योगी सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में यूपी में पर्यटन को और पंख लगेंगे, यूपी में पर्यटन की नई उड़ान

लखनऊ
योगी सरकार के प्रयासों से आने वाले समय में यूपी में पर्यटन को और पंख लगेंगे। द वर्ल्ड ट्रैवल एंड टूरिज्म काउंसिल (डब्ल्यूटीटीसी) ने राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन के परिदृश्य के बारे में जो पूर्वानुमान जताया है, उससे इस बात के पुख्ता संकेत मिल रहे हैं। इन संकेतों में छिपी संभावनाओं को सच में तब्दील करने को योगी सरकार पूरी तरह योजनाबद्ध तरीके से प्रतिबद्ध भी है। प्रदेश में विदेशी और घरेलू पर्यटकों की आमद बढ़ने के साथ ही इनके द्वारा यात्रा, रहने, खाने और यादगार के रूप में स्थानीय उत्पादों के खरीदे जाने से अर्थव्यवस्था तो सुधरेगी ही, इससे जुड़े ट्रांसपोर्टेशन, होटल, होम स्टे, गाइड आदि सेक्टर्स में रोजी-रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे।

डब्ल्यूटीटीसी की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2024 के राष्ट्रीय पर्यटन संबंधी आंकड़े 2019 के सभी मानकों को पीछे छोड़ चुके हैं। संस्था ने 2030 तक के लिए जो पूर्वानुमान जताए हैं, वे बेहद संभावनाओं वाले हैं। भगवान श्रीराम की जन्मभूमि अयोध्या, राधाकृष्ण की जन्मभूमि और कर्मस्थली ब्रजभूमि उत्तर प्रदेश में ही है। तीर्थराज प्रयाग, विश्व की सबसे पुरातन नगरी एवं तीनों लोकों से न्यारी शिव की काशी, दुनिया को शांति और अहिंसा के संदेश से प्रकाशित करने वाले भगवान बुद्ध से जुड़े सभी प्रमुख स्थल कुशीनगर, सारनाथ, कपिलवस्तु भी उत्तर प्रदेश में हैं। इन सब वजहों से देश में बढ़ते पर्यटन के कारण यूपी में पर्यटन की संभावना भी बढ़ जाती है। यह हो भी रहा है। सरकारी आंकड़े इसकी तस्दीक भी कर रहे हैं। ऐसा हो इसके लिए संभावना वाले टूरिज्म स्पॉट को केंद्र बनाकर योगी सरकार पर्यटकों की सुरक्षा और सुविधा के लिए वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने को प्रतिबद्ध है। प्राथमिकता बनाकर चरणबद्ध तरीके से यह काम हो भी रहा है।

इसमें केंद्र सरकार का भी विभिन्न योजनाओं के जरिए भरपूर सहयोग मिल रहा है। डब्ल्यूटीटीसी के अनुसार देश के लिए पर्यटन के लिहाज से साल 2025 रिकॉर्ड ब्रेकिंग हो सकता है। इसकी वजह से देश की अर्थव्यवस्था में इस सेक्टर का योगदान 22 लाख करोड़ रुपए तक पहुंच सकता है। इस पूर्वानुमान के अनुसार टूरिज्म सेक्टर से जुड़े सेक्टर्स में रोजगार पाने वालों की संख्या 48 मिलियन से अधिक हो सकती है। संस्था की ओर से साल 2030 के लिए जताए गए पूर्वानुमान के अनुसार पर्यटन से अर्थव्यवस्था को मिलने वाला योगदान 42 लाख करोड़ और रोजगार बढ़कर 64 मिलियन हो जाएगा।

इन आंकड़ों में ही उत्तर प्रदेश के टूरिज्म सेक्टर की भी संभावनाएं छिपी हैं। खासकर धार्मिक पर्यटन के लिहाज से। सरकार भी इसे जानती और स्वीकार करती है। ऐसे स्थलों के विकास पर उसका सर्वाधिक फोकस भी है। खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, “धार्मिक पर्यटन की संभावनाओं को बढ़ावा देने के प्रयास न केवल आस्था को आह्लादित करते हैं, बल्कि अर्थव्यवस्था को भी मजबूत बनाते हैं। केंद्र सरकार की स्वदेश दर्शन, प्रसाद तथा रामायण, कृष्ण, बौद्ध सर्किट जैसी योजनाओं ने पर्यटन विकास को गति दी है। उत्तर प्रदेश की डबल इंजन सरकार ने इन क्षेत्रों में सड़क, परिवहन, रुकने की सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। पर्यटन के प्रति बढ़ते रुझान और सरकार की प्रभावशाली नीतियों के चलते प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसरों में अभूतपूर्व वृद्धि के साथ स्थानीय स्तर पर युवाओं के लिए रोजी-रोजगार के अवसर बढ़े हैं। स्थानीय हस्तशिल्प एवं स्थान विशेष की पहचान बने उत्पादों को खूब लाभ मिला है। इन पर्यटन स्थानों में हुए विकास से युवा उद्यमियों और स्टार्टअप्स को भी नए अवसर प्राप्त हो रहे हैं। उत्तर प्रदेश ने अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को संरक्षित एवं पुनरुद्धार कर पर्यटन के नए हब के रूप में अपनी पहचान बनाई है।

टूरिज्म सेक्टर को बढ़ावा देने के लिए ही सरकार 4,560 करोड़ रुपए की लागत से धार्मिक स्थलों को जोड़ने वाले 272 मार्गों का विकास कर रही है। महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों पर आने वाले घरेलू एवं विदेशी पर्यटकों को वैश्विक स्तर की बुनियादी सुविधाएं मिलें, इसे ध्यान में रखते हुए वहां विकास कार्य हो रहे हैं। मसलन लखनऊ, प्रयागराज, कपिलवस्तु में हेलीपोर्ट सेवा शुरू हो चुकी है। कुछ अन्य प्रमुख पर्यटन स्थलों को भी शीघ्र ही इस सेवा का लाभ मिलने लगेगा। अयोध्या शोध संस्थान का उच्चीकरण, अंतरराष्ट्रीय रामायण एवं वैदिक शोध संस्थान की स्थापना भी हो रही है। कुशीनगर में बुद्धा थीम पार्क परियोजना, सीतापुर स्थित नैमिषारण्य तपोस्थली पर वेद विज्ञान अध्ययन केंद्र की स्थापना के साथ नैमिष तीर्थ एवं शुक्र तीर्थ का पुनरुद्धार किया गया है।

गोरखपुर में परमहंस योगानंद जी की जन्मस्थली के पुनरुद्धार के साथ गंगा के किनारे जिस श्रृंगवेरपुर में वनगमन के दौरान भगवान श्रीराम और निषादराज का मिलन हुआ था, जहां से वे गंगा पार कर प्रयागराज होते हुए चित्रकूट गए थे, उसे सरकार पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर रही है। योगी सरकार उत्तर प्रदेश में पड़ने वनगमन मार्ग के उन सभी प्रमुख स्थलों को विकसित कर रही है, जहां राम ने पत्नी सीता एवं भाई लक्ष्मण सहित कुछ समय गुजारे थे। पूरे वनगमन मार्ग पर उसी तरह के पौधरोपण की भी योजना है, जिनका जिक्र तुलसीदास के रामचरित मानस या अन्य धार्मिक ग्रंथों में मिलता है।
 

India Edge News Desk

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