राज्यों का स्थापना दिवस नए भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता का प्रसंग : राज्यपाल पटेल

राज्यों का स्थापना दिवस नए भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता का प्रसंग : राज्यपाल पटेल

विविधतापूर्ण, सांस्कृतिक, पौराणिक चेतना के केन्द्र हमारे राज्य
राजभवन में संयुक्त समारोह में मना हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात का स्‍थापना दिवस

भोपाल

राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा है कि राज्यों का स्थापना दिवस नए भारत के निर्माण की प्रतिबद्धता का प्रसंग है। समारोह, राज्य के विकास, खुशहाली के लिए सबके विश्वास, साथ और प्रयासों से नव निर्माण का संकल्प है। उन्होंने कहा कि अखंड भारत के सभी राज्य भारत माता के वह सपूत है, जिन्होंने अपनी धरोहर, संस्कृति और परंपराओं के सम्मान के साथ राष्ट्र के गौरव को बढ़ाया है। समय की जरूरत है कि हमारी गौरवशाली आध्यात्मिक चेतना और सांस्कृतिक विरासत को आने वाली पीढ़ियों तक पहुँचाने में प्रत्येक नागरिक योगदान का संकल्प लें और एक भारत को श्रेष्ठ, भारत बनाए।

राज्यपाल पटेल राजभवन के सांदीपनि सभागार में आयोजित महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के स्‍थापना दिवस के संयुक्त समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर राज्यपाल के अपर मुख्य सचिव के.सी. गुप्ता एवं प्रदेश में निवासरत तीनों राज्यों के मूल निवासी मौजूद थे। राज्यपाल पटेल का समारोह में तीनों राज्यों के प्रतिनिधियों द्वारा उनके राज्य की परंपरा अनुसार अभिनंदन किया गया। कार्यक्रम में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत, हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला और महाराष्ट्र के राज्यपाल सी.पी. राधाकृष्णन के वीडियों संदेश का प्रसारण किया गया।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात तीनों ही प्रदेश हमारी विविधतापूर्ण, पौराणिक परंपरा की ऐतिहासिक चेतना और सांस्कृतिक धरोहरों के केन्द्र है। समय की मांग है कि राज्यों की मूल पहचान और सम्मान को बनाए रखते हुए भारत के गौरव को विश्व के कोने-कोने तक पहुँचाने में प्रत्येक नागरिक अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दे। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश देवी-देवताओं और ऋषियों की तपोभूमि है। प्रदेश का त्रिलोकीनाथ मंदिर और ब्रह्मा कमल जैसे तीर्थ स्थल हमारे अध्यात्मिक गौरव के प्रतीक है। भारत माता का भाल यह प्रदेश पांडवों के वनवास काल के दौरान उनकी ध्यान, साधना और तपस्या का केंद्र भी रहा है। महाप्रलय के बाद जब सर्वत्र जल ही जल रह गया था, तब मनु ऋषि ने अपनी नौका प्रदेश के मनाली में लाकर जीवन की पुनः स्थापना की थी।

