ग्रेनेड हमले में मारे गए रणजीत सिंह के परिवार का छलका दर्द

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क

राजौरी : उत्तरी कश्मीर के बारामूला जिले में आतंकवादियों के ग्रेनेड हमले में मारे गए रणजीत सिंह उनके परिवार में कमाने वाले एक इकलौते शख्स थे। सिंह बारामूला में एक शराब की दुकान पर काम करते थे और उनके परिवार के 7 लोगों की जिम्मेदारी उन पर ही थी। नौकरी पर लगे उन्हें अभी 20 दिन ही हुए थे और मंगलवार की शाम आतंकवादियों के ग्रेनेड हमले में उनकी मौत हो गई। घटना के दिन सिंह दुकान पर थे, जब बुर्का पहने एक आतंकवादी वहां आया और उसने खिड़की से दुकान के अंदर एक ग्रेनेड फेंक दिया। इस विस्फोट में सिंह की मौत हो गई और तीन अन्य कर्मचारी गोवर्धन सिंह, रवि कुमार और गोविंद सिंह घायल हो गए।

रणजीत सिंह की बेटी शिवानी ने अपने पिता के अंतिम संस्कार के बाद बुधवार को पत्रकारों से कहा कि आतंकवादियों ने परिवार के इकलौते कमाने वाले शख्स को छीन लिया। हिंदू होना कोई गुनाह नहीं है। हिंदू भी कश्मीर में काम कर सकते हैं। यह उनका (इस्लामिक) स्टेट नहीं है। सिंह की दूसरी बेटी प्रियंका ने कहा कि उनके पिता 20 दिन पहले ही नई नौकरी के लिए कश्मीर गए थे। उन्होंने कहा कि हमें लगा था कि हमारा जीवन अब बेहतर हो जाएगा, लेकिन आतंकवादियों ने सारे सपने तोड़ दिए। हम अब क्या करेंगे? हमारे परिवार की रोटी अब कहां से आएगी? उन्होंने हमारे परिवार के कमाने वाले इकलौते शख्स को छीन लिया।

उन्होंने ऐसे हमले करने वालों और उनसे सहानुभूति रखने वालों से भी सवाल किए। उन्होंने कहा कि मैं उनसे पूछना चाहती हूं कि मेरे पिता ने अपने परिवार का पेट भरने के लिए कश्मीर में नौकरी करके क्या गलती की थी? मेरे पिता ने उनका क्या बिगाड़ा था? क्या उन्होंने उनके साथ कुछ गलत किया था? बारामूला में शराब की दुकान पर नौकरी मिलने से पहले सिंह दिहाड़ी पर मजदूरी करते थे। उनकी बेटी ने कहा कि वह हिंदू थे, इसलिए कश्मीर के आतंकवादियों ने उनकी हत्या कर दी। वह अपने परिवार वालों का पेट भरने के लिए घर से इतनी दूर गए थे। वह केवल एक मजदूर थे। हम मजदूरी करके अपने घरवालों का पेट भरते हैं। वह परिवार में इकलौते कमाने वाले थे। अब वह हमारे साथ नहीं हैं।

बारामूला से उनका पार्थिव शरीर बुधवार की सुबह बकरा स्थित रणजीत सिंह के घर पर पहुंचाया गया। इस दौरान वहां शोक प्रकट करने कई लोग पहुंचे। इन लोगों ने सिंह का शव राजमार्ग पर रख कर कश्मीर में हिंदुओं की हत्या रोकने की मांग करते हुए पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवादियों के खिलाफ नारेबाजी की। अधिकारियों के समझाने-बुझाने के बाद वे लोग माने और सिंह का अंतिम संस्कार किया गया। प्रदर्शन कर रहे लोग परिवार को 25 लाख रुपये मुआवजा देने और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी देने की मांग कर रहे थे।
(जी.एन.एस)

India Edge News Desk

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