दिल्ली में मंत्री, दिल अब भी एमपी में! शिवराज की सक्रियता के पीछे क्या है रणनीति?

भोपाल
 शिवराज सिंह चौहान भले ही अब केंद्र में कृषि मंत्री की भूमिका में हों, लेकिन उनकी चालें, मुस्कानें और मुलाकातें साफ कह रही हैं कि उनका दिल अब भी मध्य प्रदेश की धरती के लिए धड़कता है। धड़के भी क्यों ना? जहां जन्म लिया, जहां से राजनीति का ककहरा सीखा और फिर 20 साल सत्ता के मुखिया रहे। दिल धड़कना तो लाजिमी है लेकिन आदिवासियों के हक की आवाज हो, किसान सभा हो या उनकी पदयात्रा… राजनीति के जानकार बताते हैं कि सीहोर से इंदौर तक उनकी मौजूदगी केवल सरकारी दौरे नहीं, बल्कि एक नई राजनीतिक पटकथा का संकेत लगती हैं।

क्या हैं इस बढ़ती सक्रियता के मायने?
मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से जानने वाले वरिष्ठ पत्रकार देवश्री माली कहते हैं कि मुख्यमंत्री मोहन यादव को शिवराज सिंह चौहान की ओर से कोई चुनौती आने की संभावना नहीं है। अगर हम बीजेपी का ट्रेंड देखें तो हमें यह बात समझ आ जाएगी। जब यह लोग शिवराज सिंह को लेकर आए थे, तब उमा भारती हर द्रष्टि से बहुत बड़ी नेता थीं। बाबूलाल गौर भी ठीक-ठाक पुराने नेता थे। लेकिन तब भी शिवराज को लेकर आया गया। इस बार भी ऐसा ही सीन है लेकिन शिवराज अब चरित्र अभिनेता के रूप में आ गए हैं। अब उनको आगे ही जाना है। हम 20 साल काम कर चुके नेता और पहली बार काम कर रहे नेता के बीच में तुलना करेंगे तो यह सही नहीं होगा।

मोहन यादव को बीजेपी के पीढ़ी परिवर्तन सिद्दांत की वजह से सत्ता में लाया गया। रही बात शिवराज सिंह चौहान की सक्रियता की तो वह पार्टी के लिए फायदेमंद ही रहेगी। बीजेपी के मूल कैडर में न तो विद्रोह करने की क्षमता होती है और न उसकी इच्छा होती है। उन्हें पता होता है कि वह इसी संगठन से निकले हुए हैं। पार्टी भले ही शिवराज को राष्ट्रीय राजनीति में ले गई लेकिन वह मध्य प्रदेश में अपनी सियासी जड़ों को सामाजिक सराकारों के जरिए मजबूत करना चाहते हैं।

'शिवराज सिंह का कार्यक्षेत्र है मध्य प्रदेश'
मध्य प्रदेश की राजनीति को करीब से जानने वाले राजनीतिक विश्लेषक प्रो. लोकेंद्र सिंह इस मुद्दे पर अपनी राय रखते हुए कहते हैं कि मध्य प्रदेश उनका घर है, मध्य प्रदेश उनका कार्यक्षेत्र है, वह मध्य प्रदेश से चुनकर आते हैं। यहां तो एक्टिव होंगे ही होंगे लेकिन साथ ही साथ अन्य राज्यों में भी उनकी बराबर सक्रियता रहती है। चूंकि वह रहने वाले यहीं के हैं तो यहीं आएंगे।

मुख्यमंत्री मोहन यादव को कितना नुकसान?
प्रो. लोकेंद्र सिंह बताते हैं कि शिवराज सिंह चौहान, मुख्यमंत्री मोहन यादव को नुकसान पहुंचाकर सबकी नाराजगी मोल क्यों लेंगे। ये बाजार में बनाया जाने वाला विषय है। यह पूछे जाने पर कि केंद्र में शिवराज बिना उनकी मर्जी के भेजे गये, प्रो. लोकेंद्र सिंह कहते हैं कि 20 साल मुख्यमंत्री रहने वाले व्यक्ति को सामान्य सांसद तो बना नहीं सकते। ये तो लॉजिक भी नहीं होता। ऐसा करना एक बड़े वर्ग को नाराज करना भी हो जाता। केंद्र उनकी काबिलियत का उपयोग करना चाहता था। इसलिए उन्हें कृषि मंत्री बनाकर दिल्ली बुला लिया।

'समीकरण के हिसाब से मिलती है पद प्रतिष्ठा'
एमपी के एक और वरिष्ठ पत्रकार से जब इस विषय पर चर्चा की गई, तो उन्होंने कहा कि राजनीति में पद प्रतिष्ठा समीकरण के हिसाब से मिलती है। एक वक्त था, जब समीकरण ऐसे बने थे कि उमा भारती जैसी दिग्गज नेता को हटाकर शिवराज सिंह को मुख्यमंत्री बनाया गया। अभी समीकरण अलग हैं, लोकसभा चुनाव में बीजेपी को बहुमत नहीं मिला है। गठबंधन में सरकार बनाने की वजह से बीजेपी को केंद्र में कुछ ऐसे चेहरे चाहिए, जो सर्वमान्य हों। शिवराज सिंह ऐसे कुछ चेहरों में से एक हैं। मध्य प्रदेश में उनकी सक्रियता को सिर्फ उनके कार्यक्षेत्र या जड़ों से जुड़ने की कोशिश से नहीं जोड़ सकते। उनका अधिकारियों को डांटना, सीएम के घर आदिवासियों को लेकर पहुंचना, पदयात्राएं, उनका एटीट्यूड… सब कुछ उन्हीं की लिखी स्क्रिप्ट का हिस्सा लगता है।

रिटायर्ड हर्ट नहीं होना चाहते हैं 'मामा'
क्या ये एक संयोग है कि वे अपने पुराने गढ़ों में फिर से जनसंपर्क कर रहे हैं, या एक सुनियोजित वापसी की पटकथा? शिवराज की यह सक्रियता न केवल भाजपा के आंतरिक संतुलन को झकझोर रही है, बल्कि यह भी जता रही है कि मध्य प्रदेश की राजनीति से 'मामा' अभी रिटायर्ड हर्ट नहीं हुए हैं।

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button