गुरु पूर्णिमा : क्या होता है गुरु मंत्र और कैसे दिया जाता हैं?

गुरु पूर्णिमा का पर्व गुरु को समर्पित होता है. इस दिन लोग अपने गुरु अपने माता-पिता का आशीर्वाद लेते और उनको जीवन में दिए गए ज्ञान का धन्यवाद करते हैं. गुरु मंत्र आध्यात्मिक गुरु के द्वारा दिया जाता है. जिसे भी आप अपना गुरु मानते हैं या बनाते हैं उनके वचनों को मानना और उस पर चलना की गुरु मंत्र है.
गुरु मंत्र गुरु अपने शिष्य को देता है. जो जीवन में आपका मार्गदर्शन करता है.गुरु मंत्र आध्यात्मिक यात्रा में आगे बढ़ने में मदद करता है. साथ ही गुरु मंत्र, आमतौर पर एक देवता का नाम, एक विशिष्ट शब्द, या एक वाक्य होता है. दीक्षा देते समय गुरु अपने शिष्य को यह मंत्र प्रदान करता है.गुरु, शिष्य को मंत्र का अर्थ और उसका जाप करने की विधि भी समझाते हैं.
गुरु मंत्र का जाप कैसे करें-
गुरु मंत्र एक गोपनीय मंत्र होता है. इसको किसे को बताना नहीं चाहिए.
गुरु मंत्र का जाप, गुरु के प्रति श्रद्धा और भाव को दर्शाता है.
गुरु मंत्र का जाप नियमित रूप से करना चाहिए , तभी इसका फल प्राप्त होता है.
“ध्यान मूलं गुरु मूर्ति, पूजा मूलं गुरु पदम्। मंत्र मूलं गुरु वाक्यं, मोक्ष मूलं गुरु कृपा॥”
इसका अर्थ है कि गुरु की मूर्ति का ध्यान करना, गुरु के चरणों की पूजा करना, गुरु के वचनों को मंत्र मानना, और गुरु की कृपा से ही मोक्ष प्राप्त होता है.
अर्थात् ध्यान करने वाली अगर कोई मूर्ति है तो गुरु की मूर्ति, माता- पिता गुरु के चरण ही पूजा के लिए शुभ स्थान हैं. अगर मंत्र की जिज्ञासा है को गुरु के वचनों को ही मंत्र मानना चाहिए. गुरु के वचनों में गहरा ज्ञान होता है और जीवन में सफल होने का राज उसी में मिल जाता है. गुरु के बिना आत्म कल्याण संभव नहीं. सच्चा गुरु और अच्छा गुरु रंक को भई राजा बना देता है. इसीलिए गुरु के महत्व को समझे और उनकी कृपा को समझें.



