इज़राइल में ग्रेटा थनबर्ग के साथ बदसलूकी: बाल खींचकर घसीटने का आरोप

 फ्लोटिला

गाजा में फिलिस्तीनियों के लिए राहत सामग्री ले जा रहे फ्लोटिला जहाज से हिरासत में ली गईं ऐक्टिविस्ट ग्रेटा थनबर्ग को लेकर बड़ा दावा किया गया है। मलेशिया की ऐक्टिविस्ट हाजवानी हेलमी और वाइंडफील्ड बेवर ने दावा किया है कि उन्होंने खुद देखा है कि ग्रेटा थनबर्ग के साथ बदसलूकी की गई। उन्होंने कहा, ग्रेटा को धक्का दिया गया और जबरन इजरायली झंडे में लपेटा गया। बता दें कि शनिवार को इजरायली नौसेना ने फ्लोटिला से लगभग 137 ऐक्टिविस्ट को गिरफ्तार कर लिया था। अब उन्हें डिपोर्ट करने की तैयारी है।

एक अन्य ऐक्टिविस्ट एरसिन सीलिक ने कहा कि ग्रेटा के बाल पकड़कर घसीटा गया और गाली-गलौज की गई। उन्होंने कहा, हारी आंखों के सामने ग्रेटा को बाल पकड़कर घसीटा गया। उनसे जबरन इजरायली फ्लैग को किस करवाया गया। वहीं इरायली विदेश मंत्रालय का कहना है कि हिरासत में लिए गए लोगों के साथ बदसलूकी की खबरें झूठी हैं।

कम से कम 36 ऐक्टिविस्ट को अब तक डिपोर्ट कर दिया गया है। ये ऐक्टिविस्ट पहले इन्स्तांबुल एयरपोर्ट पहुंचे हैं। इसमें अमेरिका, यूएई, अल्जीरिया, मोरक्को, इटली, कुवैत, लीबिया, मलेशइया, मॉरिटानिया, स्विट्जरलैंड, ट्यूनीशिया और जॉर्डन के नागरिक शामिल हैं। हाजवानी हेलमी और वाइंडफील्ड बेवर ने बताया, ग्रेटा थनबर्ग से आतंकियों की तरह ऐक्ट करने को कहा गया। यह बड़ा ही भयावह था। उनके साथ जानवरों की तरह का बर्ताव किया गया। इजरायली सेना ने ऐक्टिविस्ट को साफ पानी और साफ खाना तक नहीं दिया।

‘द ग्लोबल सुमुद फ्लोटिला’ नामक इस काफिले में लगभग 50 छोटे जहाज शामिल थे, जिन पर करीब 500 लोग सवार थे। यह काफिला गाजा के घेराबंदी वाले क्षेत्र में फंसे फलस्तीनियों के लिए मानवीय सहायता ले जा रहा था, जिसमें मुख्य रूप से खाद्य सामग्री और दवाइयां शामिल हैं। इजराइल ने यह हमला ऐसे वक्त किया है जब हमास ने लगभग दो साल से जारी युद्ध को समाप्त कराने के अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के प्रस्ताव की कुछ शर्तें मानी हैं।

ट्रंप ने जो योजना पेश की है उसके तहत हमास को सभी 48 बंधकों को वापस करना होगा और सैकड़ों फलस्तीनी कैदियों की रिहाई और लड़ाई समाप्त करने के बदले में सत्ता छोड़नी होगी और निरस्त्रीकरण करना होगा। ट्रंप के इस प्रस्ताव को इजराइली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने स्वीकार कर लिया है लेकिन इस प्रस्ताव में फलस्तीन को देश के तौर पर मान्यता देने के बारे में कोई बात नहीं कही गई है।

 

India Edge News Desk

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