्वेदी वन विभाग के तेरहवें पीसीसीएफ यानी प्रधान मुख्य वन संरक्षक हैं। राज्य संपदा की दृष्टिकोण से वन विभाग जैसे महत्वपूर्ण क्षेत्र में पहली बार एक छत्तीसगढ़िया को कमान सौंपने का निर्णय छत्तीसगढ़ की सरकार ने किया था।
छत्तीसगढ़ राज्य गठन के समय से लेकर अब तक 12 पीसीसीएफ वन विभाग की जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य के आरसी शर्मा पहले प्रधान मुख्य वन संरक्षक बनाए गए थे। उनके बाद एसपी जेना, आरएन मिश्रा, आरके शर्मा, धरेन्द्र शर्मा, एके सिंह, रामप्रकाश, बीएल शरण, एए बोवाज, आरके टम्टा, आरके सिंह और मुदित कुमार पीसीसीएफ रह चुके हैं।
यह पहला मौका था जब किसी माटी पुत्र को वन विभाग का मुखिया बनाया गया था। राकेश चतुर्वेदी रायपुर में पले-बढ़े हैं। राकेश चतुर्वेदी ने एनआईटी रायपुर में सिविल इंजीनियरिंग के स्टूडेंट रह चुके चतुर्वेदी कॉलेज के दिनों में ही आईएफएस अधिकारी के रूप में चयनित हो चुके थे। राकेश चतुर्वेदी की अधिकांश पोस्टिंग छत्तीसगढ़ में ही रही। वे लंबे समय तक कल्चर टूरिज्म, प्रधानमंत्री सड़क योजना जैसे विभाग संभाल चुके हैं।
राकेश चतुर्वेदी की पहचान एक रचनात्मक कार्यशैली वाले अफसर के रूप में रही है। यही वजह है कि वे जिस विभाग में रहे, उन्होंने अपनी जगह बना ली। पीएमजीएसवाय से जुब पुरानी सरकार छोड़ नहीं रही थी तो आग्रह करके वे वन विभाग में लौटे थे।
वन विभाग में उन्होंने कई नवाचारों को जन्म दिया है।
यह राकेश चतुर्वेदी की ही देन है कि छत्तीसगढ़ में अपनी कार्य कुशलता और शासन की योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन के फलस्वरूप वर्तमान में वन विभाग की छवि को एक बेहतर स्वरूप मिला है। वन विभाग में राकेश चतुर्वेदी के कार्यकाल के दौरान सिर्फ वनों के संरक्षण तथा संवर्धन को ही बढ़ावा नहीं मिला है, बल्कि यहां वनवासियों की उन्नति की दिशा में भी निरंतर कार्य हो रहे है। यही वजह है कि विगत वर्षों से छत्तीसगढ़ लघु वनोपजों के संग्रहण तथा प्रसंस्करण आदि कार्यों में देश में लगातार अव्वल बना हुआ है। इसके फलस्वरूप छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर 11 पुरस्कारों से सम्मानित भी किया गया है।