राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के बाद एक बार फिर हो रही है नीतीश कुमार की चर्चा

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

पटना : बिहार के मुख्यमंत्री का पद संभालने वाले नीतीश कुमार के देश के राष्ट्रपति पद के योग्य होने की बात को लेकर प्रदेश के राजनीतिक गलियारे में एक बार फिर चर्चा जोरों पर है। कुछ महीने पहले इसको लेकर अटकलें नीतीश के स्पष्ट दावे के बाद थम गई थीं कि उनका इरादा राज्य में रहने और लोगों की सेवा करने का है। चुनाव आयोग द्वारा इस सप्ताह के शुरू में राष्ट्रपति चुनाव के लिए तारीखों की घोषणा के बाद एक बार फिर उनकी चर्चा हो रही है।

राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग), जिसमें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की पार्टी जदयू भी शामिल है, द्वारा उम्मीदवार की आधिकारिक घोषणा अटकलों के मौजूदा दौर पर विराम लगा सकती है। इस बीच जदयू नेता के प्रतिद्वंद्वी लालू प्रसाद की पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने ‘‘राष्ट्रपति नीतीश कुमार” की चर्चा में शामिल होते हुए उनपर निशाना साधते हुए कहा, ‘‘हमने नीतीश कुमार को ‘‘पीएम मटेरियल” कहा था जब हमने उनकी पार्टी के साथ गठबंधन में राज्य में सरकार चलाई थी। लेकिन उन्होंने गठबंधन धर्म का पालन करने की कभी परवाह नहीं की”।

तिवारी ने नीतीश के बारे में कहा कि उन्होंने पिछले राष्ट्रपति चुनाव में बिहार के तत्कालीन राज्यपाल रामनाथ कोविंद की उम्मीदवारी का समर्थन राजग का हिस्सा न होते हुए भी किया था। उन्होंने कहा, ‘‘नीतीश कुमार ने बिहारी गौरव के मुद्दे को विशेष रूप से जोड़कर कोविंद को दिए अपने समर्थन का बचाव किया था। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग ने मीरा कुमार को मैदान में उतारा था, जिनका हमने समर्थन दिया था और जो वास्तव में बिहारी थीं और राज्य से लोकसभा के लिए चुनी गई थीं।” राजद प्रवक्ता ने कहा कि अगर नीतीश वास्तव में ‘रायसीना हिल’ तक पहुंचे तो उन्होंने हमारे साथ अतीत में जो किया है उसके बावजूद हमें गर्व होगा क्योंकि वह एक बिहारी हैं। उन्होंने कहा, संदेह है कि क्या भाजपा जिसने उन्हें धीमा राजनीतिक जहर देना शुरू कर दिया है, ऐसा होने देगी।

तिवारी ने बिहार विधानसभा में नीतीश की पार्टी जदयू के संख्या बल में तेज गिरावट की ओर इशारा किया। उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘भाजपा जो नीतीश कुमार को अपमानित होकर पदच्युत होते देखना चाहती है, क्या वह उन्हें राष्ट्रपति या उपराष्ट्रपति के रूप में बर्दाश्त करेगी।” तिवारी का इशारा भाजपा के साथ जदयू के पुराने लेकिन रस्साकसी भरे संबंधों की ओर था जो नरेंद्र मोदी के उदय के साथ और अधिक स्पष्ट हो गया। कई राज्यों में शासन करने वाली भाजपा के पास लोकसभा में प्रचंड बहुमत है लेकिन फिर भी राष्ट्रपति पद के लिये अपनी पसंद के उम्मीदवार को जितवाने में उसे राजग के बाहर उससे सहानुभूति रखने वाले दलों के समर्थन पर निर्भर रहना होगा।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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