मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद दिल्ली में हो सकता है शपथ ग्रहण समारोह

नई दिल्ली

दिल्ली विधानसभा चुनाव में भाजपा की शानदार जीत के बाद सबकी नजरें नई सरकार के गठन पर टिकी हुईं हैं। सबके जहन में एक ही सवाल है कि दिल्ली में मुख्यमंत्री का चेहरा कौन होगा। इस बीच नई मुख्यमंत्री के शपथ लेने की तारीख भी सामने आई गई है। जानकारी के मुताबिक दिल्ली के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के बाद हो सकता है।

जानकारी मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका के दौरे से लौटने के बाद यानी 13 फरवरी के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री का शपथ ग्रहण समारोह हो सकता है। इसके लिए कई नामों पर चर्चा जोरों पर हैं ।भाजपा के नेताओं के अनुसार पीएम मोदी के अमेरिका से लौटने के बाद ही भाजपा सरकार बनाने का दावा पेश कर सकती है।

इस बीच भाजपा में दिल्ली के मुख्यमंत्री को लेकर भी मंथन शरू हो गया है। एक तरफ जहां बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से बैठक की तो वहीं दिल्ली बीजेपी के अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा ने भी पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। जानकारी के मुताबिक इस बैठक में जीत की बधाई देने के बाद सरकार को लेकर चर्चा हो सकती है। उधर जेपी नड्डा और अमित शाह ने भी सरकार बनाने को लेकर चर्चा की है। इससे एक दिन पहले ही प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी सहित वरिष्ठ नेताओं ने शनिवार को भाजपा मुख्यालय में विचार-विमर्श किया था। पार्टी की शानदार जीत के बाद मोदी ने उत्साही कार्यकर्ताओं को संबोधित भी किया था।

वीरेंद्र सचदेवा ने मांगा एलजी से मिलने का समय

जानकारी के मुताबिक वीरेंद्र सचदेवा ने उपराज्यपाल वीके सक्सेना से मिलने का समय मांगा है। इससे पहले जब उनसे सीएम फेस को लेकर सवाल किया गया था उन्होंने कहा, मुख्यमंत्री पर फैसला पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व लेगा। उन्होंने कहा कि सभी नवनिर्वाचित विधायक उन्हें सौंपी गई जिम्मेदारियों का निर्वहन करने में सक्षम हैं।

बता दें, भाजपा ने चुनावों में हर क्षेत्र और अधिकतर समुदायों के बीच प्रभावशाली बढ़त हासिल की है, इसलिए उसके पास मुख्यमंत्री पद के संभावित उम्मीदवारों की एक विस्तृत सूची है।

विभिन्न राज्यों में अपने मुख्यमंत्रियों को चुनने में पार्टी के विकल्पों को अक्सर बड़े राजनीतिक संदेश के रूप में देखा जाता है, ऐसे में राजनीतिक पर्यवेक्षकों का मानना ​​है कि दिल्ली कोई अपवाद नहीं होगा।

आम आदमी पार्टी (आप) के प्रमुख अरविंद केजरीवाल को हराने वाले जाट समुदाय के नेता प्रवेश वर्मा जैसे प्रमुख चेहरे और सतीश उपाध्याय, विजेंद्र गुप्ता, आशीष सूद एवं पवन शर्मा जैसे संगठन के अनुभवी नेताओं की चर्चा हो रही है, लेकिन भाजपा का इतिहास अपेक्षाकृत कम चर्चित नेताओं को आगे बढ़ाने का रहा है।

भाजपा के एक नेता ने कहा कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व राजनीतिक समीकरणों के आधार पर पूर्वांचल की पृष्ठभूमि वाले किसी विधायक, सिख या महिला पर भी विचार कर सकता है। उन्होंने कहा कि 2023 में मध्यप्रदेश और राजस्थान और पिछले साल ओडिशा समेत पिछले अनुभव के मद्देनजर ऐसे मामलों पर अटकलों के लिए बहुत कम गुंजाइश बचती है।

भाजपा ने मध्यप्रदेश में मोहन यादव, राजस्थान में भजनलाल शर्मा और ओडिशा में मोहन चरण माझी को चुना, जिससे अधिकांश राजनीतिक विश्लेषक हैरान रह गए।

भाजपा नेता ने कहा, आप कभी नहीं जानते…राष्ट्रीय नेतृत्व एक बिल्कुल नया चेहरा लेकर आ सकता है, जो इस पद के लिए उपयुक्त हो और लोगों की भारी उम्मीदों के बीच दिल्ली के मुख्यमंत्री के रूप में कर्तव्यों का निर्वहन करने में सक्षम हो।

India Edge News Desk

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