कार लोन से लेकर होम लोन और महंगा होगा?
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : रिजर्व बैंक (RBI) की मौद्रिक नीति समिति (MPC) बैठक आज यानी 6 जून से शुरू होगी। ऐसा माना जा रहा है कि रिजर्व बैंक इस बैठक में भी रेपो रेट को 0.40% तक बढ़ाने का निर्णय ले सकता है। हर दो महीने में होने वाली इस तीन दिन की बैठक की अगुआई गवर्नर शक्तिकांत दास करेंगे। बैठक 8 जून को खत्म हो जाएगी। इससे पहले पिछले महीने मई में रिजर्व बैंक ने एक आपात बैठक कर रेपो रेट को 0.40% बढ़ाने का निर्णय लिया था। लगातार बढ़ती महंगाई से चिंतित RBI ने रेपो रेट को 4% से बढ़ाकर 4.40% कर दिया था। रेपो रेट बढ़ने से कार लोन से लेकर होम लोन तक महंगा हो गया है। ऐसे में अगर फिर से रेपो रेट बढ़ती है तो ये लोन की ब्याज दर और बढ़ सकती हैं।
बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि यह बैठक आर्थिक वृद्धि और महंगाई पर आरबीआई के आगामी कदमों के लिहाज से महत्वपूर्ण है। रेपो दर में 0.25-0.35 फीसदी से ज्यादा बढ़ोतरी नहीं होगी। इसकी प्रमुख वजह मई की बैठक में मिला संकेत है, जिसमें एमपीसी रेपो दर में बड़ी वृद्धि के पक्ष में नहीं थी। हाउसिंग डॉट कॉम समूह के सीईओ ध्रुव अग्रवाल का कहना है कि महंगाई को देखते हुए नीतिगत दर में फिर वृद्धि हो सकती है। रियल एस्टेट उद्योग की वृद्धि प्रभावित न हो, इसलिए दरों में बढ़ोतरी धीरे-धीरे होनी चाहिए।
उधर, बैंक ऑफ अमेरिका सिक्योरिटीज ने कहा कि केंद्रीय बैंक इस बार रेपो दर 0.40 फीसदी और अगस्त में 0.35 फीसदी बढ़ाएगा। आरबीआई ने इससे पहले मई में बिना किसी तय कार्यक्रम के रेपो दर में 0.40 फीसदी की वृद्धि की थी। रेपो रेट वह दर है जिस पर RBI द्वारा बैंकों को कर्ज दिया जाता है। बैंक इसी कर्ज से ग्राहकों को लोन देते हैं। रेपो रेट कम होने का अर्थ होता है कि बैंक से मिलने वाले कई तरह के लोन सस्ते हो जाएंगे। जबकि रिवर्स रेपो रेट, रेपो रेट से ठीक विपरीत होता है।
रिवर्स रेट वह दर है, जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI से ब्याज मिलता है। रिवर्स रेपो रेट के जरिए बाजारों में लिक्विडिटी, यानी नगदी को नियंत्रित किया जाता है। रेपो रेट स्थिर होने का मतलब है कि बैंकों से मिलने वाले लोन की दरें भी स्थिर रहेंगी। ब्याज दरों पर फैसला करने वाली RBI की MPC में 6 सदस्य होते हैं। इनमें 3 सरकार के प्रतिनिधि होते हैं और बाकी 3 सदस्य RBI का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिनमें गवर्नर भी शामिल होते हैं। MPC की तीन दिन तक चलने वाली मीटिंग में ही RBI रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट पर फैसला करता है।
(जी.एन.एस)