हिमाचल में भारी बारिश और भूस्खलन, 2023-25 में सैकड़ों मौतें, हजारों घर क्षतिग्रस्त

शिमला
हिमाचल प्रदेश मे भारी बारिश के चलते इस बार भी भीषण तबाही हुई है और इस तबाही की गवाही आंकड़े दे रहे हैं. तबाही के लिए अलग-अलग कारण गिनवाए जा रहे हैं लेकिन सबसे बड़ा कारण मानवीय चूक माना जा रहा है. जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वॉर्मिंग का असर साफ तौर पर हिमाचल में देखा जा रहा है.

मौसम विज्ञान केंद्र शिमला के अनुसार अब तक के तापमान के अध्ययन से पता चला है कि बीते 100 सालों में हिमाचल प्रदेश में तापमान में औसतन 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ौतरी हुई है. इसी का परिणाम है कि हिमाचल में लगातार प्राकृतिक आपदाओं की घटनाओं में बढ़ौतरी हुई है. साल 2023 की त्रासदी के जख्म अभी तक भरे नहीं हैं और 2025 में लगातार जख्म पर जख्म मिल रहे हैं.

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में इस मॉनसून सीजन में 20 जून से 5 सितंबर की सुबह 10 बजे तक 355 लोगों की मौत हो चुकी है  और 49 लोग लापता हैं. इसी तरह 416 घायल हुए हैं. आपदा में 5194 घर क्षतिग्रस्त हुए हैं. साथ ही 1945 मवेशियों की मौत और 25 हजार 755 पोल्ट्री वर्ड्स की भी जान गई है. आपदा से अब तक प्रदेश को 3787 करोड़ से ज्यादा का नुकसान हो चुका है.

बीते 2 सालों में हुए नुकसान की बात करें तो आपदा प्रबंधन प्राधिकरण की रिपोर्ट के अनुसार साल 2023 में आई भीषण आपदा में हिमाचल में 509 लोगों मौत हुई थी और 12 हजार 034 घरों को नुकसान हुआ था, जिनमें  2944 घर पूरी तरह से क्षतिग्रस्त हुए थे. 2023 में 528 घायल हुए थे और 38 लोग लापता हो गए थे. हिमाचल को  9 हजार 712 करोड़ की संपत्ति का नुकसान हुआ था.  वर्ष 2024 में हिमाचल में आई आपदा में 174 लोगों की जान गई थी, 200 से ज्यादा लोग घायल हुए थे और 31 लोग लापता हुए थे. प्रदेश में 1613 करोड़ की सरकारी और निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचा था.

आठ साल में कितनी बार बादल फटे

इस वर्ष जुलाई माह से पहले राज्य आपदा प्रबंधन की ओर से केंद्रीय गृह मंत्रालय को सौंपी गई एक रिपोर्ट के अनुसार हिमाचल प्रदेश में साल 2018 से लेकर जुलाई 2025 बादल फटने की 148 घटनाएं हो चुकी हैं. इसके अचानक बाढ़ आने की 294 और भूस्खलन की 5 हजार से ज्यादा घटनाएं हो चुकी है. इस बार 20 जून से अब तक 45 बार बादल फटने की घटनाएं दर्ज की गई हैं. वहीं, 105 बड़े भूस्खलन, 91 फ्लैश फ्लड आए हैं. फ्लैश और लैंडस्लाइड में 161 लोगों की मौत और 154 लोगों की सड़क हादसों में जान गई है.

मौसम में आए इस बदलाव को लेकर टीम ने शिमला स्थित मौसम विज्ञान केंद्र में कार्यरत मौसम विज्ञानी संदीप शर्मा से बात की. प्रदेश में इस वक्त हो रही लगातार बारिश को लेकर संदीप शर्मा ने बताया कि 8 सितंबर तक मॉनसून थोड़ा कमजोर पड़ेगा. उन्होंने कहा कि इस वर्ष इतनी ज्यादा बारिश होने का कारण यही है कि मॉनसून पूरा समय सक्रिय रहा है. संदीप शर्मा ने कहा कि इस वर्ष जून माह में सामान्य से 34 प्रतिशत अधिक बारिश हुई है, जुलाई में सामान्य बारिश हुई है जबकि अगस्त में रिकार्ड 68 प्रतिशत अधिकत बारिश हुई है.

बीते 100 सालों में 9वीं बार सबसे अधिक हुई बारिश

संदीप सिहं बताते हैं कि 1901 से लेकर अब तक के आंकड़ों के अनुसार इस वर्ष अगस्त महीने में हुई बारिश बीते 100 सालों में 9वीं बार सबसे अधिक हुई बारिशों में से एक है. इससे पहले 1948 में अगस्त में हिमाचल में 456.5 मिलीमीटर बारिश हुई थी औऱ इस वर्ष 431 मिलीमीटर बारिश हुई है. संदीप शर्मा ने बताया कि तापमान में अप्रत्याशित बढ़ौतरी हुई है, पिछले 100 सालों में हिमाचल में तापमान में 1.5 डिग्री सेल्सियस की बढ़ौतरी हुई है. उन्होंने कहा कि जलवायु में लगातार हो रहे परिवर्तन के लिए बहुत से कारण जिम्मेदार हैं, अब पर्यावरण और पारिस्थितिकी को ध्यान में रख कर हर कार्य करने की जरूरत है.

India Edge News Desk

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