MP में पशु नस्ल सुधार के लिए दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान शुरू, पशुपालकों को दी जाएगी आधुनिक तकनीक की जानकारी

ग्वालियर
 पशुओं के नस्ल सुधार कार्यक्रम की धीमी रफ्तार से मध्य प्रदेश में दुग्ध उत्पादन प्रभावित हो रहा है। इसका उदाहरण है- दो साल पहले सेक्स शार्टेड सीमन जैसी उन्नत तकनीक शुरू की जा चुकी है लेकिन प्रदेश का पशु पालन विभाग इस तकनीकी को पशु पालकों तक नहीं पहुंचा पा रहा है। नतीजतन, वे परंपरागत तकनीकी से ही पशुओं का गर्भाधान करा रहे हैं।

चूंकि नई तकनीकी न सिर्फ पशुओं के नस्ल सुधार के लिए कारगर है, जो मादा पशुओं के जन्म हो ही सुनिश्चित करती है और इस नस्ल के पशु अधिकाधिक दुग्ध भी देते हैं। ऐसे में, राज्य सरकार ने इस तकनीकी को बढ़ावा देने के लिए दुग्ध समृद्धि संपर्क अभियान संचालित करने का निर्देश दिया है। गत दो अक्टूबर से शुरू हो चुके इस अभियान के तहत ऐसे पशुपालकों का सर्वे किया जा रहा है, जो 10 या 10 से अधिक दुधारू पशु पालते हैं। राज्य सरकार का मानना है कि यदि पशु पालकों ने यह तकनीकी अपनाई तो बहुत जल्द दुग्ध उत्पादन को बढ़ावा मिलेगा।

नई तकनीकी भी, इंफ्रास्ट्रक्चर भी फिर भी नस्ल सुधार में पीछे

कम दुग्ध उत्पादन वाले पशुओं में नस्ल सुधार का काम कृत्रिम गर्भाधान से हो सकता है। इसके बाद उनकी दुग्ध उत्पादन क्षमता बढ़ जाती है। इसके साथ ही नई तकनीकी से गर्भाधान के दौरान दुधारू पशुओं के 90 प्रतिशत मादा पशु होने की संभावना रहती है। ऐसे में निराश्रित पशुओं की समस्या भी हल हो सकती है। गौरतलब है कि पशुओं की नस्ल सुधार के लिए संसाधन कम नहीं हैं। पशु अस्पताल और डिस्पेंसरी भी हैं।

कृत्रिम गर्भाधान केंद्र भी संचालित हैं। इन सभी केंद्रों पर सेक्स शार्टेड सीमन की नई तकनीकी भी है, लेकिन ग्रामीण क्षेत्र के पशुपालकों को इस बारे में जानकारी नहीं दी गई है। ऐसे में अधिकतर पशु पालक परंपरागत तरीके से ही पशुओं का गर्भाधान कराते हैं। इससे नस्ल सुधार नहीं हो पाता। गोवंशीय पशु औसतन एक बार में सामान्यत: दो से चार लीटर दूध देते हैं। इसके साथ ही सड़कों भी निराश्रित गोवंश रहता है। उसके लिए तकनीकी अधिक कारगर होगी।

क्या होगा अभियान में

    अभियान के तहत पशु पालकों का सर्वे किया जाएगा।
    पहले चरण में 10 पशुओं से अधिक का पालन करने वाले, दूसरे चरण में 10 से कम पशु पालने वालों का डाटा एकत्रित किया जाएगा।
    हर घर से संपर्क के दौरान हर पशु पालक की समस्याएं सुनी जाएंगी और निराकरण भी किया जाएगा।

नस्ल सुधारने के फायदे बताए जा रहे

    पशुओं का कृत्रिम गर्भाधान तो बहुत पहले से किया जाता रहा है। सेक्स शार्टेड सीमन तकनीकी दो साल पहले ही आई है। अधिकतर पशु पालक जानकारी न होने से परंपरागत तरीके से ही पशुओं का गर्भाधान कराते हैं, लेकिन अब अभियान में सभी पशु पालकों से संपर्क करके उन्हें नस्ल सुधार के फायदे बताए जा रहे हैं। – डॉ. अनिल अग्रवाल, उप संचालक, पशु पालन व डेयरी विभाग

 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button