बस्तर में लिखी जा रही विकास की नई इबारत, स्कूल से लेकर सड़क, बिजली और बदलाव की कहानी

बस्तर
 छत्तीसगढ़ के नक्सल प्रभावित बस्तर में एक नई हवा चलना शुरू हुई है। यहां के अबूझमाड़ के दूर-दराज इलाके में जहाँ कभी गोलियों की तड़तड़ाहट गूंजती थी, अब सीमेंट मिक्सर की आवाज़ सुनाई दे रही है। रेकावया गांव में आज़ादी के बाद पहला स्कूल बन रहा है। यह बदलाव सुरक्षा बलों के आक्रामक अभियान का नतीजा है, जिसमें इस साल 222 माओवादियों को मार गिराया गया है।

यहां विकास परियोजनाएं भी तेज़ी से आगे बढ़ रही हैं। जिससे बस्तर में बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएं पहुंच रही हैं। सरकार आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों के लिए पुनर्वास नीति में भी बदलाव कर रही है। हालांकि, इस सैन्य अभियान के कारण आम नागरिक भी हिंसा के शिकार हो रहे हैं। माओवादी भी आम लोगों पर हमले कर रहे हैं। शांति वार्ता की संभावना अभी धुंधली है। बस्तर के इस नए अध्याय का नेतृत्व एक आदिवासी मुख्यमंत्री कर रहे हैं, जिससे उम्मीद है कि वे इस क्षेत्र की समस्याओं को बेहतर समझेंगे।

गोलियों की आवाज के बीच बदलाव की शांति

यह गांव रायपुर से लगभग 300 किलोमीटर दूर अबूझमाड़ के घने जंगलों में स्थित है। गोलियों की आवाज के बीच बदलाव आसान नहीं था। इस साल की शुरुआत में रेकावया में आठ माओवादियों को मार गिराया गया था। इसके बाद ही यहां सुरक्षा शिविर स्थापित किए जा सके और स्कूल के निर्माण के लिए इंद्रावती नदी के रास्ते ईंट और सीमेंट पहुंचाना संभव हो पाया। यह वही स्कूल है, जिसे कभी माओवादी चलाते थे।

बस्तर में खुले विकास के रास्ते

बस्तर में माओवादियों के खिलाफ यह अभियान केवल रेकावया तक सीमित नहीं है। पूरे बस्तर में सुरक्षा बलों ने 222 माओवादियों को मार गिराया है। यह संख्या पिछले पांच सालों के मुकाबले कहीं ज्यादा है। विष्णु देव साई के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार के इस आक्रामक अभियान ने माओवादियों को उनके गढ़ अबूझमाड़ से भी खदेड़ दिया है। इससे बस्तर में विकास के रास्ते खुल गए हैं। बिजली, सड़क और पानी जैसी बुनियादी सुविधाएँ अब उन इलाकों तक पहुँच रही हैं, जो कभी माओवादियों के कब्जे में थे।

दो दशक पहले बंद हुए 50 स्कूल फिर खुले

माओवादी हिंसा के कारण दो दशक पहले बंद हुए लगभग 50 स्कूलों को फिर से खोला गया है। इनमें से कुछ स्कूलों का पुनर्निर्माण उन्हीं माओवादियों ने किया है, जिन्होंने कभी इन्हें तोड़ा था। ये माओवादी अब हथियार छोड़कर समाज की मुख्यधारा में शामिल हो गए हैं। इसके साथ ही नई ज़िंदगी शुरू करने की कोशिश कर रहे हैं।

222 माओवादियों का सफाया

इस साल सुरक्षा बलों की सफलता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि 2023 में जहां 20 माओवादी मारे गए थे, वहीं इस साल अब तक 222 माओवादियों को मार गिराया गया है। नारायणपुर में एक ही अभियान में 31 माओवादी मारे गए थे।

खूंखार नक्सली का गांव पर पुनरुत्थान का प्रतीक

छत्तीसगढ़ सरकार सुरक्षा बलों की सफलता के बाद विकास परियोजनाओं को तेज़ी से आगे बढ़ा रही है। खूंखार माओवादी कमांडर हिड़मा के पैतृक गांव पुवर्ती, बस्तर के पुनरुत्थान का प्रतीक बन गया है। इस साल नवंबर में पुवर्ती के आस-पास के कई गांवों में आज़ादी के बाद पहली बार बिजली पहुंची है। यहां सड़क का निर्माण भी चल रहा है। इस साल की शुरुआत में स्थापित एक सुरक्षा शिविर ने इस बदलाव में अहम भूमिका निभाई है। इस शिविर की बदौलत इस गणतंत्र दिवस पर दशकों बाद पुवर्ती में तिरंगा फहराया गया।

माओवादियों का भी दिल जीत रही सरकार

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मार्च 2026 तक माओवादियों का सफाया करने का वादा किया है। सरकार न केवल बस्तर के लोगों का बल्कि माओवादी कार्यकर्ताओं का भी दिल जीतने में कामयाब होती दिख रही है। इस साल सात साल में सबसे ज़्यादा 802 माओवादी कार्यकर्ताओं ने आत्मसमर्पण किया है। इन पर कुल 8.2 करोड़ रुपये से ज़्यादा का इनाम था। इससे पहले 2016 में 1,210 माओवादियों ने आत्मसमर्पण किया था। सरकार ने हाल ही में अपनी पुनर्वास नीति में बदलाव किया है। आत्मसमर्पण करने वाले माओवादियों और नक्सली हिंसा के पीड़ितों के लिए 15,000 घरों को मंजूरी दी गई है। साथ ही, कौशल विकास के लिए 10,000 रुपये प्रति माह का वजीफा भी दिया जाएगा।

बस्तर रेंज आईजी का कहना

बस्तर रेंज के आईजी पी. सुंदरराज ने हमारे सहयोगी टीओआई को बताया कि 2024 बस्तर रेंज के जवानों के लिए सभी मोर्चों पर महत्वपूर्ण रहा। हमने उन इलाकों में भी सेंध लगाई, जिन्हें माओवादियों का अभेद्य गढ़ माना जाता था। अबूझमाड़ और दक्षिण बस्तर में अभूतपूर्व सफलताओं ने न केवल सुरक्षा बलों का मनोबल बढ़ाया है, बल्कि स्थानीय लोगों को भी उम्मीद दी है कि नक्सली खतरा जल्द ही खत्म हो जाएगा। यह न केवल मारे गए नक्सलियों की संख्या है, बल्कि राज्य समिति स्तर के कैडर जैसे उच्च पदस्थ कैडर का नक्सली पारिस्थितिकी तंत्र से हटना है, जिसने हमें इस सीज़न में बढ़त दिलाई है। उन्होंने आगे कहा कि दक्षिण बस्तर, पश्चिम बस्तर और माड़ क्षेत्र के वंचित इलाकों में हमारी परिचालन और विकास पहुंच बढ़ाने से स्थिति बदल गई है। गांवों में पीडीएस दुकानें, आंगनवाड़ी केंद्र और घरेलू विद्युतीकरण जैसी बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने से विकास की कमी दूर हुई है और स्थानीय आबादी और सरकार के बीच विश्वास बढ़ा है। हमें आगामी सीज़न में बेहतर परिणामों की उमीद है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News news desk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *