NASA का X-59 जेट पहली उड़ान में बना सबसे शांत सुपरसोनिक विमान

कैलिफोर्निया

नासा का नया एक्सपेरिमेंटल जेट X-59 आखिरकार उड़ान भर चुका है. यह कोई आम जेट नहीं, बल्कि एक ऐसा जेट है जो आवाज की रफ़्तार तोड़ते हुए भी वो जोरदार “धमाका” यानी सॉनिक बूम नहीं करता, जो आमतौर पर सुपरसोनिक विमानों के साथ सुनाई देता है.

कैलिफोर्निया के पामडेल रीजनल एयरपोर्ट से  सुबह 10:13 बजे X-59 ने उड़ान भरी. यह उड़ान नासा के लिए बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.

बिना शोर के टूटी ‘साउंड बैरियर’
आमतौर पर जब कोई विमान आवाज़ की रफ़्तार (Speed of Sound) से तेज़ उड़ता है, तो ज़मीन पर ज़बरदस्त धमाका सुनाई देता है. इसे ही सॉनिक बूम कहा जाता है, जो इमारतों के शीशे तक हिला सकता है. यही वजह है कि 1973 से अमेरिका में आबादी वाले इलाकों के ऊपर सुपरसोनिक उड़ानें प्रतिबंधित हैं.

लेकिन X-59 को खास इसी समस्या को हल करने के लिए बनाया गया है. इसे इस तरह डिज़ाइन किया गया है कि ये तेज़ उड़ान के बावजूद हवा में पैदा होने वाले झटकों और शोर को कम कर दे. नासा का मानना है कि अगर ये प्रयोग सफल रहा, तो आने वाले समय में दुनिया के सबसे “शांत” सुपरसोनिक फ्लाइट्स का दौर शुरू हो सकता है.

चुपचाप हुई पहली उड़ान
दिलचस्प बात ये है कि नासा ने इस टेस्ट फ्लाइट की कोई औपचारिक घोषणा नहीं की. न ही कोई प्रेस रिलीज़ जारी की गई. इसकी एक वजह अमेरिका में चल रहा सरकारी शटडाउन भी बताया जा रहा है.

हालांकि विमान प्रेमियों और फोटोग्राफरों ने इस उड़ान के वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर कर दीं. तस्वीरों में X-59 को आसमान की ओर ऊंची उड़ान भरते और मोजावे डेजर्ट के ऊपर से गुजरते देखा गया. फ्लाइट ट्रैकिंग वेबसाइट्स के मुताबिक, विमान करीब एक घंटे तक हवा में रहा और एडवर्ड्स एयर फोर्स बेस के ऊपर गोल-गोल घूमता रहा.

अब होगी लंबी टेस्टिंग
पहली उड़ान के बाद X-59 को अब नासा के आर्मस्ट्रॉन्ग फ्लाइट रिसर्च सेंटर में ले जाया गया है. यहीं से आने वाले महीनों में इसकी लंबी टेस्टिंग की जाएगी.

इस दौरान नासा की टीम इसे कई बार उड़ाएगी और ज़मीन पर लगे सैकड़ों माइक्रोफोन से इसकी आवाज़ और कंपन को मापा जाएगा. इसके अलावा, कुछ खास तरह के सेंसर लगे दूसरे विमानों को भी इसके साथ उड़ाया जाएगा ताकि यह समझा जा सके कि ये जेट हवा में कैसा व्यवहार करता है.

‘स्कंक वर्क्स’ में हुआ डिजाइन
इस जेट को नासा ने लॉकहीड मार्टिन के साथ मिलकर तैयार किया है. इसे कंपनी के मशहूर “स्कंक वर्क्स” यूनिट में डिज़ाइन किया गया है, जहां दुनिया के कई सबसे गुप्त और एडवांस्ड विमान बनाए गए हैं.

X-59 का पूरा स्ट्रक्चर और आकार इस तरह तैयार किया गया है कि हवा में चलते वक्त झटके और शोर बेहद कम रहें. इसका आगे का हिस्सा काफी लंबा और पतला है, जिससे हवा के टकराने का असर कम हो जाता है.

क्यों है X-59 इतना अहम?
नासा का मकसद सिर्फ एक नया जेट बनाना नहीं, बल्कि दुनिया को यह साबित करना है कि सुपरसोनिक उड़ानें बिना शोर के भी संभव हैं. अगर यह प्रयोग सफल रहा, तो अमेरिका में लगभग 50 साल बाद फिर से सुपरसोनिक उड़ानों पर लगा प्रतिबंध हट सकता है.

इससे न सिर्फ कमर्शियल फ्लाइट्स तेज़ होंगी, बल्कि डिज़ास्टर रिलीफ, मेडिकल ट्रांसपोर्ट और दूसरे ज़रूरी कामों के लिए भी तेज़ मदद पहुंचाई जा सकेगी.

 

India Edge News Desk

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