वाहन, सारथी और फास्टैग डेटा एक्सेस पर नए नियम लागू, अब और सुरक्षित होगा डाटा सिस्टम

नई दिल्ली

केंद्र सरकार ने नेशनल ट्रांसपोर्ट रिपॉजिटरी (NTR) से जुड़ी नई नीति पेश की है। यह डेटाबेस पूरे देश के वाहन पंजीकरण, ड्राइविंग लाइसेंस, चालान और सड़क हादसों के रिकॉर्ड को जोड़ता है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) (एमओआरटीएच) ने इस महीने की शुरुआत में सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को "नेशनल ट्रांसपोर्ट रिपॉजिटरी से डेटा साझा करने की नीति" भेजी।

कौन-कौन से प्लेटफॉर्म जुड़े हैं
इस रिपॉजिटरी में वाहन, सारथी, ई-चालान, eDAR (ई-डार) (इलेक्ट्रॉनिक एक्सीडेंट रिपोर्ट) और नेशनल इलेक्ट्रॉनिक टोल कलेक्शन फास्टैग जैसे प्लेटफॉर्म से डेटा लिया जाता है। इसमें 39 करोड़ से ज्यादा वाहनों और 22 करोड़ से अधिक ड्राइविंग लाइसेंस का रिकॉर्ड मौजूद है। इस लिहाज से यह देश का सबसे बड़ा सरकारी डेटाबेस माना जा सकता है।

प्राइवेसी और कानूनी सुरक्षा
सरकार का कहना है कि संवेदनशील पर्सनल डेटा की "कंट्रोल्ड शेयरिंग" होगी, ताकि नागरिकों की प्राइवेसी (निजता) बनी रहे। यह नियम डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट 2023 और मोटर व्हीकल एक्ट 1988 के अनुरूप होंगे। मंत्रालय ने 18 अगस्त को जारी एक परिपत्र में कहा, "यह नीति व्यक्तिगत डेटा साझा करने के लिए सहमति के संबंध में हाल की कानूनी आवश्यकताओं के अनुरूप स्पष्ट दिशानिर्देश प्रदान करती है।"

हर स्टेकहोल्डर को वही डेटा मिलेगा जो उसके काम से जुड़ा होगा। जहां जरूरत होगी वहां नागरिक की सहमति भी अनिवार्य होगी। मंत्रालय ने साफ किया कि हर ट्रांजैक्शन में सुरक्षा और गोपनीयता को प्राथमिकता दी जाएगी।

किसे मिलेगी कितनी पहुंच
इस नई नीति के तहत पुलिस और जांच एजेंसियों को पूरे डेटाबेस की पूरी पहुंच मिलेगी। राज्य सरकारें और केंद्र शासित प्रदेश सिर्फ अपने-अपने क्षेत्र का डेटा देख पाएंगे। और देशभर का डेटा शेयर करने के लिए उन्हें MoRTH से मंजूरी लेनी होगी। सरकारी एजेंसियों को API इंटीग्रेशन के जरिए डेटा तक पूरी पहुंच दी जाएगी। वहीं रिसर्च और शैक्षणिक संस्थानों को केवल अनाम (बिना नाम वाला) डेटा उपलब्ध कराया जाएगा।

आम नागरिकों की पहुंच सीमित होगी। वे mParivahan और DigiLocker जैसे एप पर दिन में केवल तीन बार तक ही वेरिफिकेशन कर पाएंगे। दूसरी ओर, बीमा कंपनियों, बैंकों, स्मार्ट कार्ड वेंडर और नंबर प्लेट बनाने वाली कंपनियों जैसी प्राइवेट सेवाओं को उनकी भूमिका के हिसाब से डेटा तक पहुंच मिलेगी, लेकिन इसके लिए सख्त सुरक्षा नियमों का पालन करना होगा।

डेटा शेयरिंग के तरीके
डेटा शेयरिंग के लिए हर प्लेटफॉर्म की अलग भूमिका तय की गई है। वाहन से गाड़ी का रजिस्ट्रेशन, मालिकाना हक, इंश्योरेंस और चालान की जानकारी मिलेगी। सारथी  से ड्राइविंग लाइसेंस की वैधता, अंतरराष्ट्रीय परमिट और अपराध का रिकॉर्ड मिलेगा। ई-चालान से ट्रैफिक उल्लंघन और कोर्ट केस की जानकारी मिलेगी, जबकि ई-डार (eDAR) से सड़क हादसे से जुड़े ड्राइवर, पैसेंजर और पैदल यात्री का डेटा मिलेगा। FASTag के जरिए गाड़ी से जुड़े बैंक अकाउंट और टोल ट्रांजैक्शन की जानकारी उपलब्ध कराई जाएगी।

सरकार ने डेटा शेयरिंग का सबसे सुरक्षित तरीका API-आधारित एक्सेस को माना है, जिसमें ऑथेंटिकेशन, एन्क्रिप्शन और IP वाइटलिस्टिंग जैसी सुविधाएं होंगी। सरकारी विभाग आधार-वेरीफाइड पोर्टल से डेटा एक्सेस कर पाएंगे। प्राइवेट कंपनियों को नागरिक की सहमति के आधार पर एक्सेस मिलेगा और आम लोग केवल अपने व्यक्तिगत डेटा की वेरिफिकेशन कर पाएंगे। बड़े पैमाने पर डेटा ट्रांसफर केवल खास मामलों में ही होगा, वो भी एन्क्रिप्टेड माध्यम से। रिसर्च और पब्लिक यूज के लिए डेटा सरकार के data.gov.in पोर्टल पर अनाम रूप में उपलब्ध कराया जाएगा।

सरकार का उद्देश्य
सरकार का मानना है कि यह नया फ्रेमवर्क ट्रांसपोर्ट सेवाओं को ज्यादा सुरक्षित, पारदर्शी और प्रभावी बनाएगा। इससे कारोबार करना आसान होगा और डेटा के गलत इस्तेमाल पर भी कड़ी रोक लगाई जा सकेगी।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News news desk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *