पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA बिक गई 135 अरब में, जानिए किसने खरीदा और भारत से क्या नाता

इस्लामाबाद 

पाकिस्तान की सरकारी एयरलाइन PIA बिक गई. IMF से 7 अरब डॉलर के लोन की मजबूरी में पाकिस्तान की सरकार को घाटे में चल रही सरकारी एयरलाइन PIA को बेचना पड़ा. आर्थिक तंगी से जूझ रही इस एयरलाइंस पर करीब 25 हजार करोड़ का कर्ज है, भारी नुकसान में चल रही इस एयरलाइंस को प्राइवेटाइजेशन के जरिए बचाने की कोशिश की गई है.सरकार ने PIA की 75 फीसदी हिस्सेदारी प्राइवेट कंपनी के हाथों बेच दी. साल 1948 में शुरू हुई पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस कॉपोरेशन लिमिटेड को 135 अरब पाकिस्तानी रुपये यानी करीब 4320 करोड़ भारतीय रुपये में आरिफ हबीब की कंपनी ने खरीद लिया.  

पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) का निजीकरण करने की सेरेमनी इस्लामाबाद में हुई, जहां लकी सीमेंट, प्राइवेट एयरलाइन एयरब्लू और इन्वेस्टमेंट फ़र्म आरिफ हबीब समेत तीनों प्री-क्वालिफाइड पार्टियों ने अपनी सीलबंद बिड्स एक ट्रांसपेरेंट बॉक्स में जमा कीं. दूसरे चरण में जब ये बिड्स खोली गईं, तो आरिफ हबीब सबसे ज्यादा बड़े बिडर बनकर सामने आए. 

आरिफ हबीब के हाथ लगी PIA
बिड खुलने के बाद, पाकिस्तान सरकार की ओर से बताया गया कि घाटे में चल रही पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस के लिए रेफरेंस प्राइस 100 अरब रुपये तय किया गया था. नियमों के तहत सबसे अधिक बोली लगाने वाले दो लोगों को शुरुआती ऑक्शन प्रोसेस में मुकाबला करने का मौका दिया गया. आरिफ हबीब और लकी सीमेंट दोनों ने एयरलाइन को जीतने के लिए कड़ा मुकाबला दिखाया और बिड बोली की रकम को बढ़ाते गए. जब आरिफ हबीब ग्रुप ने 135 अरब रुपये का ऑफर दिया, तो लकी सीमेंट के एक सदस्य ने उन्हें बधाई दे दी. 

शहबाज सरकार का क्या था प्लान? 
रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार PIA में 75% हिस्सेदारी ऑफर कर रही थी, लेकिन सफल बोली लगाने वाले के पास अब बाकी की बची 25% स्टेकहोल्डिंग खरीदने के लिए 90 दिन का समय होगा. नियमों के मुताबिक, PIA के शुरुआती 75 फीसदी हिस्सेदारी की बिक्री से होने वाली कमाई का 92.5 फीसदी एयरलाइन को रीइन्वेस्टमेंट के लिए दिया जाएगा, जबकि बाकी 7.5 फीसदी हिस्सेदारी का पैसा सरकार को ट्रांसफर किया जाएगा. इसके अलावा इन्वेस्टर को अगले 5 सालों में 80 अरब रुपये का निवेश भी करना होगा.

आरिफ हबीब और लकी सीमेंट दोनों ने एयरलाइन जीतने के लिए जमकर मुकाबला किया और धीरे-धीरे ऑफर का पैसा बढ़ाते गए, जब तक कि आरिफ हबीब ग्रुप ने 135 बिलियन रुपये का ऑफर नहीं दिया, जिसे किसी ने चुनौती नहीं दी. लकी सीमेंट के एक सदस्य ने प्रतिद्वंद्वी की बड़ी पेशकश को स्वीकार करते हुए कहा, 'हम आरिफ हबीब समूह को बधाई देते हैं.'

सरकार शुरू में 75 प्रतिशत हिस्सेदारी की पेशकश कर रही थी, लेकिन सफल बोली लगाने वाले के पास शेष 25 प्रतिशत शेयर खरीदने के लिए 90 दिन का समय होगा. नियमों के अनुसार पीआईए के शुरुआती 75 प्रतिशत शेयरों की बिक्री से होने वाली कमाई का 92.5 प्रतिशत हिस्सा एयरलाइन को रीइन्वेस्टमेंट के लिए दिया जाएगा, जबकि बाकी 7.5 प्रतिशत हिस्सा सरकार को ट्रांसफर किया जाएगा.

इन्वेस्टर को अगले पांच सालों में 80 अरब रुपये का इन्वेस्टमेंट भी करना होगा. इससे पहले, सरकार ने पिछले साल पीआईए की 654 अरब रुपये की लायबिलिटीज की जिम्मेदारी ली थी. ट्रांसपेरेंसी पक्का करने के लिए पूरी बिडिंग प्रोसेस को लोकल टेलीविजन पर लाइव दिखाया गया.

यह नीलामी एयरलाइन को बेचने की दूसरी कोशिश थी, पिछले साल पहली कोशिश में मांगी गई कीमत नहीं मिल पाई थी. इससे पहले, प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने फेडरल कैबिनेट की एक मीटिंग में सरकारी अधिकारियों और प्राइवेटाइज़ेशन कमीशन को नेशनल कैरियर के प्राइवेटाइजेशन में उनकी भूमिका के लिए धन्यवाद दिया.

