20 साल बाद एक मंच पर आए ठाकरे बंधु, राज बोले- महाराष्ट्र को तिरछी नजर से कोई नहीं देखेगा

  • 20 साल बाद एक मंच पर आए ठाकरे बंधु, राज बोले- महाराष्ट्र को तिरछी नजर से कोई नहीं देखेगा
  • 'आप किसी पर हिंदी नहीं थोप सकते', मुंबई की रैली से गरजे राज ठाकरे 
  • 'जो बाला साहेब नहीं कर पाए वो आज हुआ…', मुंबई में राज ठाकरे ने किया शक्ति प्रदर्शन
  • मुंबई से राज ठाकरे की हुंकार, बोले – महाराष्ट्र के लिए जो कर सकते हैं वो करेंगे
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  • ठाकरे ब्रदर्स के एक मंच पर आने को लेकर संजय राउत बोले- यह पूरे महाराष्ट्र के लिए त्यौहार जैसा दिन

मुंबई 

महाराष्ट्र की सियासत में आज का दिन बेहद अहम माना जा रहा है. लंबे समय से जिस तस्वीर को लेकर कयासबाजी चल रही थी वो आज देखने को मिली जब उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे एकसाथ एक मंच पर दिखे, वो भी परिवार के साथ में. 

 दोनों भाई वर्ली में मराठी विजय दिवस मनाने के नाम पर मंच साझा कर हैं, लेकिन सियासी पंडित इस बात का आकलन कर रहे हैं कि महाराष्ट्र की सियासत दोनों भाइयों की साथ आना क्या बड़ा बदलाव साबित होने वाला है?

– दक्षिण में स्टालिन, कनमोझी, जयललिता, नारा लोकेश, आर रहमान, सूर्या, सभी ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है? रहमान ने डायस छोड़ दिया जब एक वक्ता ने हिंदी में बोलना शुरू किया.बालासाहेब और मेरे पिता श्रीकांत ठाकरे ने अंग्रेजी में पढ़ाई की है, लेकिन वे मातृभाषा मराठी के प्रति बहुत संवेदनशील थे. बालासाहेब ठाकरे ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की, लेकिन उन्होंने मराठी भाषा से समझौता नहीं किया. किसी को भी मराठी को तिरछी नज़र से नहीं देखना चाहिए: राज ठाकरे

– हमारे बच्चे इंग्लिश मीडियम जाते है तो हमारे मराठी पर सवाल उठते है , लालकृष्ण आडवाणी मिशनरी स्कूल में पढ़े है तो क्या उनके हिंदुत्व पर सवाल उठाए क्या? हम हिंदी थोपना बर्दाश्त नहीं करेंगे. वे बस मुंबई को महाराष्ट्र से अलग करना चाहते हैं, यही उनका एजेंडा है. लेकिन वे ऐसा करने की हिम्मत करते हैं.. तब उन्हें मराठी मानुस की ताकत समझ में आएगी.वे मुद्दे को भटकाने की कोशिश कर रहे हैं. अब वे यह मुद्दा उठा रहे हैं कि ठाकरे के बच्चे अंग्रेजी में पढ़े हैं. यह क्या बकवास है? कई भाजपा नेताओं ने अंग्रेजी माध्यम से पढ़ाई की है.. लेकिन किसी को उनके हिंदुत्व पर संदेह है: राज ठाकरे

-इस दौरान जनसभा को संबोधित करते हुए राज ठाकरे ने कहा,'ये त्रिभाषा सूत्र कहा से लेकर आए? छोटे-छोटे बच्चों से जबरदस्ती करोगे क्या? महाराष्ट्र को कोई तिरछी नजर से नहीं देखेगा. हिंदी अच्छी भाषा है, सारी भाषा अच्छी हैं. किसी की हिम्मत है तो मुंबई पर हाथ डालकर देख लें.'

