2000 करोड़ के एक और घोटाले में FIR, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन पर नई मुसीबत

नई दिल्ली
भ्रष्टाचार के मामलों की जांच करने वाली एंटी क्रप्शन ब्रांच (एसीबी) ने दिल्ली में मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज किया है। ये मामला स्कूलों में क्लासरूम बनाने में हुए घोटाले से जुड़ा है। आरोप है कि क्लासरूम बनाने में लगभग 2,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ है। उस समय मनीष सिसोदिया दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री थे। सत्येंद्र जैन लोक निर्माण मंत्री (PWD) थे। पब्लिक वर्क्स डिपार्टमेंट सरकारी इमारतों और सड़कों का काम देखता है।

ACB का कहना है कि सिसोदिया और जैन ने क्लासरूम बनाने के काम में गड़बड़ी की है। ACB ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-A के तहत मामला दर्ज किया है। इस धारा के तहत, सरकार से अनुमति मिलने के बाद ही किसी सरकारी कर्मचारी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया जा सकता है।

आरोप है कि दिल्ली सरकार के प्रोजेक्ट में 12,000 से ज्यादा क्लासरूम बनाने थे। इसमें सिसोदिया और जैन ने गलत तरीके से ठेके दिए। ACB का कहना है कि क्लासरूम बनाने के लिए बहुत ज्यादा पैसे दिए गए। एक क्लासरूम बनाने में 24.86 लाख रुपये खर्च किए गए। ACB के अनुसार, आमतौर पर दिल्ली में एक क्लासरूम 5 लाख रुपये में बन जाता है। मतलब लगभग पांच गुना ज्यादा पैसे दिए गए।

रिपोर्ट के अनुसार, आरोप है कि ये ठेके AAP से जुड़े ठेकेदारों को दिए गए। बीजेपी नेताओं ने इस मामले में शिकायत दर्ज कराई थी। बीजेपी दिल्ली के प्रवक्ता हरीश खुराना, बीजेपी नेता कपिल मिश्रा और नीलकांत बख्शी ने शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि लगभग 12,748 स्कूल क्लासरूम बनाने में 2,892 करोड़ रुपये खर्च हुए।

शिकायत में कहा गया है कि एक क्लासरूम बनाने का ठेका लगभग 24.86 लाख रुपये में दिया गया। जबकि दिल्ली में ऐसे कमरे लगभग 5 लाख रुपये में बन सकते हैं। बीजेपी नेताओं का आरोप है कि AAP सरकार ने क्लासरूम बनाने में बहुत ज्यादा पैसे खर्च किए और भ्रष्टाचार किया। अब ACB इस मामले की जांच कर रही है। देखना होगा कि जांच में क्या निकलता है।

क्या है पूरा मामला?

दिल्ली सरकार में पूर्व उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और पूर्व मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों में एंटी करप्शन ब्रांच (ACB) ने केस दर्ज किया है। आरोप है कि आम आदमी पार्टी की सरकार के दौरान करीब 12,748 स्कूल कक्षाओं के निर्माण में लगभग 2,000 करोड़ रुपये का घोटाला हुआ। शिकायतकर्ताओं में बीजेपी नेता हरीश खुराना, विधायक कपिल मिश्रा और नीलकंठ बख्शी शामिल हैं। इनका कहना है कि जिन कक्षाओं पर लगभग 5 लाख रुपये प्रति कक्षा खर्च होना था, वहां 24.86 लाख रुपये प्रति कक्षा खर्च दिखाया गया।

साल 2015-16 में दिल्ली सरकार ने स्कूलों में कक्षा निर्माण का बड़ा प्रोजेक्ट शुरू किया। सरकारी मंजूरी के अनुसार यह प्रोजेक्ट जून 2016 तक तय लागत पर पूरा होना था, लेकिन कोई भी काम समय पर पूरा नहीं हुआ। निर्माण में सेमी-पर्मानेंट स्ट्रक्चर (SPS) बनाए गए, जिनकी उम्र 30 साल होती है, लेकिन खर्च पक्की इमारतों (RCC) जितना किया गया, जो 75 साल चलती हैं। केंद्रीय सतर्कता आयोग (CVC) की तकनीकी रिपोर्ट ने बताया कि SPS कक्षाओं की लागत लगभग पक्की इमारतों के बराबर ही रही और कोई भी आर्थिक लाभ नहीं हुआ।

34 ठेकेदारों को काम दिया गया, जिनमें कई का संबंध आम आदमी पार्टी से बताया जा रहा है। 860.63 करोड़ रुपये के टेंडर दिए गए, लेकिन लागत 17% से 90% तक बढ़ा दी गई।

कुल 326.25 करोड़ रुपये की अतिरिक्त राशि जोड़ी गई, जिसमें से 205.45 करोड़ रुपये सिर्फ ‘रिच स्पेसिफिकेशन’ के नाम पर थे। CVC रिपोर्ट फरवरी 2020 में तैयार हुई थी, लेकिन उसे लगभग 3 साल तक दबाकर रखा गया।

इस मामले में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17-A के तहत अनुमति मिलने के बाद ACB ने एफआईआर नंबर 31/2025 दर्ज कर ली है। इसमें IPC की धारा 409 (आपराधिक विश्वासघात), 120-B (साजिश) और भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 13(1) को शामिल किया गया है। अब इस घोटाले की गहराई से जांच शुरू हो चुकी है। सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों, ठेकेदारों और अन्य अज्ञात लोगों की भूमिका की भी जांच की जा रही है। जांच के बाद यह तय होगा कि शिक्षा और निर्माण क्षेत्र की इस बड़ी धांधली में असली दोषी कौन हैं और किसे सजा

India Edge News Desk

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