अब गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी बनाने लगी हैं गौठान से जुड़ी महिलाएं
कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन पूरे देश में घर-आंगन एवं पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए गोबर की लिपाई की परंपरा है। अब गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से घर की पोताई होगी। प्राकृतिक पेंट को निर्माण कार्यों के एस.ओ.आर. में शामिल कर रहे है, ताकि शासकीय भवनों के रंग-रोगन में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सके।
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
रायपुर : मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की गांवों को स्वावलंबी और उत्पादक केन्द्र के रूप में विकसित करने की मंशा तेजी से मूर्तरूप लेने लगी है। सुराजी गांव योजना के तहत गांवों में स्थापित गौठान अब ग्रामीणों के लिए रोजगार एवं आर्थिक आय का केन्द्र बनते जा रहे हैं। गौठानों में अब तक संचालित विविध प्रकार की आयमूलक गतिविधियों में एक और नया आयाम जुड़ गया है। गौठान से जुड़ी समूह की महिलाएं अब गोबर से प्राकृतिक पेंट और पुट्टी बनाने लगी हैं। इसकी शुरूआत राजधानी रायपुर के समीप स्थित हीरापुर जरवाय गौठान से हुई है। यहां समूह से जुड़ी 22 महिलाएं गोबर से प्राकृतिक पेंट एवं पुट्टी तैयार कर रही है। जिसका उपयोग भवनों के पोताई के लिए भी शुरू हो गया है। गोबर से तैयार यह प्राकृतिक पेंट की कीमत फिलहाल 230 रूपए प्रति लीटर है, जो मार्केट में कम्पनियों के पेंट के मूल्य से लगभग आधी है।
हीरापुर जरवाय गौठान में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 25 लाख रूपए की मशीनें लगाई गई हैं। समूह की अध्यक्ष श्रीमती धनेश्वरी रात्रे ने बताया कि गाय के गोबर पहले डी वाटर कर्लिंग मशीन में डाला जाता है और पानी मिलाकर घोल तैयार कर उसमें कई अन्य सामग्री मिलाई जाती है, फिर इन सब को हाई स्पीड डिस्पेंसर मशीन में मिक्स किया जाता है। इसके बाद पेंट और पुट्टी तैयार होती है। जरवाय गौठान में लगी मशीन से आठ घंटे में एक हजार लीटर पेंट तैयार किया जा सकता है। इसकी क्वालिटी ब्रांडेड कम्पनी के जैसी है। 50 किलो गोबर से 100 पेंट तैयार होता है।
समूह की अध्यक्ष ने बताया कि जरवाय गौठान में गोबर से वर्मी कम्पोस्ट बनाने की शुरूआत की गई, इसके बाद समूह की महिलाओं ने गोबर से दीया गमला, मूर्ति, गुलाल बनाने सहित अन्य आयमूलक गतिविधियां शुरू की। गोबर से पेंट बनाने के लिए महिलाओं ने विधिवत प्रशिक्षण भी प्राप्त किया। उनके द्वारा तैयार किए गए प्राकृतिक पेंट की डिमांड है। गौरतलब है कि गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण के लिए 21 नवम्बर 2021 को मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की मौजूदगी में कुमाराप्पा नेशनल पेपर इंस्टीट्यूट जयपुर, खादी एवं ग्रामोद्योग आयोग, सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्यम मंत्रालय नयी दिल्ली और छत्तीसगढ़ राज्य गौ सेवा आयोग के मध्य हुआ था।
राज्य में प्रथम चरण में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 75 गौठान चयनित किए गए हैं। गौठानों में गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने की मशीनें स्थापित किए जाने का काम तेजी से जारी है। कई गौठानों में मशीनें लग चुकी है, जहां शीघ्र ही उत्पादन शुरू होगा। प्रतिदिन 50 हजार लीटर तथा साल भर में 37 लाख 50 हजार लीटर प्राकृतिक पेंट का उत्पादन सम्भावित है।
राज्य में गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण शुरू होने पर खुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि गोधन न्याय योजना की शुरुआत करते हुए मैंने कहा था कि यह योजना हमारे लिए वरदान साबित होगी। हम इस योजना के माध्यम से एक साथ बहुत सारे लक्ष्य हासिल करेंगे। बहुत थोड़े से समय में ही मेरी वह बात सच साबित हो चुकी है। आज गोधन न्याय योजना हमारे गांवों की ताकत बन चुकी है। इससे पूरे देश में छत्तीसगढ़ को नयी पहचान मिली है। गौठान समितियों और महिला समूहों को आमदनी का एक नया जरिया मिला। पशुपालन और डेयरी व्यवसाय को नया जीवन मिला और दूध का उत्पादन भी बढ़ा। छत्तीसगढ़ में श्वेत-क्रांति की नयी शुरुआत हुई। इसी गोबर से हमारी बहनों ने दीये और तरह-तरह के चीजें बनाकर त्यौहारी-बाजार में भी अपने लिए जगह बनाई। 02 अक्टूबर 2021 से राज्य में गोबर से बिजली बनाने की शुरुआत बेमेतरा, दुर्ग और रायपुर जिले के तीन गोठानों से हो चुकी है।
गोबर से प्राकृतिक पेंट के निर्माण का मुख्य घटक कार्बाेक्सी मिथाईल सेल्यूलोज (सीएससी) होता है। सौ किलो गोबर से लगभग 10 किलो सूखा सीएमसी तैयार होता है। कुल निर्मित पेंट में 30 प्रतिशत मात्रा सीएमसी की होती है। वर्तमान में 25 गौठानों में पेंट निर्माण ईकाई तथा 50 गौठानों में सीएमसी ईकाई स्थापित की जा रही है।
कृषि मंत्री श्री रविन्द्र चौबे ने कहा कि छत्तीसगढ़ ही नहीं वरन पूरे देश में घर-आंगन एवं पूजा स्थल को पवित्र करने के लिए गोबर की लिपाई की परंपरा है। अब गोबर से बने प्राकृतिक पेंट से घर की पोताई होगी। प्राकृतिक पेंट को निर्माण कार्यों के एस.ओ.आर. में शामिल कर रहे है, ताकि शासकीय भवनों के रंग-रोगन में इसका बड़े पैमाने पर उपयोग हो सके।