‘बुलडोजर लहर’ पर सवार नजर आ रही है राजस्थान बीजेपी
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
जयपुर : उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा की प्रचंड जीत के बाद राजस्थान में बुलडोजर बाबा, बुलडोजर मामा, बुलडोजर न्याय जैसे शब्द प्रचलित मुहावरे बन गए हैं। यूपी के नजदीक ही राजस्थान बीजेपी भी ‘बुलडोजर लहर’ पर सवार नजर आ रही है, वहीं सत्ताधारी कांग्रेस इसे अनुचित बताते हुए बुलडोजर की राजनीति पर कड़ी आपत्ति जता रही है। राजस्थान में, बुलडोजर ने सभी का ध्यान खींचा, जब भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष सतीश पूनिया यूपी चुनाव में भगवा पार्टी की जीत के तुरंत बाद एक विशाल काफिले के साथ पार्टी कार्यालय में आए। इस मौके पर उन्होंने बुलडोजर को कानून व्यवस्था का प्रतीक घोषित करते हुए कहा, “बुलडोजर कानून व्यवस्था बहाल करने का संदेश है, यह संकल्प और समर्पण का प्रतीक है, बुलडोजर भी संगठन की ताकत का प्रतीक है और यह हिंदुत्व और राष्ट्रवाद का प्रतीक है।”
उनके बयान से यह स्पष्ट था कि भाजपा आगामी 2023 में होने वाले विधानसभा चुनावों के लिए बुलडोजर पर निर्भर है। हालांकि, कांग्रेस ने यह भी स्पष्ट किया कि वह भाजपा की राजनीति के खिलाफ है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत भी ‘बुलडोजर जस्टिस’ के खिलाफ बोलते हुए देखे गए थे। जब मध्य प्रदेश में रामनवमी हिंसा के आरोपियों के घरों को भाजपा सरकार द्वारा ध्वस्त कर दिया गया, तो राजस्थान के मुख्यमंत्री ने ‘बुलडोजर न्याय’ की निंदा करते हुए कहा कि न तो मुख्यमंत्री और न ही प्रधानमंत्री के पास बुलडोजर द्वारा घरों को ध्वस्त करने की शक्ति है। उन्होंने कहा, “बुलडोजर के जरिए घरों को गिराने का अधिकार सीएम और पीएम के पास भी नहीं है।” उन्होंने कहा, “आप बिना किसी जांच के, बिना किसी को जिम्मेदार ठहराए एक घर को कैसे उजाड़ सकते हैं? घर को ताश के पत्तों की तरह गिराया जा रहा है।”
विपक्ष पर उनका नाम लिए बिना टिप्पणी करते हुए उन्होंने पूछा, “वे (भाजपा) कहते हैं कि करौली हिंसा के लिए निर्दोष लोगों को गिरफ्तार किया गया है। तो क्या राजस्थान सरकार उनके घरों को बुलडोज कर सकती है?” उन्होंने टीवी फुटेज पर दुख व्यक्त किया जिसमें असहाय लोगों को रोते हुए दिखाया गया जब उनके घरों को गिराया जा रहा था। राजनीतिक नेताओं के बीच जुबानी जंग यहीं नहीं थमी, बल्कि तब और तेज हो गई जब 300 साल पुराने मंदिर को बुलडोजर से तोड़ दिया गया। राजस्थान में इस मंदिर के विध्वंस ने एक प्रमुख विवाद को जन्म दिया, क्योंकि भगवा संगठनों ने इसे हिंदू आस्था पर हमला बताया।
हालांकि, इस बात से कोई इंकार नहीं है कि राजस्थान सरकार ने भी उत्तर प्रदेश में योगी आदित्यनाथ सरकार की तर्ज पर ‘बुलडोजर न्याय’ का इस्तेमाल किया और जगन्नाथपुरी में आरईईटी-आरोपी रामकृपाल मीणा के एसएस कॉलेज और एसएस पब्लिक स्कूल की चार मंजिला इमारत को तोड़ दिया।राजस्थान शिक्षक पात्रता परीक्षा पेपर लीक मामले के आरोपी रामकृपाल मीणा के स्कूल और कॉलेज भवन पर सरकार ने बुलडोजर का इस्तेमाल किया। इसलिए बुलडोजर निस्संदेह राजस्थान में भाजपा के लिए एक शुभंकर बन गया है जिसे कांग्रेस नेता भी भुनाते नजर आ रहे हैं। वे अपने भाषणों में अक्सर इस शब्द का प्रयोग करते हैं।
(जी.एन.एस)