शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में हुए तीन प्रस्ताव पारित
इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
मुंबई : शिवसेना मुख्यालय में शनिवार को पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक हुई जहां पार्टी अध्यक्ष एवं महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे द्वारा एकनाथ शिंदे समेत बागी विधायकों के खिलाफ कार्रवाई पर निर्णय लिए जाने की संभावना है। वैसे तो यह माना जा रहा था कि ठाकरे अपने निवास ‘मातोश्री’ से डिजिटल तरीके से इस बैठक की अध्यक्षता करेंगे लेकिन वह इसके लिए मध्य मुंबई के दादर में स्थित पार्टी मुख्यालय ‘शिवसेना भवन’ पहुंचे। मुंबई में चल रही शिवसेना की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में तीन प्रस्ताव पारित हुए हैं।
शिवसेना की इस बैठक में आज तीन बड़े प्रस्ताव पारित हुए हैं। पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि शिवसेना में सभी तरह के निर्णय लेने के सभी अधिकारी पार्टी के चीफ उद्धव ठाकरे के पास रहेंगे। दूसरा प्रस्ताव- बाला साहेब ठाकरे और शिवसेना ये नाम कोई भी उपयोग नहीं कर सकता। तीसरा प्रस्ताव- पार्टी में गद्दारी करने वालों पर कार्रवाई करने का भी अधिकार पार्टी चीफ के पास ही रहेगा। अभी तक इन सभी प्रस्तावों को सर्वसम्मति से माना गाया है।
शिवसेना भवन में जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में फैसला लिया गया है कि बालासाहब के नाम का दुरुपयोग न हो, इसके लिए शिवसेना चुनाव आयोग का रूख करेगी। मुंबई के शिवसेना भवन में जारी राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि शिंदे पहले नाथ थे लेकिन अब वे दास हो गए हैं. उन्होंने कहा कि अगर शिंदे में हिम्मत है तो वे अपने पिता के नाम पर वोट मांगकर दिखाएं।
संभावना है कि पार्टी की राष्ट्रीय कार्यसमिति ठाकरे को शिंदे की बगावत के मद्देनजर संगठन के बारे में निर्णय लेने के लिए अधिकृत कर सकती हैं। शिंदे के साथ ही अन्य असंतुष्ट पार्टी नेता एवं पूर्व मंत्री रामदास कदम पर गाज गिरने की संभावना है। दोनों ही राष्ट्रीय कार्यसमिति के सदस्य हैं। कदम के बेटे एवं विधायक योगेश कदम गुवाहाटी में बागी धड़े में शामिल हो गए हैं। शिवसेना पहले ही 16 विधायकों को विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य ठहराए जाने की मांग करते हुए आवेदन दे चुकी है।
शिवसेना भवन के बाहर राज्यसभा सदस्य अनिल देसाई ने कहा, ‘राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक की कार्यवाही से निर्वाचन आयोग को अवगत कराया जाएगा।’ बुधवार को कोरोना वायरस से संक्रमित पाए गए ठाकरे ने शुक्रवार को दो बार शिवसेना कार्यकर्ताओं को संबोधित किया था और कहा था कि यदि कार्यकर्ता महसूस करते हैं कि वह पार्टी को प्रभावी ढंग से चलाने में अक्षम हैं तो वह अध्यक्ष पद छोड़ने को तैयार हैं।
(जी.एन.एस)