तिरुवनंतपुरम एयरपोर्ट पर 6 दिन से खड़ा F-35 फाइटर जेट, हुई थी इमरजेंसी लैंडिंग, जांच करेगी ब्रिटिश टीम

तिरुवनंतपुरम 
रॉयल नेवी का F-35 लड़ाकू विमान अभी भी तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर फंसा हुआ है। विमान वाहक पोत (aircraft carrier) से आए इंजीनियर अभी तक इसकी हाइड्रोलिक खराबी को ठीक नहीं कर पाए हैं। एक टीम हवाई अड्डे पर ही रुकी हुई है और मरम्मत का काम जारी है। खबर है कि विमान को हैंगर में ले जाया जा सकता है। ऐसा इसलिए है क्योंकि इसे ठीक होने में काफी समय लग सकता है। यूके और यूएसए से एक टीम आकर इसकी जांच करेगी।
हैंगर से जाएगा फाइटर जेट!

कहा जा रहा है कि विमान को हैंगर में ले जाने की योजना थी। लेकिन ब्रिटिश नेवी के अधिकारी इसके पक्ष में नहीं हैं। उसमें पेच फंस गया है। सूत्रों के अनुसार, तकनीशियनों की अलग-अलग टीमें हर दूसरे दिन विमान की जांच के लिए आ रही हैं। लेकिन वे खराबी को ठीक नहीं कर पा रहे हैं। एक अधिकारी ने कहा कि यूके से इंजीनियर आने वाले दिनों में आ सकते हैं।

विमान बे 4 में खड़ा है। एक हवाई अड्डा अधिकारी ने कहा कि हमारे पास वाणिज्यिक विमानों को संभालने के लिए पर्याप्त बे हैं। लड़ाकू विमान की मौजूदगी कोई समस्या नहीं है।

यूएसए के इतिहास में पहली बार हुई ऐसी घटना

यह पहली बार है कि यूएसए में बना इतना आधुनिक लड़ाकू विमान किसी विदेशी देश में फंसा है। यह रॉयल नेवी के विमान वाहक HMS प्रिंस ऑफ वेल्स का हिस्सा है। यह विमान वाहक पोत, कैरियर स्ट्राइक ग्रुप 25 का नेतृत्व कर रहा है। यह इंडो-पैसिफिक में जा रहा था। रास्ते में इसने भारतीय नौसेना के साथ पिछले हफ्ते युद्धाभ्यास भी किया था।

ब्रिटिश अधिकारी भी हैरान

विमान लॉकहीड मार्टिन के इंजीनियरों की टीम का इंतजार कर रहा है। लॉकहीड मार्टिन इस जेट विमान की अमेरिकी निर्माता कंपनी है। यह टीम विमान में आ रही तकनीकी खराबी को दूर करेगी। F-35 विमान कम दूरी में उड़ान भरने और सीधे उतरने की क्षमता के लिए जाना जाता है। इसी वजह से यह विमान वाहक पोतों और छोटे रनवे से भी उड़ान भर सकता है। अपनी आधुनिक तकनीक के बावजूद, इस विमान में आ रही समस्या ने ब्रिटिश अधिकारियों को हैरान कर दिया है।

फाइटर जेट को देखने के लिए उत्सुक लोग

यह विमान लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। खासकर विमानों में रुचि रखने वाले लोग इसे देखने आ रहे हैं। हालांकि, सभी को प्रतिबंधित क्षेत्र से दूर रहने की सलाह दी गई है। लगातार हो रही बारिश की वजह से विमान को लेकर चिंता बढ़ गई है। बारिश से विमान में और भी खराबी आ सकती है।

