2025 में सऊदी अरब तोड़ सकता है फांसी का रिकॉर्ड, एक ही दिन में आठ लोगों को हुई सजा

दुबई 

इस्लामिक देश सऊदी अरब में हाल के सालों में फांसी के मामलों में बढ़ोतरी देखी जा रही है. इसी बीच खबर है कि सऊदी ने एक ही दिन में आठ लोगों को फांसी दे दी है. फांसी की सजा पाने वालों में अधिकांश लोग ड्रग्स तस्करी के आरोपों में दोषी पाए गए थे.

बीते शनिवार को सऊदी प्रेस एजेंसी ने बताया कि चार सोमाली और तीन इथियोपियाई नागरिकों को किंगडम में हशीश की तस्करी के लिए दक्षिणी क्षेत्र नजरान में फांसी दे दी गई. वहीं, एक सऊदी नागरिक को अपनी मां की हत्या के जुर्म में फांसी दे दी गई.

सऊदी अरब में ड्रग्स से संबंधित मामलों में फांसी की संख्या में बढ़ोतरी देखी गई है और इसी क्रम में एक दिन में आठ लोगों को फांसी देने की घटना सामने आई है.

सऊदी में फांसी के मामलों पर मानवाधिकार समूह चिंतित?

ब्रिटेन स्थित संगठन  Reprieve और यूरोपीय सऊदी ऑर्गेनाइजेशन फॉर ह्यूमन राइट्स (ESOHR) ने ड्रग्स मामलों से संबंधित फांसी की बढ़ती संख्या पर चिंता जताई है.

सऊदी अरब ड्रग्स की तस्करी आदि के लिए फांसी की सजा देता है जिसे लेकर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उसकी काफी आलोचना हो चुकी है. आलोचनाओं को देखते हुए ड्रग्स मामलों में फांसी पर अनौपचारिक रोक भी लगाई गई थी लेकिन फिर 2021 में सऊदी अधिकारियों ने इस रोक को हटा लिया था. रोक हटाने के बाद से ड्रग्स से जुड़े मामले के दोषियों को फांसी देने के मामले बढ़े हैं.

Reprieve के अनुसार, 2024 में सऊदी अरब ने रिकॉर्ड 345 लोगों को फांसी दी, जिनमें से लगभग आधे लोग का अपराध घातक नहीं था.

फांसी देने का 2024 का रिकॉर्ड तोड़ देगा सऊदी अरब

इस साल सऊदी अरब में पिछले साल का यह रिकॉर्ड टूटने वाला है, क्योंकि समाचार एजेंसी एएफपी के अनुसार, इस साल अब तक 230 लोगों को फांसी दी जा चुकी है, जिनमें से 154 लोगों को ड्रग्स से संबंधित आरोपों में फांसी दी गई है.

पिछले साल सऊदी में फांसी की सजा पाने वालों में 92 विदेशी नागरिक थे. Reprieve और ESOHR के अनुसार, 2010 और 2021 के बीच, सऊदी अरब ने ड्रग्स से संबंधित अपराधों के लिए सऊदी नागरिकों की तुलना में लगभग तीन गुना अधिक विदेशी नागरिकों को फांसी दी. सऊदी अरब की आबादी में विदेशी नागरिकों की हिस्सेदारी मात्र 36 प्रतिशत है.

Reprieve के MENA (Middle East and North Africa) डेथ पेनाल्टी के प्रमुख जीद बसयूनी ने मिडिल ईस्ट आई से बात करते हुए कहा, 'ड्रग्स के खिलाफ युद्ध जीतने में दुनिया असफल रही है और फिर से हम वही पैटर्न देख रहे हैं कि अधिकारी ड्रग्स के खतरों का जवाब गरीब और हाशिए पर पड़े लोगों की हत्या करके देते हैं. ऐसे आरोपों से जूझ रहे लोगों को अपने मुकदमे के दौरान वकील या ट्रांसलेटर जैसी बुनियादी सुविधाओं का अधिकार भी शायद ही मिल पाता है.' 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button