केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए अलर्ट: इस तारीख तक लेना होगा बड़ा फैसला!

नई दिल्ली 
केंद्र सरकार ने कर्मचारियों को यूनिफाइड पेंशन स्कीम (UPS) से नेशनल पेंशन स्कीम (NPS) में लौटने का अवसर दिया है। वित्त मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि यह सुविधा केवल एक बार मिलेगी और इसके बाद दोबारा UPS में लौटना संभव नहीं होगा। सरकार ने कहा कि पात्र कर्मचारी और रिटायर कर्मचारी इस विकल्प का इस्तेमाल 30 सितंबर 2025 तक कर सकते हैं। तय समय सीमा के बाद यदि कोई कर्मचारी कदम नहीं उठाता है, तो उसे डिफॉल्ट रूप से UPS के अंतर्गत ही माना जाएगा। बता दें कि यह कदम उन कर्मचारियों के लिए महत्वपूर्ण है जो तय लाभ वाली UPS योजना से हटकर बाजार-आधारित NPS में जाना चाहते हैं। UPS निश्चित पेंशन, DA से जुड़ा महंगाई समायोजन, ग्रेच्युइटी और पारिवारिक पेंशन जैसे लाभ देता है, जबकि NPS कर्मचारियों को अधिक रिटर्न और निवेश में लचीलापन प्रदान करता है, लेकिन इसमें बाजार जोखिम भी शामिल रहता है।

क्या हैं शर्तें
बता दें कि केंद्र सरकार ने कर्मचारियों के लिए UPS से NPS में बदलाव को लेकर स्पष्ट शर्तें तय की हैं। वित्त मंत्रालय के अनुसार, यह विकल्प केवल एक बार ही इस्तेमाल किया जा सकेगा और कर्मचारी इसके बाद दोबारा (UPS) में वापस नहीं लौट पाएंगे। बदलाव का निर्णय भी समय से पहले लेना होगा। कर्मचारी को यह विकल्प अपनी सेवानिवृत्ति से कम से कम एक वर्ष पहले या स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति (VRS) से कम से कम तीन महीने पहले, जो भी पहले हो, चुनना होगा। इसके अलावा, जिन कर्मचारियों पर हटाए जाने, बर्खास्तगी, दंडस्वरूप अनिवार्य सेवानिवृत्ति जैसी कार्रवाई चल रही हो, या जिनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्यवाही लंबित हो, वे इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाएंगे।

कौन सा विकल्प चुने कर्मचारी
वित्त मंत्रालय द्वारा पेश किए गए पेंशन विकल्पों को लेकर अब स्पष्ट तुलना सामने आ गई है। जानकारों का कहना है कि UPS कर्मचारियों के लिए एक कम जोखिम वाला, सरकारी गारंटी वाला विकल्प है। इसमें पेंशन के साथ ग्रेच्युइटी और पारिवारिक पेंशन जैसी सुविधाएँ भी मिलती हैं। हालांकि, इसकी सीमाएं भी हैं—जैसे कि निवेश में लचीलापन कम होना, एकमुश्त निकासी का हिस्सा छोटा होना और ऊंचे रिटर्न की संभावना अपेक्षाकृत कम रहना।

वहीं, नेंशनल पेंशन स्कीम (NPS) एक डिफाइंड कंट्रिब्यूशन स्कीम है, जिसमें निवेश इक्विटी, कॉरपोरेट बॉन्ड और सरकारी सिक्योरिटी में किया जाता है। इससे कर्मचारियों को निवेश आवंटन पर ज्यादा नियंत्रण और बेहतर ग्रोथ की संभावना मिलती है। NPS में कर्मचारी अपनी पेंशन राशि में से 60% हिस्सा एकमुश्त निकाल सकते हैं, जबकि बाकी 40% से अनिवार्य रूप से एन्युइटी खरीदनी पड़ती है। इसमें कर लाभ भी शामिल हैं, जैसे धारा 80C और 80CCD के तहत छूट। लेकिन चूंकि यह बाजार से जुड़ा है, इसलिए इसमें जोखिम बना रहता है और UPS की तरह मुद्रास्फीति समायोजन या पारिवारिक पेंशन की सुविधा नहीं मिलती।

तुलनात्मक रूप से देखें तो, UPS एक डिफाइंड बेनिफिट प्लान है, जिसमें पेंशन की गारंटी और DA से जुड़ा महंगाई भत्ता मिलता है। UPS में कर्मचारी को बेसिक वेतन + DA का 10% योगदान करना होता है, जबकि नियोक्ता (सरकार) 18.5% योगदान करती है। दूसरी ओर, NPS एक डिफाइंड कंट्रिब्यूशन प्लान है, जिसमें कर्मचारी भी 10% योगदान करते हैं लेकिन नियोक्ता का हिस्सा 14% होता है। UPS में पारिवारिक पेंशन और ग्रेच्युइटी उपलब्ध हैं, जबकि NPS में ये दोनों सुविधाएं नहीं हैं। इसके बदले NPS अधिक रिटर्न और निवेश की आजादी देता है, लेकिन जोखिम और अनिश्चितता भी साथ लाता है।

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button