डायबिटीज और दिल का कनेक्शन: क्या शुगर मरीजों में हार्ट अटैक का खतरा सच में ज्यादा?

देश में डायबिटीज के मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है और यह केवल ब्लड शुगर की समस्या तक सीमित नहीं है। एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज धीरे-धीरे शरीर के कई अहम अंगों को प्रभावित करती है, खासकर हार्ट को। World Heart Federation की रिपोर्ट के अनुसार, हाल के वर्षों में डायबिटीज से पीड़ित लोगों में हार्ट अटैक और अन्य हार्ट संबंधी बीमारियों के मामले तेजी से बढ़े हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि अक्सर शुरुआती संकेतों को मरीज समझ नहीं पाते, जिससे समस्या गंभीर हो सकती है।
आरएमएल हॉस्पिटल के मेडिसिन विशेषज्ञ डॉ. सुभाष गिरि के अनुसार, लंबे समय तक उच्च ब्लड शुगर नसों को नुकसान पहुंचाता है। इससे हार्ट तक खून पहुंचाने वाली नसें कमजोर और संकरी हो सकती हैं, जिससे हार्ट डिजीज का खतरा बढ़ जाता है। इसके साथ ही हाई ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल जैसी समस्याएं भी आमतौर पर डायबिटीज मरीजों में जुड़ी रहती हैं, जो जोखिम और बढ़ा देती हैं।
डॉ. गिरि बताते हैं कि डायबिटीज के कारण शरीर में सूजन और फैट जमा होने की प्रक्रिया तेज हो जाती है। इसके परिणामस्वरूप नसें सख्त हो सकती हैं। इसके अलावा, कई बार हार्ट अटैक के सामान्य लक्षण डायबिटीज मरीजों में साफ नजर नहीं आते, जिससे समय पर इलाज नहीं मिल पाता।
लक्षणों में अक्सर सीने में तेज दर्द की जगह हल्का दबाव, जलन या असहजता महसूस होना, सांस फूलना, अचानक थकान, चक्कर आना या पसीना आना शामिल हैं। कुछ मरीजों को जबड़े, गर्दन, कंधे या बाएं हाथ में दर्द भी महसूस हो सकता है। डायबिटीज के कारण नसों की संवेदनशीलता कम हो जाने से ये संकेत अक्सर अनदेखे रह जाते हैं।
मेडिकल एक्सपर्ट्स का कहना है कि डायबिटीज मरीजों को हार्ट अटैक से बचाव के लिए अपनी लाइफस्टाइल पर खास ध्यान देना जरूरी है। ब्लड शुगर को कंट्रोल में रखना, संतुलित और पौष्टिक आहार लेना, नियमित व्यायाम करना, ब्लड प्रेशर और कोलेस्ट्रॉल स्तर पर नजर रखना, तनाव कम करना और पर्याप्त नींद लेना इसके लिए अहम कदम हैं। विशेषज्ञों की सलाह है कि किसी भी असामान्य लक्षण या बदलाव को अनदेखा न करें और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें, क्योंकि समय पर इलाज ही डायबिटीज मरीजों के लिए हार्ट अटैक के खतरे को कम करने का सबसे कारगर तरीका है।



