भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कार्बाइड गन पर बैन, अब तक 300 लोग झुलस चुके

भोपाल/ इंदौर /ग्वालियर 

मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल और ग्वालियर और इंदौर जिले में घातक कैल्शियम कार्बाइड गन के कारण बच्चों की आंखों को हुए नुकसान के बाद दोनों जिलों के कलेक्टरों ने कार्बाइड गन पर तत्काल प्रभाव से बैन लगा दिया है. 

भोपाल कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने आदेश में जारी किया है कि कोई भी प्रतिबंधनात्मक पटाखा, आतिशबाजी, लोहा स्टील या पीवीसी पाइपों में विस्फोटक पदार्थ भरकर तेज आवाज  करने वाले अवैध पटाखे (कार्बाइड गन) नहीं बनाएगा. इकट्ठा नहीं करेगा और खरीद बेच भी नहीं सकेगा. 

कलेक्टर ने कहा है कि यह अवैध संशोधित पटाखा आम नागरिकों की सुरक्षा, शांति और पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव डाल रहा है, इसलिए इसके वितरण या प्रदर्शन पर भी पूरी तरह प्रतिबंध रहेगा. एसडीएम, कार्यपालिक मजिस्ट्रेट, पुलिस अधिकारी इस आदेश का सख्ती से पालन करवाएंगे. 

दिवाली 2025 में नए पटाखे की खोज में सोशल मीडिया ने बंदर भगाने के देसी जुगाड़ को वायरल कर दिया। इसी जुगाड़ सिस्टम “कार्बाइड गन” को लेकर दो साल पहले यानी 2023 में ICMR (इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च) भोपाल ने चेतावनी दी थी।

संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपनी रिसर्च में बताया था कि कैल्शियम कार्बाइड और पानी के केमिकल रिएक्शन से बनने वाली गैस 'एसिटिलीन' सिर्फ धमाका नहीं करती, बल्कि आंखों की रोशनी तक छीन लेती है। यह स्टडी इंडियन जर्नल ऑफ ऑप्थेलमोलॉजी में प्रकाशित भी हुई थी। इसके बाद भी समय रहते उचित कदम नहीं उठाए गए।

यही वजह है कि अब तक भोपाल के अलग-अलग अस्पतालों में लगभग 162 लोग इस कार्बाइड गन से घायल होकर आ चुके हैं। इन सभी मरीजों की आंखें जली हैं। उन्हें देखने में परेशानी हो रही है।

देसी कार्बाइड गन से प्रदेशभर में अब तक 300 लोगों की आंखों में जलन के मामले सामने आ चुके हैं। ग्वालियर, इंदौर, विदिशा समेत कई जगहों पर ऐसी घटनाओं में 7 से 14 साल तक के बच्चे प्रभावित हुए हैं। भोपाल, इंदौर और ग्वालियर में कार्बाइड पाइप गन बेचने, खरीदने और स्टॉक पर रोक लगा दी गई है। भोपाल और ग्वालियर में गन बेचते मिले दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है।

सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला दिख रहा करीब 50 फीसदी मरीज ऐसे हैं, जिन्हें आंखों के सामने सिर्फ वार्म व्हाइट लाइट का गोला ही नजर आ रहा है। डॉक्टरों के अनुसार, इन मरीजों की आंखों की रोशनी फिलहाल जा चुकी है। अब एमनियोटिक मेम्ब्रेन इंप्लांट और टिशू ग्राफ्टिंग जैसी प्रक्रिया से आंखों को बचाने का प्रयास किया जा रहा है।

हालांकि, अंतिम उपाय कॉर्निया ट्रांसप्लांट ही होगा, लेकिन इतनी बड़ी संख्या में ट्रांसप्लांट के लिए जरूरी कॉर्निया मिलना मुश्किल है।

डिप्टी सीएम घायल बच्चों से मिलने पहुंचे

उप मुख्यमंत्री राजेंद्र शुक्ल ने शुक्रवार सुबह करीब 7 बजे हमीदिया अस्पताल पहुंचकर कार्बाइन गन से घायल युवाओं और बच्चों का हाल जाना। उन्होंने डॉक्टरों से घायलों के स्वास्थ्य की जानकारी ली और उनके उपचार की लगातार मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। शुक्ला करीब एक घंटे तक अस्पताल में रहे।

डॉक्टरों ने जानकारी दी कि दुर्घटना में घायल कुल 37 मरीजों में से 32 को जरूरी इलाज के बाद डिस्चार्ज कर दिया गया है। 5 मरीजों का उपचार अभी जारी है। उप मुख्यमंत्री ने कहा कि अवैध रूप से पटाखा निर्माण या विस्फोटक सामग्री रखने वालों की सघन जांच की जा रही है। दोषियों पर कठोर कार्रवाई की जाएगी।

स्वास्थ्य विभाग के पास बच्चों के आंकड़े नहीं अलग-अलग अस्पतालों से आई जानकारी के अनुसार भोपाल में अब तक कार्बाइड गन से प्रभावित लोगों के 162 केस सामने आए हैं। इस पूरे मामले में स्वास्थ्य विभाग अब तक अलर्ट नहीं हुआ है। हालत यह है कि विभाग ने आधिकारिक आंकड़ा तक जारी नहीं किया है।

भोपाल के सीएमएचओ डॉ. मनीष शर्मा को फोन किया गया तो उन्होंने वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग में होने की बात कही।

ग्वालियर में भी कलेक्टर ने लगाई रोक 
ग्वालियर जिले में भी कलेक्टर रुचिका चौहान ने भी कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और उपयोग पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है.

उन्होंने अपने आदेश में जिक्र किया कि कार्बाइड गन में उपयोग होने वाला कार्बाइड और पानी का मिश्रण एसिटिलीन गैस पैदा करता है, जो आंखों के साथ-साथ दिमाग और नर्वस सिस्टम के लिए घातक होता है. आदेश के बाद जिला प्रशासन की टीमों ने भितरवार, लोहिया बाजार, नया बाजार बाड़ा, हीरा वेल्डिंग सेंटर एरिया में कार्बाइड गन की जांच शुरू कर दी है. 

आदेश का उल्लंघन करने वालों पर भारतीय न्याय संहिता की धारा 223 और अन्य एक्ट के तहत एक्शन लिया जाएगा. ग्वालियर प्रशासन ने लोगों से अपील की है कि अवैध रूप से कार्बाइड गन के निर्माण, खरीदने, बेचने और इस्तेमाल की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम के फोन नं 0751-7049101029, 0751-2363636 व 0751-2445333 पर दें.  

India Edge News Desk

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