NCSC की जांच के बाद सिम कार्ड बदलने के बारे में सोच रही सरकार

नई दिल्ली

मोबाइल फोन में सबसे जरूरी चीज होती है सिम कार्ड, जिसे आप अपना आईडी प्रूफ देकर खरीदते हैं। अब भारत सरकार पुराने मोबाइल सिम कार्ड बदलने के बारे में सोच रही है। NCSC यानी नेशनल साइबर सिक्‍योरिटी कोऑर्डिनेटर की जांच के बाद सिम कार्ड बदलने के बारे में सोचा जा रहा है। सरकार की ओर से जियो, एयरटेल और वीआई यानी वोडा-आइडिया के अधिकारियों के साथ बैठक भी की गई है। रिपोर्ट के अनुसार, NCSC की जांच में कुछ सिम कार्डों में चीन में बने चिपसेट की मौजूदगी मिली है। इससे सुरक्षा संबंधी चिंताएं पैदा हुई हैं। रिपोर्ट में कहा गया है कि जो चिपसेट, सिम कार्डों में मिले हैं, वो सब्‍सक्राइबर की पहचान को स्‍टोर रखते हैं।

पहले बदले जा सकते हैं पुराने सिम

इस पूरे मामले की तकनीकी और कानूनी चुनौतियां हो सकती हैं। रिपोर्ट के अनुसार, NCSC और गृह मंत्रालय मिलकर इस मामले की जांच कर रहे हैं। सबसे पहले पुराने सिम कार्डों को बदलने का विचार है। रिपोर्ट में बताया गया है कि NCSC ने वीआई, भारती एयरटेल और रिलायंस जियो के अधिकारियों और दूरसंचार विभाग के साथ बैठक की है। बैठक में टेलिकॉम संसाधनों की खरीद में सुरक्षा खामियों को दूर करने पर बात हुई। इस पर भी चर्चा की गई कि सिम कार्ड बदलने के लिए एक ढांचा कैसे तैयार किया जाए।

चीनी कंपनियों के उपकरणों पर लगी है रोक

भारत सरकार ने कुछ साल पहले ही प्रमुख चीनी कंपनियों के उपकरणों पर रोक लगा दी थी। चीन की प्रमुख कंपनियां हुवावे और जेडटीई, भारतीय कंपनियों के साथ अब काम नहीं कर रहीं। अमेरिका भी हुवावे पर लगाम कस चुका है। रिपोर्ट में कहा गया है कि सरकार की मंजूरी के बिना चीन से सिम चिपसेट खरीदना, टेलिकॉम ऑपरेटरों की सोर्सिंग पर सवाल उठाता है। हालांकि ऐसा लगता है कि टेलिकॉम ऑपरेटरों को भी यह जानकारी नहीं थी कि जो सिम कार्ड खरीदे जा रहे हैं, उनमें चीनी चिप की मौजूदगी है।

सरकार नहीं दे रही ज्‍यादा जानकारी

मिंट की रिपोर्ट कहती है कि मामला संवेदनशील है, इसलिए सरकार इस बारे में ज्‍यादा जानकारी शेयर करने से बच रही है। यह रिपोर्ट दो अधिकारियों के हवाले से तैयार की गई है, जिन्‍होंने नाम ना छापने की शर्त पर यह जानकारी दी है। किन सिम कार्ड विक्रेताओं ने चीनी चिप का इस्‍तेमाल किया, यह जानकारी भी नहीं दी गई है।

1 अरब से ज्‍यादा मोबाइल सब्‍सक्राइबर्स

भारत में मोबाइल सब्‍सक्राइबर्स की संख्‍या 1.15 अरब है। रिपोर्ट के अनुसार, इनमें से कुछ सिम कार्डों में चीन में बने चिप लगे हैं, पर यह संख्‍या कितनी है, यह नहीं बताया गया है। रिपोर्ट के अनुसार, आमतौर पर टेलिकॉम ऑपरेटर सिम कार्ड की खरीदारी उन विक्रेताओं से करते हैं, जिन्‍हें भरोसेमंद माना जाता है। इनमें ताइवान और वियतनाम के विक्रेता शामिल हैं। वहां से चिप लेकर देश में ही सिम कार्ड की असेंबलिंग और पैकिंग की जाती है। ऐसा लगता है कि विक्रेताओं ने चीनी चिप का इस्‍तेमाल करके टेलिकॉम ऑपरेटरों को सिम की डिलिवरी दी।

सिम बदलने से क्‍या होगा

सिम कार्डों में चीनी चिप की मौजूदगी, सुरक्षा के लिए चिंता का विषय है। सिम कार्ड बदलकर सरकार यह सुनिश्चित करना चाहती है कि भविष्‍य में चीनी चिप वाले सिम भारतीय मार्केट में ना आएं। हालांकि इस काम में कुछ तकनीकी और कानूनी समस्‍याएं आएंगी। सिम कार्ड बदलने पर जो खर्च आएगा, उसे मुख्‍य तौर पर टेलिकॉम ऑपरेटरों को ही उठाना होगा।

India Edge News Desk

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