ऑपरेशन सिंदूर’ का असर: भारत के खौफ से PAK ने लश्कर का ट्रेनिंग सेंटर अफगान बॉर्डर पर शिफ्ट किया

खैबर पख्तूनख्वा 

पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) का नया ट्रेनिंग सेंटर बन रहा है. यह खबर पूरे इलाके की सुरक्षा के लिए चिंता का विषय बनी हुई है. यह सेंटर आतंकवाद को बढ़ावा दे सकता है.
नया ट्रेनिंग सेंटर: मरकज जिहाद-ए-अकसा

यह सेंटर लोअर डिर जिले के कुम्बन मैदान इलाके में बनाया जा रहा है. यह अफगान सीमा से करीब 47 किलोमीटर दूर है. 4643 वर्ग फुट के प्लॉट पर यह बन रहा है, जो LeT के हाल ही में बने जामिया अहले सुन्नाह मस्जिद के बगल में है. 

निर्माण जुलाई 2025 में शुरू हुआ, जो ऑपरेशन सिंदूर के दो महीने बाद था. यह दिसंबर 2025 तक पूरा हो जाएगा. ऑपरेशन सिंदूर भारत की तरफ से था, जिसमें LeT के कई ठिकाने तबाह हो गए थे.

मुख्य विशेषताएं और उद्देश्य

    ट्रेनिंग प्रोग्राम: यहां दो मुख्य कोर्स चलेंगे – दौरा-ए-खास और दौरा-ए-लश्कर. ये आतंकियों को हथियार चलाना, हमले करना और जिहाद की ट्रेनिंग देंगे.

    पुराने सेंटर की जगह: यह LeT के जान-ए-फिदाई फिदायीन यूनिट की जगह लेगा. यह यूनिट पहले भींबर-बरनाला के मरकज अहले हदीस में था, जो ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना ने नष्ट कर दिया था.

    भर्ती और कट्टरवाद: यहां नए लोगों की भर्ती होगी, उन्हें कट्टर बनाया जाएगा. बड़े ग्रुप में ट्रेनिंग दी जाएगी.

नेतृत्व और संचालन

    कमांड: नसर जावेद को कमान सौंपी गई है. वह 2006 के हैदराबाद बम धमाके का सह-मास्टरमाइंड था. 2004 से 2015 तक वह PoK के दुलाई कैंप चला चुका है.

    जिहाद की शिक्षा: मुहम्मद यासिन (उर्फ बिलाल भाई) जिहाद की धार्मिक शिक्षा देगा.

    हथियार ट्रेनिंग: अनस उल्लाह खान हथियारों की ऑपरेशनल ट्रेनिंग संभालेगा. उसने 2016 में LeT के गढ़ी हबीबुल्लाह कैंप में ट्रेनिंग ली थी.

रणनीतिक महत्व

    स्थान बदलना: LeT ने PoK और पंजाब के पुराने ठिकानों को छोड़कर खैबर पख्तूनख्वा में शिफ्ट किया है. इसका मकसद भविष्य में भारतीय हमलों से बचना है.
    दूसरे ग्रुप्स से तालमेल: यह सेंटर हिजबुल मुजाहिदीन के HM-313 कैंप से सिर्फ 4 किलोमीटर दूर है. इससे दोनों ग्रुप्स के बीच समन्वय या रणनीतिक सहयोग की आशंका है.
    पाकिस्तानी सेना की भूमिका: जून 2025 में पाकिस्तानी सेना ने क्लीनअप ड्राइव चलाई, जिसमें 2 दर्जन से ज्यादा TTP (तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान) के सदस्य मारे गए. इससे इलाके को LeT के लिए साफ कर दिया गया लगता है.

इलाके की सुरक्षा चिंताएं

    आतंकी गतिविधियां: यह इलाका हमेशा से भारत-विरोधी आतंकवाद का केंद्र रहा है. यहां अल बद्र और TTP जैसे ग्रुप्स सक्रिय हैं.

    नागरिकों की हानि: जून 2025 से पाकिस्तानी सेना और एयर फोर्स के हवाई हमलों में 40 से ज्यादा नागरिक मारे गए हैं. इससे काउंटर-टेररिज्म ऑपरेशंस की प्रभावशीलता पर सवाल उठे हैं.

    पाकिस्तान की रणनीति: पाकिस्तान अच्छे आतंकवाद को बढ़ावा देता है और बुरे आतंकवाद को खत्म करता है. यह बात मुख्यमंत्री अली अमीन गंदापुर ने खुद स्वीकार की है. इससे पाकिस्तान की आतंकवाद विरोधी प्रतिबद्धता पर शक होता है.

यह नया सेंटर भारत और पूरे क्षेत्र के लिए खतरे की घंटी है. LeT जैसे ग्रुप्स की गतिविधियां बढ़ने से शांति भंग हो सकती है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय को इस पर नजर रखनी चाहिए. भारत को अपनी सुरक्षा मजबूत करनी होगी ताकि ऐसे हमलों का मुंहतोड़ जवाब दिया जा सके.

India Edge News Desk

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