राज्यपाल पटेल ने कहा कि महाराष्ट्र राज्य का पौराणिक, आध्यात्मिक और सांस्कृतिक इतिहास गौरवशाली और अद्भुत है, जहाँ भगवान श्रीराम ने वनवास काल में लक्ष्मण जी और सीता जी के साथ पंचवटी कुटी बनाई थी। यहॉ त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग, भीमाशंकर, दक्षिणी गंगा माँ गोदावरी का उद्गम स्थल और कुम्भ की आयोजन स्थली नासिक जैसे पवित्र तीर्थ स्थल है। महाराष्ट्र के भगवान विठोबा (विठ्ठल) के उपासक संतों, संत ज्ञानेश्वर, संत नामदेव, संत तुकाराम, संत एकनाथ, संत चोखामेला और संत गाड़गे महाराज आदि ने वैदिक, वेदांत, गीता, रामायण के ज्ञान को जन – जन तक पहुँचाया है। उन्होंने गुजरात राज्य को भगवान कृष्ण की कर्म भूमि और लीला भूमि बताते हुए कहा कि राज्य हमारी सांस्कृतिक चेतना का गौरव है। स्वयं भगवान कृष्ण के द्वारा मथुरा छोड़ने के बाद स्थापित पुराणों की स्वर्ण नगरी द्वारिका हमारी सांस्कृतिक चेतना की ऐतिहासिक विरासत है। गुजरात में ही भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक सोमनाथ, संत दत्तात्रेय की तपस्या स्थली 'गिरिनाथ' सहित जैन, बौद्ध और हिन्दू धर्म के महत्वपूर्ण केन्द्र भी है। महात्मा गांधी, स्वामी दयानंद सरस्वती, दादा भाई नैरोजी और प्रधानमंत्री वैश्विक नेता नरेन्द्र मोदी जैसे युगीन महापुरुष गुजरात राज्य की देन है। उन्होंने गौरवशाली भारतीय संस्कृति की धरोहर के संरक्षक, विविधता में एकता के संकल्प “एक भारत-श्रेष्ठ भारत” की परंपरा में आयोजित महाराष्ट्र, गुजरात और हिमाचल प्रदेश के स्थापना दिवस के संयुक्त समारोह में आए अतिथियों का राजभवन में स्वागत, अभिनंदन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों की आकर्षक प्रस्तुति के लिए के कलाकारों को हार्दिक बधाई दी। मध्यप्रदेश के प्रथम नागरिक के रूप में मध्यप्रदेश की जनता की ओर से स्थापना दिवस की बधाई दी है।

कार्यक्रम में हिमाचल प्रदेश से आए चम्बा लोक कला मंच के 16 कलाकारों के दल ने जनजातीय क्षेत्र भरमौर के हर गांव, हर घर एवं हर त्यौहारों एवं विवाह में किए जाने वाले हिमाचल प्रदेश के गददी नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी गई। यह नृत्य हिमाचल प्रदेश के जिले चम्बा के जनजातीय क्षेत्र भरमौर का लोक नृत्य है। नृत्य में गददी पुरुष चोला डोरा और टोप डालकर एवं गददी महिलाएं लुआचडी डोरा डालकर नृत्य करते है। गददी परिधान भगवान शिव एवं माता पार्वती के संकेतिक रूप को दर्शाता है।

समारोह में गुजरात एवं महाराष्ट्र राज्य की स्‍थापना एवं इतिहास से संबंधित लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया जिसमें महाराष्ट्र राज्य की कला, संगीत और परंपराओं की मनोहारी झलक दिखाई गई। मराठी समाज जबलपुर और मराठी समाज भोपाल के दल द्वारा गणेश वंदना, जय महाराष्ट्र माझा, मी अहिल्या होनार, कोली नृत्य एवं लेझिम का प्रदर्शन किया है।

गुजरात राज्य का लोक नृत्य मांडवी, डांडिया रास एवं टिप्पनी प्रस्तुतियों ने जय-जय गरवी गुजरात से मंच को गुंजायमान कर दिया। समारोह में म.प्र. के इतिहास, संस्कृति और परंपराओं से संबंधित लघु फिल्म का भी प्रदर्शन किया गया।

कार्यक्रम में अपर सचिव राजभवन उमाशंकर भार्गव, हिमाचल प्रदेश के मूल निवासियों के प्रतिनिधि के रुप में भारतीय वन सेवा के मध्यप्रदेश कॉडर के अधिकारी पुरुषोत्तम धीमान, हिमाचली समाज जन कल्याण समाजिक सेवा समिति भोपाल के संजीव डोगरा, महाराष्ट्र समाज तुलसी नगर ट्रस्ट भोपाल के अध्यक्ष विलास बुच के मराठी साहित्य अकादमी निदेशक संतोष गोडबोल, वरिष्ठ चिकित्सक डॉ. अमिजीत देशमुख, मराठी समाज जबलपुर की प्रतिनिधि श्रीमती नीलिमा देशपांडे, अखिल भारतीय गुजराती समाज के अध्यक्ष संजय पटेल, गुजराती समाज भोपाल के सचिव मिनेश पटेल और महिला मंडल अध्यक्षा सुरेखा कांटावाला मौजूद थे।

अवर सचिव राजभवन श्रीमती आभा शुक्ला ने स्वागत उद्बोधन दिया। संचालन एवं आभार प्रदर्शन नियंत्रक हाऊस होल्ड श्रीमती शिल्पी दिवाकर ने किया।

India Edge News Desk

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