राजस्थान कैबिनेट विस्तार की तैयारी: 6 नए मंत्रियों को मिल सकता है मौका

जयपुर 
राजस्थान की राजनीति में एक बार फिर सियासी हलचल तेज हो गई है। मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा जल्द ही अपने मंत्रिमंडल का विस्तार करने जा रहे हैं। माना जा रहा है कि यह कदम सीधे तौर पर आगामी नगरीय निकाय और पंचायत चुनावों से जुड़ा है। भाजपा चाहती है कि ये चुनाव उसकी महत्वाकांक्षी योजना “वन स्टेट, वन इलेक्शन” के तहत कराए जाएं, ताकि पूरे राज्य में एक ही बार में शक्ति प्रदर्शन हो सके।

राजस्थान में कुल 30 मंत्री पदों की मंजूरी है, लेकिन फिलहाल केवल 24 मंत्री हैं। ऐसे में 6 पद खाली पड़े हैं और इन्हीं पर हर गुट की नज़र टिकी हुई है। वर्तमान में परिषद में 12 कैबिनेट मंत्री, 9 राज्यमंत्री, 2 उपमुख्यमंत्री और खुद मुख्यमंत्री शामिल हैं। साफ है कि इन 6 कुर्सियों पर तगड़ा दांव-पेच चलेगा।

भाजपा का मकसद सिर्फ मंत्रियों की संख्या बढ़ाना नहीं, बल्कि उन समुदायों को साधना है जो अब तक उपेक्षित महसूस कर रहे हैं। खासकर गुर्जर और मेघवाल समाज को प्रतिनिधित्व देने की मांग लगातार उठ रही है। इसी कड़ी में राज्यमंत्री जवाहर सिंह बेदम (गुर्जर) और मंजू बाघमार (मेघवाल) का प्रमोशन लगभग तय माना जा रहा है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि दो से तीन जूनियर मंत्रियों को स्वतंत्र प्रभार भी मिल सकता है।

भाजपा के भीतर सत्ता समीकरण सिर्फ मुख्यमंत्री तक सीमित नहीं हैं। पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे, पंजाब के राज्यपाल गुलाबचंद कटारिया, केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव जैसे बड़े नाम भी अपने-अपने समर्थकों को जगह दिलाने के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं। कटारिया के करीबी फूल सिंह मीणा और ताराचंद जैन को भी मजबूत दावेदार माना जा रहा है।

राजस्थान की सियासत में धर्म और अध्यात्म का भी खासा दखल है। भाजपा के पास विधानसभा में चार संत विधायक हैं। इनमें से ओटा राम देवासी पहले ही मंत्री हैं। अब टीजारा विधायक बाबा बालकनाथ का नाम सबसे ऊपर चल रहा है। बताया जा रहा है कि गोरखनाथ पीठ और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने खुद उनके पक्ष में संकेत दिए हैं।

पार्टी के लिए सबसे बड़ी चुनौती शेखावाटी, पूर्वी राजस्थान और आदिवासी क्षेत्र बने हुए हैं। इन इलाकों में भाजपा को विधानसभा और लोकसभा, दोनों चुनावों में झटका लगा था। यही वजह है कि मंत्रिमंडल विस्तार में इन क्षेत्रों से नए चेहरे लाने या मौजूदा जूनियर मंत्रियों को मजबूत भूमिका देने की तैयारी है।

मंत्रिमंडल विस्तार के बाद राज्य भाजपा अध्यक्ष मदन राठौड़ अपनी टीम बनाएंगे। माना जा रहा है कि कुछ मौजूदा मंत्रियों को संगठन में भेजा जाएगा, ताकि पार्टी ढांचा भी मजबूत हो और चुनावी रणनीति भी सटीक बने।

भाजपा के एक वरिष्ठ नेता के मुताबिक, “ये चुनाव ही सरकार के पूरे कार्यकाल में होने वाले बड़े स्थानीय चुनाव होंगे। इनके नतीजे सीधे तौर पर भजनलाल शर्मा सरकार की लोकप्रियता का पैमाना तय करेंगे। ऐसे में भाजपा किसी भी तरह का जोखिम उठाने के मूड में नहीं है।

 

India Edge News Desk

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