क्लाउड सीडिंग निकली धोखा? चार घंटे बाद भी नहीं बरसी दिल्ली में बारिश, AAP बोली– बस दिखावा था!

नई दिल्ली 
दिल्ली में आज दोपहर क्लाउड सीडिंग के कई ट्रायल किए गए. लेकिन रेखा सरकार का यह ट्रायल फिलहाल सवालों के घेरे में है. दो घंटे बीत जाने के बाद भी बारिश नहीं हुई है, जिस पर आप (AAP) ने दिल्ली सरकार पर निशाना साधा है. AAP ने इसे आर्टिफिशियल रेन के नाम पर फर्जीवाड़ा बताया है. क्लाउड सीडिंग के बाद अधिकारियों ने दावा किया था कि 15 मिनट से 4 घंटे के भीतर बारिश शुरू हो सकती है, लेकिन तीन घंटे बाद भी आसमान साफ नजर आ रहा है. AAP नेता सौरभ भारद्वाज ने वीडियो बनाकर दिल्ली सरकार के इस ट्रायल पर सवाल खड़े किए हैं. उन्होंने लिखा, 'बारिश में भी फर्ज़ीवाड़ा, कृत्रिम वर्षा का कोई नामुनिशान नहीं दिख रहा है. इन्होंने सोचा होगा देवता इंद्र करेंगे वर्षा. सरकार दिखाएगी खर्चा.'
 
'देवता इंद्र करेंगे वर्षा, सरकार दिखाएगी खर्चा'
सौरभ भारद्वाज ने कहा, 'इंद्र देवता भी सरकार का साथ नहीं दे रहे. कल शाम को थोड़ी बहुत बारिश हो भी रही थी लेकिन अब तो जो थोड़े बहुत बादल दिख रहे थे, वो भी चले गए.'

दिल्ली में हुआ ट्रायल
बता दें कि राजधानी दिल्ली में आज क्लाउड सीडिंग का सफल ट्रायल किया गया. अब इसके तीन ट्रायल हो चुके हैं. इसके लिए IIT कानपुर के Cessna एयरक्राफ्ट ने मेरठ से उड़ान भरी और खेकरा, बुराड़ी, नार्थ करोल बाग, मयूर विहार, सड़कपुर और भोजपुर जैसे इलाकों में क्लाउड सीडिंग का ट्रायल किया. इस दौरान पायरो तकनीक का उपयोग करते हुए 8 क्लाउड सीडिंग फ्लेयर्स छोड़े गए. 

मंत्री सिरसा ने दी क्लाउड सीडिंग की जानकारी
दिल्ली सरकार में मंत्री मनजिंदर सिरसा ने इस बारे में जानकारी दी. उन्होंने कहा कि 8 फ्लेयर्स को यूज किया गया. एक फ्लेयर 2.5 kg की है और लगभग दो से ढाई मिनट तक चलती है. इस पूरे प्रोसेस में आधा घंटा लगा था. इस ट्रायल के बाद बाहरी दिल्ली के इलाकों में हल्की बूंदाबांदी के साथ बारिश होने की संभावना जताई गई थी. लेकिन यह बादलों में नमी पर निर्भर करता है. फिलहाल नमी कम है, क्योंकि दिल्ली में मौसम विभाग द्वारा अनुमानित तापमान सामान्य से 3 डिग्री कम है. 

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button