सुप्रीम कोर्ट का Circle Rate को लेकर अहम फैसला, बोला- वैज्ञानिक तरीके से तय होने चाहिए रेट

नई दिल्ली.
सुप्रीम कोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि जमीन के सर्किल रेट वैज्ञानिक तरीके से तय होने चाहिए। उचित होगा कि जमीन की सर्किल दरें विशेषज्ञ समितियों द्वारा तय की जाएं जिनमें न केवल सरकार के अधिकारी हों बल्कि अन्य विशेषज्ञ भी हों जो बाजार की स्थितियों को समझते हों।

शीर्ष अदालत ने कहा कि व्यवस्थित और वैज्ञानिक तरीके से तय की गईं सर्किल दरें अर्थव्यवस्था को मजबूत करने और कर संग्रह को बढ़ाने में योगदान दे सकती हैं। भारत के प्रधान न्यायाधीश संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति संजय कुमार की पीठ ने मध्य प्रदेश रोड डेवलपमेंट कारपोरेशन की अपील खारिज करते हुए 27 मार्च को यह फैसला सुनाया है। कोर्ट ने सर्किल रेट के आधार पर अधिग्रहित जमीन का मुआवजा देने के कमिश्नर के आदेश को सही ठहराया है।

सिर्फ औसत ब्रिक्री की कीमत पर भरोसा नहीं करना चाहिए: SC
पीठ ने फैसले में जमीन के सर्किल रेट तय करने और भूमि अधिग्रहण कानून 2013 के प्रविधानों बारे में विस्तार से चर्चा की है। कोर्ट ने कहा है कि कलेक्टर को सिर्फ औसत ब्रिक्री की कीमत पर ही भरोसा नहीं करना चाहिए बल्कि व्यापक बाजार आधारित कारकों पर भी विचार करना चाहिए। मसलन जमीन की प्रकृति, अहमियत और विकास की कीमत आदि।

फैसले में कहा गया है कि सर्किल रेट का निर्धारण जब जमीन के बाजार मूल्य में भिन्नता के कारकों को ध्यान में रख कर किया जाता है तो उससे लेन-देन में पूर्वानुमान लगाना आसान होता है और मुकदमेबाजी कम हो जाती है। कोर्ट ने कहा कि मानकीकृत (स्टैंडर्डाइज्ड) सर्किल दरों को न्यूनतम या आधार मूल्य पर तय किया जाना चाहिए, क्योंकि जनता से अधिक मूल्य वाली सर्किल दरों पर स्टाम्प शुल्क का भुगतान करने के लिए कहना बहुत अनुचित होगा।

'सर्किल दरों से नागरिकों पर पड़ता है सीधा असर'
सर्वोच्च अदालत ने कहा कि सही सर्किल दरें ईमानदार करदाताओं के हितों का ध्यान रखने के साथ साथ अनुपालन न करने वाले करदाताओं को भी रोकेंगी। तर्कसंगत और निष्पक्ष सर्किल दरें सुशासन को दर्शाती हैं। कोर्ट ने आदेश में कहा है कि उचित और सटीक सर्किल दरें तय करने का प्रत्येक नागरिक पर सीधा प्रभाव पड़ता है। बढ़ी हुई दरें खरीदारों पर अनुचित वित्तीय बोझ डालती हैं। इसके विपरीत कम मूल्यांकित दरें अपर्याप्त स्टाम्प शुल्क की ओर ले जाती हैं, जिससे राज्य के राजस्व पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है।

कोर्ट ने कहा कि सर्किल दरें जो बाजार मूल्य को दर्शाती हैं, संपत्तियों के कम मूल्यांकन को रोककर राज्य के लिए उचित राजस्व संग्रह सुनिश्चित करती हैं। विभिन्न अधिकार क्षेत्रों के मुकदमों में संपत्ति के सर्किल रेट की चर्चा होने के आधार पर कोर्ट ने कहा कि सर्किल दरें अक्सर राजनीतिक और आर्थिक रूप से विवाद का मुद्दा बन जाती हैं। यह विभिन्न अधिकार क्षेत्रों में लगातार होने वाली मुकदमेबाजी में परिलक्षित होता है, जो संपत्तियों पर लागू सर्किल दरों पर चर्चा करते हैं।

India Edge News Desk

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