शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी पर घमासान, BCI और विदेश से भी मिला समर्थन, जानें क्या है पूरा विवाद

नई दिल्ली/एम्स्टर्डम
 पश्चिम बंगाल पुलिस ने जब पुणे की कानून की पढ़ाई करने वाली 22 साल की छात्रा शर्मिष्ठा पनोली को गिरफ्तार किया तो भारत के साथ साथ भारत के बाहर भी घमासान मच गया। उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर सांप्रदायिक टिप्पणी करने के लिए कोलकाता पुलिस ने गिरफ्तार किया है। भारत में एक पक्ष उनका भरपूर समर्थन कर रहा है तो दूसरा पक्ष उनकी गिरफ्तारी को जायज ठहरा रहा है। वहीं अब शर्मिष्ठा पनोली को नीदरलैंड के मशहूर नेता गीर्ट वाइल्डर्स का समर्थन मिला है। गीर्ट वाइल्डर्स, जो एक दक्षिणपंथी नेता हैं और अकसर इस्लाम को लेकर अपनी बयानबाजी के लिए सुर्खियों में रहते हैं, उन्होंने शर्मिष्ठा पनोली के समर्थन में आवाज उठाई है और उनकी गिरफ्तारी को "अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अपमान" बताया है। इसके अलावा उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से शर्मिष्ठा पनोली को जेल से बाहर निकालने में मदद करने का आग्रह किया है।

रिपोर्ट के मुताबिक शर्मिष्ठा पनोली ने 'ऑपरेशन सिंदूर' को लेकर इंस्टाग्राम पर एक वीडियो बनाया था, जिसके बाद उन्हें गिरफ्तार किया गया। आरोप है कि शर्मिष्ठा पनोली ने जो वीडियो बनाया था, उसमें पाकिस्तान के साथ साथ मुसलमानों के खिलाफ आपत्तिजनक टिप्पणी की गई थी। हालांकि विवाद बढ़ने के बाद उन्होंने माफी मांग ली। अपने वीडियो में शर्मिष्ठा पनोली ने चुप्पी रखने वाले बॉलीवुड के कलाकारों की आलोचना की थी, लेकिन बाद में उन्होंने अपना वीडियो डिलीट कर दिया था, बावजूद इसके उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया है।

शर्मिष्ठा पनोली की गिरफ्तारी का विरोध
शर्मिष्ठा को गुड़गांव से गिरफ्तार कर कोलकाता लाया गया, जहां उन्हें अलीपुर कोर्ट में पेश किया गया और 14 दिनों की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। उन पर भारतीय दंड संहिता की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं, जिनमें समुदायों के बीच वैमनस्य फैलाना, धार्मिक भावनाओं को आहत करना और सार्वजनिक शांति भंग करने के इरादे से अपमान करना शामिल है। पश्चिम बंगाल पुलिस का कहना है कि उनकी गिरफ्तारी सभी कानूनी प्रक्रियाओं का पालन करते हुए की गई है। लेकिन उनकी गिरफ्तारी ने राजनीतिक हलकों में हलचल मचा दी है। भारतीय जनता पार्टी के नेता सुवेंदु अधिकारी ने इस गिरफ्तारी को 'तुष्टीकरण की राजनीति' करार दिया है और तृणमूल कांग्रेस की ममता बनर्जी की सरकार पर निशाना साधा है। जबकि बार काउंसिल ऑफ इंडिया के अध्यक्ष और राज्यसभा सदस्य मनन कुमार मिश्रा ने इस गिरफ्तारी की निंदा करते हुए इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर हमला बताया है और शर्मिष्ठा की तत्काल रिहाई की मांग की है।

डच नेता गीर्ट वाइल्डर्स शर्मिष्ठा की रिहाई की मांग करते हुए कहा कि "बहादुर शर्मिष्ठा पनोली को रिहा करो! यह अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए अपमान की बात है कि उसे गिरफ्तार किया गया। पाकिस्तान और मुहम्मद के बारे में सच बोलने के लिए उसे दंडित न करें। प्रधानमंत्री मोदी उसकी मदद करें!" इसके अलावा वाइल्डर्स ने शर्मिष्ठा की तस्वीर शेयर करते हुए 'All Eyes On Sharmistha' भी लिखा है। शर्मिष्ठा पनौली की गिरफ्तारी के बाद एक बार फिर से बहस शुरू हो गई है कि सोशल मीडिया पर अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की सीमाएं क्या हैं और धार्मिक संवेदनाओं के उल्लंघन के मामलों में कानून कैसे हस्तक्षेप करता है। यह घटना उन लोगों के लिए चेतावनी है जो डिजिटल प्लेटफॉर्म्स पर अपनी राय व्यक्त करते हैं, खासकर जब वह राय संवेदनशील मुद्दों से जुड़ी होती है। आम तौर पर देखा यही जा रहा है कि राजनीतिक पार्टियां और सरकारें अपनी अपनी विचारधारा और वोट बैंक के हिसाब से कार्रवाई करती हैं।

India Edge News Desk

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