नेपाल ने बढ़ा दी व्हाइट हाउस की कसमसाहट

डॉ. सुधीर सक्सेना

जो कुछ हुआ उम्मीद के विपरीत हुआ। नेपाल से ऐसी उम्मीद न थी। यकबयक, नेपाल अमेरिकी हत्थे से उखड़ गया। यह किसी से छिपा नहीं है कि अमेरिका की एशिया, पैसिफिक नीतियों में नेपाल का महत्व बढ़ा है। उक्राइना और रूस की जंग के उपरांत विश्व में जिस तरह की घटनाएं घट रही हैं, उन्होंने व्हाइट हाउस की कसमसाहट बढ़ा दी है और वह बिसात पर गोटियां नये सिरे से बिठाने की उधेड़बुन और कोशिशों में मशगूल है।

यह बात किसी से छिपी नहीं है कि फिलवक्त व्हाइट हाउस भारत से नाखुश है। भारत की स्वतंत्र वैदेशिक नीति उसे रास नहीं आ रही है। रूस-उक्राइना जंग में भारत की तटस्थता से उसकी पेशानी पर सले हैं। धारा 370 का विलोप भी उसे नागवार गुजरा है। गौरतलब है कि भारत और अमेरिका के पारस्परिक संबंध कितने भी खट्टे-मीठे क्यों न रहे हों, अमेरिका ने नेपाल से सीधे संबंधों को कभी वरीयता नहीं दी। लेकिन अब वह काठमांडू की ओर सीधे पींगे भरता नजर आ रहा है। सन् 2017 के बाद इसमें तेजी आई हैं। हिन्द-प्रशांत क्षेत्र में 36 देशों में अमेरिकी मिशन के मुखिया जॉन एक्विलिनो की काठमांडू यात्रा और नेपाल को 500 मिलियन डॉलर की मदद का ऐलान इसी मुहिम का हिस्सा है।

नेपाल इस बात को बखूबी जानता है कि वह दो महाशक्तियों-भारत और चीन के मध्य फंसा ‘सैंडविच्ड’ राष्ट्र है। अपने आर्थिक और सामरिक हितों की पूर्ति के साथ ही उसका प्रयास है कि वह किसी भी महाशक्ति की गोदी में बैठा नजर नहीं आए। उसकी कोशिश है कि उसकी ननीतियों-रीतियों से किसी भी महाशक्ति की भृकुटि में बल न पड़े। इन्हीं संदर्भों में नेपाल ने खुद पहल कर अमेरिका के स्टेट पार्टनरशिप प्रोग्राम में शामिल नहीं होने का फैसला किया है। हालांकि, विवाद पहले से चल रहा था। अलबत्ता 20 जून को नेपाली संसद ने कैबीनेट की बैठक में एसपीपी का हिस्सा नहीं बनने का फैसला किया है। इस फैसले पर अभी तक अमेरिकी प्रतिक्रिया तो नहीं मिली है, लेकिन नेपथ्य से चीन की तालियां बजाने की आवाज लगातार आ रही है। काठमांडू की पहल पर बीजिंग हर्षित है। चीन के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन ने 23 जून को कहा कि एक दोस्त, नजदीकी पड़ोसी और रणनीतिक सहयोगी होने के नाते चीन नेपाल के फैसले की सराहना करता है। उन्होंने कहा-‘‘ नेपाल को उसकी संप्रभुता, स्वतंत्रता और क्षेत्रीय अखंडता को बनाए रखने में चीन अपना समर्थन जारी रखेगा और स्वतंत्र तथा गुटनिरपेक्ष विदेशनीति के प्रति नेपाल की प्रतिबद्धता का समर्थन करेगा। चीन नेपाल के साथ मिलकर क्षेत्रीयता सुरक्षा, स्थिरता और साझा समृद्धि की रक्षा के लिए काम करने को तैयार है।’’

वांग का बयान स्पष्ट है। नये समीकरण बन रहे हैं, जिन पर भारत को भी नजर रखने की जरूरत है। यकीनन जुलाई में नेपाल के प्रधानमंत्री शेर बहादुर देऊबा की अमेरिका-यात्रा खटाई में पड़ गयी है और बारिश के सीजन में नेपाल-अमेरिका के रिश्तों में सीलन आ सकती है।

India Edge News Desk

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