सीरिया के राष्ट्रपति का बड़ा बयान –हम इजरायल से डरते है , शांति समझौते की अपील

न्यूयॉर्क

संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) में संबोधन के लिए अपनी पहली ऐतिहासिक यात्रा पर पहुंचे सीरिया के नए राष्ट्रपति अहमद अल-शरा ने चेतावनी दी कि यदि इजरायल उनकी अंतरिम सरकार के साथ ऐसा सुरक्षा समझौता नहीं करता, जो सीरिया की संप्रभुता को सुरक्षित रखे, तो पूरा मध्य-पूर्व एक नए दौर की उथल-पुथल में घिर सकता है। हालांकि इस दौरान उन्होंने ये भी स्वीकार किया कि उनके देश को इजरायल से डर लगता है और वे इजरायल के लिए कोई खतरा नहीं हैं।

लंबे समय तक सत्ता में रहे बशर अल-असद को दिसंबर में उखाड़ फेंकने के बाद शरा ने सीरिया की सत्ता संभाली थी। पूर्व जिहादी रह चुके शरा ने स्पष्ट किया कि उनकी प्राथमिकता इजरायल के साथ सुरक्षा समझौता है, लेकिन उन्होंने यहूदी देश पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर बातचीत को टाल रहा है और सीरिया की हवाई और जमीनी सीमाओं का उल्लंघन जारी रखे हुए है।

शरा ने मिडिल ईस्ट इंस्टीट्यूट के एक कार्यक्रम में कहा, “हम इजरायल के लिए कोई समस्या खड़ी नहीं कर रहे हैं। हमें इजरायल से डर है, नाकि इजरायल को हम से। इजरायल की तरफ से बातचीत में देरी और हमारी सीमाओं का उल्लंघन कई तरह के जोखिम खड़े कर रहे हैं।” उन्होंने सीरिया के बंटवारे की किसी भी चर्चा को खारिज करते हुए कहा कि उनकी सरकार ड्रूज अल्पसंख्यक के हितों की रक्षा कर रही है। शरा ने कहा ने कहा, “जॉर्डन दबाव में है, और सीरिया के बंटवारे की कोई भी बात इराक और तुर्की को भी नुकसान पहुंचाएगी। इससे हम सभी फिर से वहीं लौट जाएंगे, जहां से शुरुआत हुई थी।” उन्होंने याद दिलाया कि सीरिया अभी-अभी डेढ़ दशक लंबे युद्ध से निकला है।
अमेरिका की मध्यस्थता और “डि-एस्केलेशन” समझौता

अमेरिका के सीरिया मामलों के विशेष दूत टॉम बरैक ने संकेत दिया कि सीरिया और इजरायल एक “डि-एस्केलेशन” समझौते के करीब हैं। इस समझौते के तहत इजरायल सीरिया पर हवाई हमले और घुसपैठ रोक देगा, जबकि सीरिया इस बात पर सहमत होगा कि वह इजरायल सीमा के पास कोई भारी मशीनरी या सैन्य उपकरण नहीं तैनात करेगा। बरैक के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के बीच व्यापक सुरक्षा समझौते की दिशा में पहला कदम होगा। उन्होंने कहा, “मेरा मानना है कि सभी पक्ष अच्छे विश्वास के साथ आगे बढ़ रहे हैं।”
गोलान हाइट्स और ड्रूज समुदाय पर तनाव

सीरिया की सरकार चाहती है कि इजरायल हवाई हमले रोके और उन सैनिकों को हटाए जो गोलान हाइट्स के बफर जोन पर काबिज हैं। असद के पतन के बाद इजरायल ने लगातार सैन्य ठिकानों पर हमले किए, ताकि सीरियाई क्षमताओं को कमजोर किया जा सके। साथ ही, दक्षिणी सीरिया में ड्रूज समुदाय पर हो रहे हमलों को रोकने के लिए भी इजरायल ने हस्तक्षेप किया।
ट्रंप प्रशासन की भूमिका और बाधाएं

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप दोनों देशों के बीच समझौते की घोषणा इसी हफ्ते करवाना चाहते थे, लेकिन अब तक पर्याप्त प्रगति नहीं हुई है। साथ ही, यहूदी नववर्ष रोश हशाना के चलते प्रक्रिया धीमी हो गई है। ट्रंप प्रशासन के एक अधिकारी ने द टाइम्स ऑफ इजरायल को बताया कि उभरता हुआ सुरक्षा समझौता “99% तैयार” है और अगले दो हफ्तों में इसकी घोषणा की जा सकती है।
इजरायल की सतर्क प्रतिक्रिया

इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने रविवार को कहा कि सीरिया और लेबनान दोनों के साथ शांति की संभावना का नया अवसर पैदा हुआ है, खासकर इजरायल की सैन्य कार्रवाई के बाद जब लेबनानी संगठन हिजबुल्लाह को भारी नुकसान हुआ। हालांकि नेतन्याहू ने स्पष्ट किया कि सीरिया के साथ किसी भी समझौते को अंतिम रूप देने में अभी समय लगेगा।

India Edge News Desk

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