बांग्लादेश में अशांति और अल्पसंख्यकों पर हमलों के बीच छवि सुधार की कोशिश में यूनुस

नई दिल्ली 
बांग्लादेश में जिस तरह के हालात बने हुए हैं और जो हिंसक घटनाएं सामने आ रही हैं, उनसे यूनुस की अंतरिम सरकार की छवि धूमिल हुई है। यूनुस की सरकार में कानून व्यवस्था को लेकर सीधा सवाल उठ रहा है। इस बीच बिगड़ी छवि सुधारने के लिए अपने प्रयास में यूनुस के विशेष सहायक खुदा बख्श चौधरी ने इस्तीफा दिया, जिसे स्वीकार कर लिया गया है। एक हालिया मामले में बांग्लादेश के अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय का एक और युवक भीड़ के हत्थे चढ़ गया। बुधवार को हिंदू युवक अमृत मंडोल की हत्या का मामला सामने आया है। पुलिस के अनुसार, राजबाड़ी जिले में अमृत मंडल, जिसे सम्राट के नाम से भी जाना जाता है, पैसा वसूली करने वाला था। अमृत पर कथित तौर पर भीड़ ने तब हमला किया, जब वह वसूली के पैसे मांगने पहुंचा था। पुलिस ने कहा कि इस बात के कोई साफ संकेत नहीं थे कि उसे उसके धर्म की वजह से टारगेट किया गया था या नहीं। वहीं, भारत और अपदस्थ प्रधानमंत्री शेख हसीना के साथ उसके कथित कनेक्शन को लेकर भी चर्चाएं चल रही हैं। चौधरी के इस्तीफा देने के तुरंत बाद उसे मंजूर कर लिया गया। इससे एक बात तो साफ हो गई है कि सरकार का इरादा कानून-व्यवस्था बनाए रखने से जुड़े लोगों को दोषी ठहराना है। इस कदम ने यूनुस सरकार को एक हफ्ते के अंदर दो हिंदू युवकों की हत्या की वजह से हो रही आलोचना से थोड़ी सी राहत जरूर दे दी है।
यह हत्या उस्मान हादी की मौत के बाद फैली अशांति के बीच हुई। हादी पिछले साल अगस्त में पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना के खिलाफ आंदोलन का नेतृत्व करने वालों में से एक था। वह स्टूडेंट से नेता बना था, और बदमाशों ने उनकी गोली मारकर हत्या कर दी। 27 साल के हिंदू कपड़ा मजदूर दीपू को ईशनिंदा के आरोप में भालुका में भीड़ ने मार डाला। उसे बुरी तरह पीटा गया। प्रशासन ने हत्या की निंदा की और कई संदिग्धों को गिरफ्तार किया, लेकिन इस घटना ने अल्पसंख्यकों की कमजोरी और राजनीतिक अशांति के समय में बिना रोक-टोक के अफवाहों से होने वाली हिंसा के खतरों को दिखाया।
वहीं दूसरी ओर सम्राट पर हत्या समेत कई अपराध के मामले चल रहे थे। स्थानीय रिपोर्ट्स में गांववालों के हवाले से कहा गया कि वह एक गैंग का हिस्सा था और अगस्त 2024 के विद्रोह के बाद हसीना के सत्ता से हटने के बाद भारत में कहीं छिपा हुआ था।
हालांकि, यह साफ नहीं था कि उसने वापस लौटने और मौजूदा हालात में फिर से अपराध करने का फैसला क्यों किया? खुदा बख्श चौधरी पहले पुलिस इंस्पेक्टर जनरल (आईजीपी) थे। हालांकि, उन्हें पिछले साल 10 नवंबर को मुख्य सलाहकार मुहम्मद यूनुस का विशेष सहायक बनाया गया था।
द डेली स्टार ने बिना नाम बताए सीनियर अधिकारियों के हवाले से कहा कि उन्हें पिछले साल के बड़े विद्रोह के बाद इस उम्मीद के साथ नियुक्त किया गया था कि वह कानून लागू करने वाली एजेंसियों, खासकर पुलिस में अनुशासन बहाल करने और हौसला बढ़ाने में अहम भूमिका निभाएंगे।
उन्होंने दावा किया कि उम्मीद के मुताबिक काम न कर पाने और क्राइसिस मैनेजमेंट में कमियों के कारण उन्हें इस्तीफा देना पड़ा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *