शराब घोटाला: चैतन्य की जमानत खारिज, 101 दिन से रायपुर केंद्रीय जेल में

रायपुर
 पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे की जमानत याचिका पर प्रवर्तन निदेशालय के कोर्ट में 24 अक्टूबर को सुनवाई हुई थी. जिसके बाद कोर्ट ने फैसला सुरक्षित रखा था.  ईडी कोर्ट ने चैतन्य बघेल की जमानत याचिका को खारिज कर दिया. एक बार फिर से चैतन्य बघेल को बेल नहीं मिल पाई. चैतन्य बघेल पिछले 100 दिनों से रायपुर के सेंट्रल जेल में बंद हैं. प्रवर्तन निदेशालय ने शराब घोटाला मामले में चैतन्य बघेल को 18 जुलाई को भिलाई के निवास से गिरफ्तार किया था.

चैतन्य बघेल को नहीं मिली जमानत: प्रवर्तन निदेशालय के अधिवक्ता सौरभ कुमार पांडेय ने बताया कि "प्रवर्तन निदेशालय अपनी जांच कर रहा था और यह जांच मुख्य रूप से शराब घोटाला से जुड़े हुए मामले में हो रहा था. जांच के दौरान ऐसे प्रमाण मिले जिसमें ऐसा लगा कि शराब घोटाला मामले में चैतन्य बघेल की मुख्य भूमिका रही है. प्रत्यक्ष रूप से चैतन्य बघेल इससे लाभ लेने के साथ बहुत सारा पैसा का हैंडलिंग भी किया है. हैंडलिंग करने वाले पैसा लगभग 1000 करोड़ के आसपास है. शराब घोटाला के लगभग 20 करोड़ के लगभग लाभ चैतन्य बघेल ने लिया है. इसी भूमिका को देखते हुए प्रवर्तन निदेशालय ने चैतन्य बघेल को गिरफ्तार किया था.

24 अक्टूबर को हुई सुनवाई के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया था, जिसे सोमवार को सुनाया गया । ED की स्पेशल कोर्ट ने कहा कि चैतन्य बघेल की रिहाई से जांच प्रभावित हो सकती है, इसलिए उन्हें जमानत नहीं दी जा सकती।

चैतन्य बघेल ने इससे पहले हाईकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट तक अपनी गिरफ्तारी को चुनौती दी थी, लेकिन किसी भी स्तर पर राहत नहीं मिल सकी। 17 अक्टूबर को हाई कोर्ट ने उनकी गिरफ्तारी को वैध बताया था, जिसके बाद यह याचिका विशेष अदालत में दायर की गई थी। चैतन्य बघेल मनी लॉन्ड्रिंग केस में 101 दिन से जेल में बंद है।

चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले- ED

दरअसल, शराब घोटाला और मनी लॉन्ड्रिंग केस में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने चैतन्य बघेल को भी आरोपी बनाया है। आरोप है कि शराब घोटाले की रकम से चैतन्य को 16.70 करोड़ रुपए मिले हैं। शराब घोटाले से मिले ब्लैक मनी को रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स में इन्वेस्ट किया गया।

ED के मुताबिक चैतन्य बघेल ने ब्लैक मनी को वाइट करने के लिए फर्जी निवेश दिखाया है। साथ ही सिंडिकेट के साथ मिलकर 1000 करोड़ रुपए की हैंडलिंग (हेराफेरी) की गई है। ED ने चैतन्य बघेल को मनी लॉन्ड्रिंग केस में जुलाई में गिरफ्तार किया था।

बर्थडे के दिन चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी

चैतन्य के वकीलों ने अदालत में इसे राजनीतिक प्रतिशोध बताया, लेकिन कोर्ट ने इस तर्क को खारिज कर दिया। गौरतलब है कि 18 जुलाई को ईडी ने उनके भिलाई स्थित घर से जन्मदिन के दिन उन्हें गिरफ्तार किया था। ईडी के अनुसार, कुल घोटाले में करीब 1,000 करोड़ रुपए को विभिन्न चैनलों के जरिए सफेद किया गया है।

चैतन्य के प्रोजेक्ट में 13-15 करोड़ इन्वेस्ट

ED ने अपनी जांच में पाया कि, चैतन्य बघेल के विट्ठल ग्रीन प्रोजेक्ट (बघेल डेवलपर्स) में घोटाले के पैसे को इन्वेस्ट किया गया है। इस प्रोजेक्ट से जुड़े अकाउंटेंट के ठिकानों पर छापेमारी कर ED ने रिकॉर्ड जब्त किए थे।

प्रोजेक्ट के कंसल्टेंट राजेन्द्र जैन ने बताया कि, इस प्रोजेक्ट में वास्तविक खर्च 13-15 करोड़ था। जबकि रिकॉर्ड में 7.14 करोड़ ही दिखाया गया। जब्त डिजिटल डिवाइसेस से पता चला कि, बघेल की कंपनी ने एक ठेकेदार को 4.2 करोड़ कैश पेमेंट किया, जो रिकॉर्ड में नहीं दिखाया गया।

फर्जी फ्लैट खरीदी के जरिए पैसों की हेराफेरी

ED ने अपनी जांच में पाया है कि त्रिलोक सिंह ढिल्लो ने 19 फ्लैट खरीदने के लिए 5 करोड़ बघेल डेवलपर्स को ट्रांसफर किए। ढिल्लन ने ये फ्लैट अपने कर्मचारियों के नाम पर खरीदे लेकिन पेमेंट त्रिलोक ढिल्लो ने खुद दिया।

ED ने जब ढिल्लन के कर्मचारियों से पूछताछ की तो कर्मचारियों ने बताया कि, ये फ्लैट की खरीदी उन्हीं के नाम पर हुई, लेकिन पैसे ढिल्लो ने दिए। ये सारा ट्रांजेक्शन 19 अक्टूबर 2020 को एक ही दिन हुआ।

ED ने कहा कि ब्लैक को लीगल करने के लिए यह एक पूर्व-योजना के तहत किया गया लेन-देन था। इसका मकसद पैसे को छिपाकर चैतन्य बघेल तक पहुंचाना था।

India Edge News Desk

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