क्या है हाइड्रोलिक सिस्टम

इंजीनियर यूके से आने वाले दिनों में आ सकते हैं। मतलब है कि अभी तक यह तय नहीं है कि इंजीनियर कब आएंगे। लेकिन उनके जल्द आने की संभावना है। विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी आई है। हाइड्रोलिक सिस्टम विमान के कई हिस्सों को चलाने में मदद करता है। जैसे कि लैंडिंग गियर और ब्रेक। इस सिस्टम के खराब होने से विमान उड़ान नहीं भर सकता।
F-35 की खास बातें

F-35 एक बहुत ही आधुनिक और महंगा लड़ाकू विमान है। इसे दुनिया के सबसे अच्छे लड़ाकू विमानों में से एक माना जाता है। इस विमान में कई तरह की खूबियां हैं। यह दुश्मन के रडार को चकमा दे सकता है और हवा से हवा में और हवा से जमीन पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस है।

हाइड्रोलिक में आई थी समस्या
जानकारी के अनुसार यूके के विमानवाहक पोत एच.एम.एस. प्रिंस ऑफ वेल्स से उड़ान भरने वाला स्टील्थ जेट विमान हाइड्रोलिक समस्या के कारण तिरुवनंतपुरम हवाई अड्डे पर उतरा। यह घटना तब हुई जब यह भारतीय हवाई क्षेत्र के बाहर एक नियमित उड़ान पर था, तभी इसमें तकनीकी खराबी आ गई और इसे दक्षिण भारतीय हवाई अड्डे पर भेज दिया गया, जिसे पहले से ही आपातकालीन रिकवरी साइट के रूप में नामित किया गया था। हालांकि आपातकालीन लैंडिंग सुरक्षित रूप से की गई और पहले ही रिपोर्ट कर दी गई थी, लेकिन मूल समस्या, जिसे विमान के हाइड्रोलिक सिस्टम में खराबी माना जाता है, अभी तक हल नहीं हुई है, जिससे पांचवीं पीढ़ी का लड़ाकू जेट विमान लगभग छह दिनों से हवाई अड्डे पर ही खड़ा है।

भारतीय नौसेना के साथ किया था युद्धाभ्यास

रिपोर्ट्स के अनुसार, यह स्टील्थ विमान ब्रिटेन के एचएमएस प्रिंस ऑफ वेल्स कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का हिस्सा है। यह इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में काम कर रहा था और हाल ही में इसने भारतीय नौसेना के साथ संयुक्त समुद्री अभ्यास पूरा किया।

वायुसेना ने किया था ट्रैक
पीटीआई के अनुसार घटना के तुरंत बाद ही विमानवाहक पोत से तकनीशियन निरीक्षण और मरम्मत शुरू करने के लिए पहुंच गए थे। उनमें से छह मंगलवार दोपहर को जहाज पर लौट आए, जबकि पायलट सहित तीन कर्मी सुधार प्रयासों की देखरेख के लिए तिरुवनंतपुरम में ही हैं। पायलट लैंडिंग के बाद कॉकपिट में नहीं रहा और हवाई अड्डे के एप्रन कार्यालय क्षेत्र में आराम कर रहा है। एहतियाती प्रोटोकॉल के तहत घटना के बाद विमान चालक दल को आपातकालीन चिकित्सा केंद्र में ले जाया गया। तिरुवनंतपुरम अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डा लिमिटेड (टीआईएएल) उनके ठहरने आवास और भोजन की सुविधा प्रदान की है। रॉयल नेवी के अनुरोध पर एक स्थानीय ग्राउंड हैंडलिंग एजेंसी की भी व्यवस्था की गई। इससे पहले भारतीय वायु सेना ने IACCS रडार नेटवर्क के माध्यम से जेट को ट्रैक किया और लैंडिंग के लिए मंजूरी दी थी। छह दिन बाद भी ब्रिटेन का फाइटर जेट केरल के एयरपोर्ट पर खड़ा है। उसकी स्थिति में बदलाव नहीं हो पाया है। ब्रिटेन भारत की मदद क्यों नहीं ले रहा है। इसकाे लेकर सवाल खड़े हो रहे हैं।

India Edge News Desk

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