उन्होंने जोर देकर कहा कि इस प्रोसेस को ट्रांसपेरेंट बनाया गया है और कहा कि यह पाकिस्तान के इतिहास का अब तक का सबसे बड़ा ट्रांज़ैक्शन होगा. पीआईए कभी दुनिया की सबसे बड़ी एयरलाइन थी, लेकिन सालों के मिसमैनेजमेंट ने इसकी सर्विस और प्रतिष्ठा को डुबो दिया, जिससे आखिरकार सरकार के पास इसे बेचने के अलावा कोई विकल्प नहीं बचा.

लाइव प्रसारित हुई बिडिंग प्रक्रिया
Pakistan Airlines को बेचे जान के दौरान पारदर्शिता के मद्देनजर सरकार ने पूरा बिडिंग प्रोसेस लोकल टेलीविजन पर लाइव किया था. यह नीलामी एयरलाइन को बेचने की दूसरी कोशिश थी. इससे पहले बीते साल भी सरकार ने ये प्रयास किया था, लेकिन कीमत नहीं मिलने से ये टल गई थी. PM Shahbaz Sharif ने फ़ेडरल कैबिनेट की एक मीटिंग में सरकारी अधिकारियों और प्राइवेटाइज़ेशन कमीशन को PIA  के प्राइवेटाइज़ेशन में रोल निभाने के लिए धन्यवाद दिया.

कभी PIA का दबदबा, फिर ऐसे डूबी
पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ ने इससे पहले कहा था कि PIA का सौदा पाकिस्तान के इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा ट्रांजैक्शन होगा. गौरतलब है कि Pakistan International Airlines कभी दुनिया की सबसे बड़ी एयरलाइन रह चुकी थी, लेकिन सालों के मिसमैनेजमेंट ने इसकी सर्विसेज और साख दोनों को डुबो दिया, जिससे आखिरकार सरकार के पास इसे बेचने के अलावा कोई ऑप्शन नहीं बचा था. 

PIA Vs Air India: एयर इंडिया से कितनी अलग है पाकिस्तानी एयरलाइंस

टाटा ग्रुप ने 2021 के आखिर में एयर इंडिया को कुल ₹18,000 करोड़ (लगभग $2.4 बिलियन) की एंटरप्राइज वैल्यू पर खरीदा था, और जनवरी 2022 में आधिकारिक तौर पर इसका अधिग्रहण कर लिया। इस डील में सरकार को कैश देना और काफी कर्ज लेना शामिल था, जिससे दशकों तक सरकारी मालिकाना हक के बाद यह एयरलाइन अपने मूल संस्थापकों के पास वापस आ गई। दरअसल, भारत की सबसे पहली एयरलाइन टाटा ग्रुप ने ही शुरू की थी। आजादी के बाद सरकार ने इसे अपने स्वामित्व में ले लिया था। लेकिन बाद में यह फिर से टाटा ग्रुप के पास आ गई।

जब टाटा ग्रुप ने जनवरी 2022 में एयर इंडिया को खरीदा, तो उस समय की अलग इंडियन एयरलाइंस को मिलाकर, इस नई कंपनी के पास लगभग 141 एयरक्राफ्ट का फ्लीट था। इसमें एयरबस और बोइंग दोनों तरह के प्लेन शामिल थे, जिनमें 777 और 787 जैसे वाइड-बॉडी जेट और नैरो-बॉडी A320 भी थे। कंपनी का फोकस मॉडर्नाइजेशन पर था, साथ ही उसके पास महत्वपूर्ण लैंडिंग स्लॉट और एसेट्स भी थे।

कुल विमान: लगभग 141 प्लेन। वर्तमान में 300 से ज्यादा

विमान के प्रकार: लॉन्ग-हॉल वाइड-बॉडी जेट और शॉर्ट/मीडियम-हॉल नैरो-बॉडी विमानों का मिश्रण।

मुख्य विमान: इसमें बोइंग 777 (जैसे -200LR और -300ER मॉडल) और बोइंग 787 ड्रीमलाइनर, साथ ही एयरबस A320 फैमिली के विमान शामिल हैं।

23 दिसंबर (मंगलवार) को, आरिफ हबीब कंसोर्टियम 135 अरब रुपये की बोली लगाकर PIA की नीलामी में जीत गया। लकी सीमेंट और एयरब्लू दूसरे दो बोली लगाने वाले थे।

वहीं, अगर पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस की बात करें तो उसके फ्लीट में लगभग 32-34 एयरक्राफ्ट हैं, जिनमें मुख्य रूप से बोइंग 777, एयरबस A320 और ATR शामिल हैं।

पाकिस्तान सरकार ने शुरू में पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस में 75% हिस्सेदारी देने की पेशकश की थी। डील की शर्तों के तहत, सफल बोली लगाने वाले के पास एयरलाइन के बाकी 25% शेयर खरीदने के लिए 90 दिन होंगे।

नियमों के अनुसार, शुरुआती 75% हिस्सेदारी की बिक्री से मिले पैसे का 92.5% सीधे एयरलाइन को रीइन्वेस्टमेंट के लिए जाएगा। बाकी 7.5% पैसा सरकार को ट्रांसफर किया जाएगा।

बोइंग 777: लंबी दूरी के रूट के लिए अलग-अलग मॉडल (777-200ER, -200LR, -300ER)।

एयरबस A320: मीडियम और छोटी दूरी की उड़ानों के लिए।

ATR एयरक्राफ्ट (42/72): छोटी घरेलू और क्षेत्रीय उड़ानों के लिए।

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