Karpuri Thakur: कौन थे कर्पूरी ठाकुर जिन्हें मिलेगा भारत रत्न? आइये जानते हैं बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री की पूरी कहानी
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा

बिहार,Karpuri Thakur: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न दिया जाएगा. कर्पूरी ठाकुर की पहचान एक स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक और राजनीतिज्ञ के रूप में रही है। वह बिहार के दूसरे उपमुख्यमंत्री और दो बार मुख्यमंत्री रहे। उनकी लोकप्रियता के कारण उन्हें जननायक कहा जाता था।
कर्पूरी ठाकुर कौन थे?
कर्पूरी ठाकुर को बिहार की राजनीति में सामाजिक न्याय की लौ जलाने वाले नेता माना जाता है. कर्पूरी ठाकुर का जन्म एक साधारण नाई परिवार में हुआ था। कहा जाता है कि उन्होंने जीवनभर कांग्रेस विरोधी राजनीति की और अपना राजनीतिक मुकाम हासिल किया। आपातकाल के दौरान भी तमाम कोशिशों के बावजूद इंदिरा गांधी उन्हें गिरफ्तार नहीं करा पाईं |
कर्पूरी ठाकुर 1970 और 1977 में मुख्यमंत्री बने
कर्पूरी ठाकुर 1970 में पहली बार राज्य के मुख्यमंत्री बने। 22 दिसंबर 1970 को उन्होंने पहली बार राज्य की कमान संभाली। उनका पहला कार्यकाल केवल 163 दिनों तक चला। 1977 की जनता लहर में जब जनता पार्टी को भारी जीत मिली तब भी कर्पूरी ठाकुर दूसरी बार बिहार के मुख्यमंत्री बने। वह अपना कार्यकाल भी पूरा नहीं कर सके. इसके बाद भी उन्होंने अपने दो साल से कम के कार्यकाल के दौरान समाज के दबे-कुचले लोगों के हितों के लिए काम किया। बिहार में मैट्रिक तक की पढ़ाई मुफ्तसाथ ही राज्य के सभी विभागों में हिंदी में काम करना अनिवार्य कर दिया गया. अपने कार्यकाल के दौरान उन्होंने गरीबों, पिछड़ों और अति पिछड़ों के पक्ष में कई ऐसे काम किये, जिससे बिहार की राजनीति में आमूल-चूल परिवर्तन आया. इसके बाद कर्पूरी ठाकुर की राजनीतिक ताकत काफी बढ़ गई और वह बिहार की राजनीति में समाजवाद का एक बड़ा चेहरा बन गये |
कर्पूरी ठाकुर के शिष्य हैं लालू-नीतीश
बिहार में समाजवाद की राजनीति करने वाले लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार कर्पूरी ठाकुर के शिष्य हैं. जनता पार्टी के दौर में लालू और नीतीश ने कर्पूरी ठाकुर की उंगली पकड़कर राजनीति के गुर सीखे थे. ऐसे में जब बिहार में लालू यादव सत्ता में आए तो उन्होंने कर्पूरी ठाकुर के काम को आगे बढ़ाया. वहीं, नीतीश कुमार ने अति पिछड़ा समुदाय के पक्ष में भी कई काम किये |
बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर हैं अहम
चुनाव विश्लेषकों के मुताबिक बिहार की राजनीति में कर्पूरी ठाकुर को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. कर्पूरी ठाकुर की मृत्यु 1988 में हो गई, लेकिन इतने साल बाद भी वह बिहार के पिछड़े और अति पिछड़े मतदाताओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. गौरतलब है कि बिहार में पिछड़ों और अति पिछड़ों की आबादी करीब 52 फीसदी है. ऐसे में सभी राजनीतिक दल प्रभाव जमाने के मकसद से कर्पूरी ठाकुर का नाम लेते रहते हैं. यही वजह है कि कांग्रेस ने 2020 में अपने पत्र में ‘कर्पूरी ठाकुर सुविधा केंद्र’ खोलने का ऐलान किया था