म्यूचुअल फंड योजनाओं में 72,846.79 करोड़ रुपए की शुद्ध वृद्धि दर्ज
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
नई दिल्ली : वित्तीय बाजारों में भारी उतार-चढ़ाव के बावजूद भारत में वित्त वर्ष 2022-23 के अप्रैल माह में म्यूचुअल फंड उद्योग की ऋण-पत्र, शेयर और हाइब्रिड निवेश योजनाओं में कुल मिला कर निवेश में 72,846.79 करोड़ रुपए की शुद्ध वृद्धि दर्ज की गई। म्युचुअल फंड कंपनियों के संगठन एमएफआई के मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार अप्रैल 2022 के अंत में इस उद्योग के प्रबंध के अधीन कुल संपत्ति 38.03 लाख करोड़ रुपए रही हो मार्च 2022 के अंत में 37.56 लाख करोड़ रुपए थी।
एसआईपी में अच्छे प्रवाह के चलते म्युचुअल फंडों की शेयरों में निवेश वाली योजनाओं में अप्रैल में 15,890 करोड़ रुपए का शुद्ध प्रवाह दर्ज किया जबकि मार्च 2022 में शेयर निवेश योजनाओं में शुद्ध रूप से 28,463 करोड़ रुपए की पूंजी आई थी। ऋण-प्रतिभूतियों में निवेश पर केंद्रित योजनाओं में मार्च 2022 में हुई 114,823 करोड़ रुपए शुद्ध पूंजी-निकासी की अप्रैल में 54,756 करोड़ रुपए का शुद्ध प्रवाह रहा।
यूक्रेन संकट और महंगाई के दबाव के बीच अमेरिका में नीतिगत ब्याज दरों के बढ़ाए जाने से विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के भारत जैसे उभरते बाजारों से पूंजी निकाने से स्थानीय शेयर बाजारों में अप्रैल में प्रमुख शेयर सूचकांकों में तेज गिरावट रही। स्मॉल और मिडकैप इंडेक्स में मामूली बढ़त दर्ज की गई। क्षेत्र विशेष पर केंद्रित योजनाओं में अप्रैल में सबसे ज्यादा 3,843 करोड़ रुपए का शुद्ध प्रवाह हुआ। इसमें आईसीआईसीआई प्रूडेंशियल हाउसिंग अपॉर्चुनिटीज फंड की नई योजना का सबसे बड़ा योगदान है। इस फंड में 3,130 करोड़ रुपए जुटे।
मोतीलाल ओसवाल एएमसी के मुख्य व्यवसाय अधिकारी अखिल चतुर्वेदी ने कहा, ‘‘बाजारों में अस्थिरता और वैश्विक और स्थानीय स्तर पर व्यापक आर्थिक कारकों के डर के बावजूद, इक्विटी में निरंतर सकारात्मक प्रवाह देखने के लिए यह एक अच्छा रुझान है। हालांकि पिछले महीने की तुलना में कम, जो एनएफओ आवंटन के कारण हो सकता है, एसआईपी प्रवाह मजबूत है जो बहुत सकारात्मक भी है। उन्हें उम्मीद है कि एसआईपी प्रवाह में सकारात्मक रुझान जारी रहेगा। शेयर बाजार पर केंद्रित सिस्टेमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (एसआईपी) में अप्रैल में शुद्ध निवेश 11,863 करोड़ रुपए रहा जो मार्च में 12,327 करोड़ रुपए से हल्का ही कम रहा। इस दौरान एसआईपी खातों की संख्या 5.27 करोड़ से बढ़कर 5.39 करोड़ हो गई।
(जी.एन.एस)