-राज ठाकरे ने कहा, "मैंने अपने एक इंटरव्यू में कहा था कि मेरा महाराष्ट्र किसी भी राजनीति और लड़ाई से बड़ा है. आज 20 साल बाद मैं और उद्धव एक साथ आए हैं. जो बालासाहेब नहीं कर पाए, वो देवेंद्र फडणवीस ने कर दिखाया… हम दोनों को साथ लाने का काम…"

-राज ठाकरे अपनी पत्नी शर्मिला और बेटे अमित, बेटी उर्वशी के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे. साथ ही उद्धव अपनी पत्नी रश्मि और बेटे आदित्य, तेजस के साथ कार्यक्रम स्थल पर पहुंचे हैं.

-उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे वर्ली में ‘विजय सभा’ में आने से पहले शिवाजी पार्क में स्थित बाल ठाकरे के स्मारक ‘स्मृति स्थल’ पर जा सकते हैं.

-रैली को लेकर शिवसेना (यूबीटी) सांसद संजय राउत ने कहा, "… यह महाराष्ट्र में हम सभी के लिए एक त्यौहार की तरह है कि ठाकरे परिवार के दो प्रमुख नेता, जो अपनी राजनीतिक विचारधाराओं के कारण अलग हो गए थे, आखिरकार 20 साल बाद एक मंच साझा करने के लिए एक साथ आ रहे हैं. हमारी हमेशा से यह इच्छा रही है कि हमें उन लोगों से लड़ना चाहिए जो महाराष्ट्र के लोगों के खिलाफ हैं. आज एक साथ आकर उद्धव और राज ठाकरे निश्चित रूप से मराठी मानुष को दिशा देंगे." 

-यह पुनर्मिलन सियासी भूचाल जैसा माना जा रहा है क्योंकि शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) और महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) लंबे समय से अलग-अलग राह पर हैं. लेकिन केंद्र में लाए गए त्रिभाषा फार्मूले का ठाकरे बंधुओं ने मिलकर विरोध किया, जिसके चलते राज्य सरकार को प्रस्तावित नीति फिलहाल टालनी पड़ी.

महाराष्ट्र में आज कई सालों बाद एक सियासी तस्वीर नजर आ रही है. शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे और मनसे प्रमुख राज ठाकरे आज पूरे 19 साल के बाद एक स्टेज पर एक साथ नजर आ रहे हैं. मराठी भाषा के लिए दोनों भाई सारे गिले-शिकवे भुलाकर एक मंच पर साथ आ चुके हैं. दोनों भाई एक साथ विक्ट्री रैली में शामिल हुए. महाराष्ट्र में भाषा के छिड़े विवाद के बाद यह रैली निकाली जा रही है.

दोनों भाइयों को मराठी भाषा से प्यार ने एक बार फिर एक स्टेज पर एक साथ आने का मौका दिया है. इससे पहले यह दोनों आखिरी बार साल 2005 में चुनाव के समय प्रचार करने के लिए एक मंच पर दिखे थे. इसी के बाद इसी साल राज ठाकरे ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया था.
परिवार के साथ रैली में पहुंचे राज-उद्धव

रैली में शामिल होने के लिए राज ठाकरे अपने घर शिवतीर्थ से एनएससीआई डोम में पहुंच गए हैं. राज ठाकरे के साथ उनके बेटे अमित और उनकी पत्नी शर्मिला भी पहुंची हैं. तो वही उद्धव ठाकरे भी रैली में पहुंच चुके हैं. उद्धव के साथ उनके बेटे आदित्य उनकी पत्नी रश्मि ठाकरे भी साथ रहेंगे. कार्यक्रम खत्म होने के बाद दोनों भाई मुंबई के शिवाजी पार्क में स्थित बालासाहेब ठाकरे की समाधि स्थल पर जा सकते हैं. इसी के चलते आज विक्ट्री रैली निकाली जा रही है. इस रैली में कई नेता जुड़ेंगे.
राज ठाकरे ने सरकार पर साधा निशाना

सही में तो मोर्चा निकालना चाहिए था. मराठी आदमी कैसे एक साथ आता है, लेकिन सिर्फ मोर्चा की चर्चा हुई तो उससे सरकार बैकफुट पर आगई. किसी भी झगड़े से बड़ा महाराष्ट्र है. 20 साल बाद उद्धव और राज ठाकरे एक मंच पर साथ है. उन्होंने आगे कहा, बालासाहेब हमें एक नहीं कर पाए, लेकिन फडणवीस ने कर दिया. उन्होंने सवाल पूछा, हिंदी किसके लिए, छोटे-छोटे बच्चों के साथ जबरदस्ती करोगे? कोई दूसरा एजेंडा नहीं, सिर्फ मराठी एजेंडा है.

