पूर्व IAS प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग केस में 5 साल की सजा – जानें पूरा मामला

नई दिल्ली

एक विशेष अदालत ने रिटायर आईएएस अधिकारी प्रदीप शर्मा को मनी लॉन्ड्रिंग (धन शोधन) के एक मामले में शनिवार को पांच साल कैद की सजा सुनाई है। उन पर 50,000 का जुर्माना भी लगाया गया है। यह मामला 2003 से 2006 के दौरान कच्छ के जिला कलेक्टर के रूप में उनके कार्यकाल के दौरान रियायती दरों पर सरकारी भूमि के आवंटन से जुड़ा है।

विशेष PMLA जज केएम सोजित्रा ने प्रदीप शर्मा को धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) की धारा 3 और 4 के तहत दोषी ठहराया। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रवर्तन निदेशालय (ED) द्वारा जांच के दौरान जब्त की गई संपत्तियां केंद्र सरकार द्वारा जब्त रहेंगी।

ईडी ने आरोप लगाया था कि प्रदीप शर्मा ने मानदंडों का उल्लंघन करते हुए वेल्सपन इंडिया लिमिटेड (Welspun India Limited) को रियायती दरों पर सरकारी भूमि का एक बड़ा हिस्सा स्वीकृत किया था। अभियोजन पक्ष ने कहा कि शर्मा को कंपनी को अनुचित लाभ पहुंचाने के लिए अवैध परितोषण मिला, जिसमें उनकी पत्नी के खाते में 29.5 लाख जमा किए गए थे, जो कि एक अमेरिकी नागरिक हैं।

ईडी के आरोप के अनुसार, प्रदीप शर्मा ने वेल्सपन इंडिया और उसकी समूह कंपनियों से प्राप्त अपराध की आय को लॉन्डर करने के लिए अपनी पत्नी के बैंक खाते का इस्तेमाल किया। इन फंडों का उपयोग कथित तौर पर एक आवास ऋण चुकाने और कृषि भूमि खरीदने के लिए किया गया था। ईडी के अनुसार, रिश्वत की राशि को चैनल करने के लिए 2004 से 2007 के बीच शर्मा की पत्नी को वैल्यू पैकेजिंग प्राइवेट लिमिटेड में 30% भागीदार बनाया गया था।

प्रदीप शर्मा के खिलाफ बीते कुछ वर्षों में विभिन्न एजेंसियों द्वारा कई मामले दर्ज किए गए हैं। मार्च 2010 में सीआईडी राजकोट ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत FIR दर्ज की। उन पर सरकारी खजाने को 1.20 करोड़ का नुकसान पहुंचाने का आरोप लगा। सितंबर 2010 में सीआईडी ने IPC के तहत एक और मामला दर्ज किया। इसके बाद मार्च 2012 में ईडी के अहमदाबाद जोनल कार्यालय ने 2010 की FIR के आधार पर PMLA के तहत एक आपराधिक मामला दर्ज किया।

सितंबर 2014 में भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया। आरोप लगाया कि उन्होंने वेलस्पन समूह के लिए कृषि भूमि को गैर-कृषि दर्जा देने के लिए अपने आधिकारिक पद का दुरुपयोग किया, यह जानते हुए कि उनकी पत्नी एक संबंधित कंपनी में भागीदार थीं। जुलाई 2016 में प्रदीप शर्मा को ED ने गिरफ्तार किया। मार्च 2018 में उन्हें जमानत मिल गई।

प्रदीप शर्मा को अप्रैल 2025 में एक अन्य मामले में भी दोषी ठहराया गया था। भुज कोर्ट ने 2004 में एक निजी कंपनी (सॉ पाइप्स प्राइवेट लिमिटेड) को सरकारी भूमि के आवंटन में अनियमितताओं से जुड़े 2011 के एक मामले में शर्मा को पांच साल के कठोर कारावास और 10,000 जुर्माने की सजा सुनाई थी। शर्मा वर्तमान में जेल में हैं।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *