स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम से लैस होगा भारत का आसमान

नई दिल्ली:

भारतीय सेना को जल्द ही एक नया स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम मिलने वाला है। इसपर लगभग 30,000 करोड़ रुपये की लागत आएगी। इसके तहत क्यूआर-एसएएम (QR-SAM:Quick Reaction Surface to Air Missile) सिस्टम खरीदे जाएंगे। रक्षा मंत्रालय जल्द ही इस प्रस्ताव पर विचार करने वाला है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अगुवाई वाली रक्षा अधिग्रहण परिषद इस महीने के अंत तक इस प्रस्ताव को मंजूरी दे सकती है। इस मंजूरी को 'आवश्यकता की स्वीकृति' (Acceptance of Necessity) यानी एओएन कहा जाता है। QR-SAM सिस्टम बहुत तेजी से काम करने वाला स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम है। इसे दुश्मन के लड़ाकू विमानों, हेलीकॉप्टरों और ड्रोन को 25-30 किलोमीटर की दूरी तक अचूक तरीके से मार गिराने के लिए बनाया गया है।
हर तरह की कसौटी पर खरा उतरा है क्यूआर-एसएएम सिस्टम

यह कदम भारत के मौजूदा एयर डिफेंस सिस्टम की कामयाबी पर विचार के बाद उठाया जा रहा है। हाल ही में इस सिस्टम ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान पाकिस्तान की ओर से भेजे गए तुर्की मूल के ड्रोन और चीनी मिसाइलों को मार गिराने में बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। यह ऑपरेशन 7 से 10 मई को हुआ था। डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) और भारतीय सेना ने पिछले तीन-चार सालों में QR-SAM सिस्टम का सफल परीक्षण किया है। उन्होंने इसे अलग-अलग तरह के खतरों का सामना करने के लिए जांचा और परखा है। यह परीक्षण दिन और रात दोनों समय किया गया है। भारत इलेक्ट्रोनिक्स (Bharat Electronics) और भारत डिनामिक्स (Bharat Dynamics) नाम की सरकारी कंपनियां मिलकर QR-SAM सिस्टम बनाएंगी।

दुश्मन को खोज कर मारने में कामयाब है क्यूआर-एसएएम सिस्टम

एक अधिकारी के मुताबिक,यह 'QR-SAM सिस्टम चलते-फिरते भी काम कर सकता है। यह दुश्मन को खोज और ट्रैक कर सकता है और थोड़े समय के लिए रुककर भी हमला कर सकता है। इसे टैंकों और पैदल सेना के वाहनों के साथ चलने के लिए बनाया गया है, ताकि युद्ध के मैदान में उन्हें हवाई हमलों से बचाया जा सके। सेना की वायु रक्षा (AAD) ने 'ऑपरेशन सिंदूर' में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया था। उन्हें QR-SAM की 11 रेजिमेंट चाहिए। इसके साथ ही, वे स्वदेशी आकाश सिस्टम को भी शामिल कर रहे हैं, जिसकी मारक क्षमता लगभग 25 किलोमीटर है।

और मजबूत होगी वायु सेना और थल सेना की रक्षा प्रणाली

QR-SAM सिस्टम के आने से IAF (भारतीय वायु सेना) और सेना की मौजूदा वायु रक्षा प्रणाली और मजबूत हो जाएगी। इस प्रणाली में लंबी दूरी की रूसी एस-400 ट्रिम्फ 'S-400 Triumf' मिसाइलें (380 किलोमीटर की मारक क्षमता) और बराक-8 (Barak-8) मध्यम दूरी की एसएएम(Surface to Air Missile) सिस्टम (70 किलोमीटर) शामिल हैं, जिसे इजराइल के साथ मिलकर बनाया गया है। इसके अलावा, इसमें रूसी इगला-एस (Igla-S) मिसाइलें (6 किलोमीटर), एल-70 एंटी-एयरक्राफ्ट गन (3.5 किलोमीटर) और स्वदेशी ड्रोन का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने वाले सिस्टम (1 किलोमीटर-2 किलोमीटर) भी शामिल हैं।

स्वदेशी एयर डिफेंस सिस्टम में आगे और बड़ी योजना पर काम

डीआरडीओ बहुत कम दूरी की वायु रक्षा मिसाइल प्रणाली (VSHORADS) भी तैयार कर रहा है, जिसकी मारक क्षमता 6 किलोमीटर है। लेकिन, असली गेम-चेंजर 'प्रोजेक्ट कुशा' के तहत विकसित की जा रही 350 किलोमीटर की मारक क्षमता वाली वायु रक्षा प्रणाली होगी। भारत इस लंबी दूरी की प्रणाली को 2028-2029 तक तैनात करने की योजना बना रहा है। रक्षा मंत्रालय ने सितंबर 2023 में भारतीय वायु सेना (IAF) के लिए इसके पांच स्क्वाड्रन खरीदने के लिए 21,700 करोड़ रुपये की एओएन को मंजूरी दी थी।

 

India Edge News Desk

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