उन्होंने आगे कहा, आप हिंदी किसी पर थोप नहीं सकते. साथ ही उन्होंने कहा, सबसे घोषणा मैं आखिर में करूंगा. जो हिंदी भाषा वाले राज्य नहीं है वो आर्थिक रूप से आगे हैं. भाषा कोई भी हो वो श्रेष्ठ होती है. 150 साल मराठाओं ने भारत पर राज किया. राज ठाकरे ने कहा, नीति लागू करने से भाषा लागू नहीं होती. राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र को कोई तिरछी आंख से नहीं देख सकता.
“महाराष्ट्र को तिरछी आंख से कोई नहीं देख सकता”

राज ठाकरे ने कहा, महाराष्ट्र को तिरछी आंख से कोई नहीं देख सकता. मुंबई को अलग करने के लिए एक प्रयास किया गया. मुंबई को कोई महाराष्ट्र से अलग नहीं कर सकता. उन्होंने कहा, भाषा की यह चीजें महाराष्ट्र में ही क्यों लाते हैं? उन्होंने पार्टी पर निशाना साधते हुए कहा, अपने नेताओं की हिंदी सुन लो गिर जाओगे. साथ ही उन्होंने अपने बच्चों के अंग्रेजी स्कूल में पढ़ने पर पलटवार करते हुए कहा, मेरे पास लिस्ट है कि विदेश में किसके बच्चे कहां पढ़ रहे हैं.

राज ठाकरे ने आगे कहा, भाषा के बाद ये आपको जाति में बांटेंगे, लेकिन सफल नहीं होंगे. हम महाराष्ट्र के लिए जो कर सकते हैं वो करेंगे. हमें सतर्क रहना होगा, आगे बहुत कुछ होना है, लेकिन मराठी के नाम पर जो हम हो गए, वो फिर से साकार हो. साथ ही उन्होंने कहा, मराठी के साथ कोई समझौता नहीं करूंगा.

कई दिग्गज होंगे रैली में शामिल

इस रैली को "मराठी एकता की जीत" के रूप में मनाया जा रहा है और इसमें साहित्यकार, शिक्षक, कलाकार, कवि, पत्रकार और मराठी प्रेमी बड़ी संख्या में शामिल होंगे. वर्ली डोम में 7,000-8,000 लोगों के बैठने की व्यवस्था है, और अतिरिक्त भीड़ के लिए बाहर और आसपास की सड़कों पर LED स्क्रीन लगाई गई हैं.

इस रैली के माध्यम से ठाकरे बंधु यह संदेश देना चाहते हैं कि मराठी स्वाभिमान और भाषा के लिए अब राजनीतिक मतभेदों से ऊपर उठने की जरूरत है. हालांकि, इस मंच पर शरद पवार और कांग्रेस नेता हर्षवर्धन सपकाल की गैरमौजूदगी भी चर्चा का विषय है. मनसे की ओर से न्योता भेजा गया था, लेकिन वे रैली में शामिल नहीं हो रहे हैं.

भाजपा सांसद नारायण राणे और शिवसेना (शिंदे गुट) के रामदास कदम ने इस एकजुटता को आगामी BMC चुनावों में प्रासंगिकता बनाए रखने की चाल बताया है. वहीं, मनसे नेता प्रकाश महाजन ने उम्मीद जताई कि यह मंच मराठी समाज की एकता और सम्मान का प्रतीक बनेगा.

अब सवाल ये है कि क्या ठाकरे बंधुओं का यह ‘मराठी गठबंधन’ सिर्फ मंच तक सीमित रहेगा या आगे चलकर राजनीतिक समीकरणों में भी बड़ा बदलाव लाएगा? क्या यह मुंबई की राजनीति में मराठी पहचान के पुनर्जागरण का संकेत है?

 

 

India Edge News Desk

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