मृत्यु के बाद पहला श्राद्ध कैसे करें? जानें नियम और धार्मिक कारण

हिंदू धर्म में पितृ पक्ष का विशेष महत्व है. पितृपक्ष के दौरान अपने पितरों या पूर्वजों का श्राद्ध और पिंडदान किया जाता है. ऐसा करने से पितरों और मृत आत्माएं तृप्त होती है. साल 2025 में पितृपक्ष की शुरुआत 7 सितंबर से हो चुकी है जो 22 सितंबर यानी सर्वपितृ अमावस्या तक चलेंगे.

पितृपक्ष के दौरान पितरों का तर्पण, पिंडदान करना शुभ माना जाता है, मान्यता है ऐसा करने से पितृ खुश होते हैं और आशीर्वाद देते हैं. लेकिन श्राद्ध करने के कई नियम हैं जिनका पालन अवश्य करना चाहिए. जानते हैं किसी की मृत्यु के बाद पहला श्राद्ध कब करना चाहिए. क्या हैं श्राद्ध करने के नियम जानें इसका धार्मिक कारण.

कई बार लोग सही जानकारी ना होने की वजह से किसी की भी मृत्यु के बाद उनका श्राद्ध कर देते हैं. लेकिन इस बात का खास ख्याल रखना चाहिए और प्रथम वर्ष श्राद्ध नहीं करना चाहिए.

पहले श्राद्ध से जुड़ी जरूरी बातें
    पहला श्राद्ध एक वर्ष पूर्ण होने के बाद करना चाहिए. शास्त्रों के अनुसार, मृत्यु के बाद जब मृतक की पहली बरसी आती है, तब पहला श्राद्ध किया जाता है. श्राद्ध कर्म हमेशा तिथि के अनुसार करें. अगर आप तिथि का हिसाब ना लगा सकते हो तो किसी पंडित से तिथि के बारे में जान सकते हैं.
    जिनकी मृत्यु किसी भी माह के शुक्ल पक्ष या कृष्ण पक्ष की प्रतिपदा, द्वितीया, तृतीया आदि किसी भी तिथि पर अगर हुई है तो उन लोगों का श्राद्ध पितृपक्ष में उसी तिथि पर किया जाता है.
    तिथि पर ही श्राद्ध करने का विशेष महत्व होता है. श्राद्ध हमेशा उसी तिथि पर करना चाहिए जिस तिथि पर मृत्यु होती है.
    अगर किसी की बरसी पितृ पक्ष में आ जाए तो उस दिन किया गया श्राद्ध और भी अधिक फलदायी माना जाता है.

कब करें पहला श्राद्ध ?
पितृ की वार्षिक यानी बरसी के बाद श्राद्ध किया जा सकता है. इसलिए कोशिश करें जब तक वार्षिक यानी बरसी ना हो जाए तब तक श्राद्ध ना करें. वार्षिक या बरसी व्यक्ति की मृत्यु के सालभर के अंदर ही होती है. किसी का भी पहला श्राद्ध आत्मा को शांति और संतोष प्रदान करता है. श्राद्ध कर्म करने से पितरों का आशीर्वाद और उनकी कृपा प्राप्त होती है.

India Edge News Desk

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