गीतांजलि के नाम से जाना जाएगा विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय का परिसर
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नैनीताल : नोबेल पुरस्कार प्राप्त गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की कर्मस्थली रामगढ़ में जल्द ही विश्व भारती केन्द्रीय विश्वविद्यालय का परिसर स्थापित किया जाएगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी द्वारा विवि. के परिसर की भूमि का पूजन किया गया। विवि के इस परिसर को गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर की प्रसिद्ध कृति गीतांजलि के नाम से जाना जाएगा। माना जाता है कि साहित्य व फलों की पट्टी के लिए प्रसिद्ध खूबसूरत रामगढ़ में गुरू रवीन्द्र नाथ टैगोर पहली बार वर्ष 1901 में पधारे और वर्ष 1937 के बीच 5 बार आए। हिमालय की गोद में बसे रामगढ़ कस्बे में वह अपने मित्र व स्वीडन निवासी डेनिलय के घर पर रुकते थे।
ऐतिहासिक कृति गीतांजलि के कई अंशों की रचना उन्होंने इसी भूमि में की, जिसमें उनकी प्रमुख शिशु नामक कविता भी शामिल है। आज भी रामगढ़ की एक पहाड़ी को गुरू रवीन्द्रनाथ टैगोर के नाम से जाना जाता है और इसी टैगोर टाप पर गुरूजी की एक कुटिया थी, जिसके अंश खंडहर के रूप में आज भी मौजूद हैं। पुत्री व पत्नी के देहांत के बाद टैगौर यहां नहीं आए। उनकी स्मृति को संजोने के लिए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने यहां टैगोर के नाम से एक विश्वविद्यालय स्थापित करने की योजना बनाई।
पूर्व केन्द्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने रामगढ़ में विश्व भारती केन्द्रीय विवि. के परिसर बनाए जाने की घोषणा की। इसके बाद प्रदेश सरकार की ओर से विवि परिसर के लिए 45 एकड़ भूमि प्रदान की गई। शांति निकेतन ट्रस्ट फार हिमालया के सचिव अतुल जोशी ने बताया कि केन्द्र सरकार की ओर से विवि. के परिसर के लिए पहले चरण में 150 करोड़ की धनराशि स्वीकृत कर दी गई है।
ट्रस्टी सुरेश डालाकोटि ने बताया कि जल्द ही विवि के इस परिसर निर्माण का काम शुरू कर दिया जाएगा। इस परिसर में स्कूल आफ हिमालया डेवलपमेंट, स्कूल आफ रूरल डेवलपमेंट, सेंटर फार गुड गवर्नेंस के साथ ही अर्थशास्त्र, समाजशास्त्र, राजनितिक शास्त्र व अन्य विषयों की स्नातकोत्तर कक्षाएं संचालित की जाएंगी। जन्मोत्सव के पहले दिन मुख्यमंत्री धामी ने विवि. परिसर का भूमि पूजन करते हुए कहा कि उत्तराखंड की केन्द्रीय विश्वविद्यालय परिसर को पहाड़ी शैली में विकसित किया जाएगा और इसे गीतांजलि के नाम से जाना जाएगा।
(जी.एन.एस)