मप्र सरकार शिवराज सिंह चौहान अनुसूचित जातियों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है।
अनुसूचित जातियों के सांस्कृतिक उत्थान से लेकर सामाजिक एवं आर्थिक सशक्तिकरण की नई गाथा मध्यप्रदेश में लिखी जा रही है।
भोपाल : मप्र सरकार सामाजिक समरसता के साथ सर्वांगीण विकास की ओर बढ़ता मध्यप्रदेश देश के बहुजनों के आर्थिक, सामाजिक और राजनीतिक न्याय की लड़ाई लड़ने वाले संविधान निर्माता डॉ. भीमराव आंबेडकर ने देश की आजादी के बाद जिस समाज का सपना देखा,
उस सपने को मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व वाली सरकार पूरा कर रही है।
बाबा साहेब के आदर्शों के पथ पर शिवराज सरकार अनवरत गतिशील है। जिस सामाजिक न्याय की लड़ाई के लिए बाबा साहेब ने पूरा जीवन समर्पित कर दिया, वह मध्यप्रदेश की धरती पर साकार हो रहा है। पिछले डेढ़ दशक में अनुसूचित जाति के भाई-बहनों के जीवन में अभूतपूर्व परिवर्तन आया है। सरकार अनुसूचित जातियों के सामाजिक, आर्थिक, शैक्षणिक व स्वास्थ्य के विकास के लिए विभिन्न योजनाएं संचालित कर रही है। सरकार अनुसूचित जातियों के कल्याण और उनके सर्वागीण विकास के लिए कृत संकल्पित है। अनुसूचित जातियों की संवैधानिक सुरक्षा भी सरकार के प्राथमिक दायित्व में शामिल है। जिसके परिणामस्वरूप उनकी सामाजिक, शैक्षणिक व आर्थिक स्थिति में व्यापक बदलाव आया है और अब वह आधुनिक समय के साथ कदमताल करते हुए अपने संवैधानिक अधिकारों के साथ मुख्य धारा में और सरकारी सर्वोच्च प्राथमिकता में हैं।
वर्ष 2023-24 के बजट में अनुसूचित जाति के कल्याण के लिए ₹26,087 करोड़ का प्रावधान सरकार ने किया है।
विगत 3 वर्षों में विभिन्न विभागों की योजनाओं के अंतर्गत अनुसूचित जाति के 1 करोड़ 42 लाख से अधिक हितग्राहियों को 24 हजार 600 करोड़ रुपए से अधिक के हितलाभ वितरित किये। अनुसूचित जाति का सर्वांगीण विकास हो, उनका जीवन स्तर सुधरे और उनकी ज़िंदगी में खुशहाली आए इसके लिए मध्यप्रदेश सरकार लगातार प्रयत्न कर रही है।
बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर जी ने कहा था
आर्थिक सशक्तिकरण के बिना सामाजिक सशक्तिकरण नहीं हो सकता है इसलिए आर्थिक प्रगति आवश्यक है। अनुसूचित वर्ग के भाई-बहन आर्थिक रूप से सशक्त हों, आत्मनिर्भर बने, स्वरोजगार से लग सकें इसके लिए संत रविदास स्व रोजगार योजना सहित कई योजनाए सरकार ने बनाई हैं। बाबा साहेब ने कहा था कि शिक्षित बनो। उसी राह पर चलते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने छात्रगृह योजना, प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति योजना, आवास सहायता योजना सहित अनेकों योजनाए संचालित की जा रहीं हैं जिनसे अनुसूचित जाति के बच्चों के सपनों को नई उड़ान मिली है।
मध्यप्रदेश सरकार ने अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों की शिक्षा-दीक्षा के लिये कोई कसर बाकी नहीं रखी है।
चाहे छात्रवृत्ति हो या मैस का बेहतरीन इंतजाम अथवा विदेश में पढ़ाई की बात हो, सरकार द्वारा अनुसूचित जाति के छात्रों के लिये खुले हाथ खर्च किया जा रहा है। अभी तक छात्रावासों में रहने वाले अनुसूचित जाति के 80 हजार से अधिक छात्र छात्राओं को 120 करोड़ रुपए से अधिक की वार्षिक शिष्यवृत्ति दी जा चुकी है। साथ ही उच्च शिक्षा के लिए हर साल अनुसूचित जाति के 50 विद्यार्थियों को 10 करोड़ रुपए से अधिक की विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति मध्यप्रदेश सरकार द्वारा प्रदान की जाती है ताकि पैसों की तंगी सपनों की उड़ान में बाधा न बने। अब तक लगभग 150 विद्यार्थी इस योजना से लाभान्वित हो चुके हैं।
अनुसूचित जाति की बहनें आर्थिक रूप से सशक्त हों,
इसके लिए सावित्रीबाई फुले स्व-सहायता समूह योजना द्वारा बहनों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। जिसके माध्यम से उनके जीवन में नया उजियारा आ रहा है। कुल मिलाकर शिक्षा से लेकर स्वास्थ्य तक, रोजगार से लेकर सामाजिक सशक्तिकरण तक हर दिशा में मध्यप्रदेश सरकार प्रयास कर रही है। संत शिरोमणि रविदास जी महाराज के संदेश को आत्मसात कर विभिन्न योजनाओं के माध्यम से गरीब, कमजोर और वंचित परिवारों को आवास, शिक्षा, चिकित्सा एवं सभी बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराए जाने का महाभियान मध्यप्रदेश की धरती पर चल रहा है।
डॉ. भीमराव आंबेडकर ऐसे समाज का सपना देखते थे,
जहां जातीय आधार पर किसी तरह का कोई भेदभाव न हो। जहां आर्थिक और सामाजिक हर क्षेत्र में वंचित तबके को पूर्ण प्रतिनिधित्व मिले। आज मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में मध्यप्रदेश समाज का प्रत्येक वर्ग प्रगति कर रहा है। डॉ. आंबेडकर जी की विरासत को जिस तरह से शिवराज सरकार बढ़ा रही है, उससे उनके सपनों का समाज बन रहा है। बाबा साहेब की यादों को चिरस्थाई बनाने और उनकी विरासत के संरक्षण की दिशा में भाजपा सरकार ने कई उल्लेखनीय कार्य किए हैं। पूर्व की सरकारों में बाबा साहेब को जो सम्मान मिलना चाहिए था, वह नहीं मिला। आज शिवराज सरकार इस कसक को भी पूरा कर रही है। मध्यप्रदेश के महू स्थित उनकी जन्मस्थली की आज सूरत संवर चुकी है। साथ ही सागर के समीप मकरोनिया के बड़तूमा 100 करोड़ रुपए की लागत से संत रविदास का विशाल और भव्य मंदिर बनाया जा रहा है।