छिंदवाड़ा में सिरप कांड: 14 बच्चों की मौत के बाद जांच में मिली तेजी, बच्ची का शव गड्ढे से निकाला गया

छिंदवाड़ा 

 जहरीले सिरप के सेवन से बच्चों की मौत के मामले ने पूरे प्रदेश और देश को झकझोर दिया है। प्रशासन की लापरवाही भी खुलकर सामने आई है। सबसे हैरानी की बात यह रही कि अंतिम संस्कार से पहले किसी भी बच्चे का पोस्टमार्टम नहीं कराया गया। इसी वजह से जिले के मोक्ष धाम से पोस्टमार्टम के लिए 2 साल की बच्ची का शव कब्र से निकालना पड़ा।

बच्ची के शव को गड्ढे से बाहर निकाला गया

कोल्ड्रिफ कफ सिरप के सेवन के बाद 2 साल की योगिता ठाकरे की हालत बिगड़ गई थी और नागपुर के गणेश अस्पताल में इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई। शनिवार को अंतिम संस्कार कर दिया गया, लेकिन विवाद बढ़ने पर रविवार को प्रशासन की मौजूदगी में शव को कब्र से निकालकर जिला अस्पताल में पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया।

कांग्रेस अध्यक्ष जीतू पटवारी; स्वास्थ्य मंत्री से मांगा इस्तीफा

परासिया में 11 बच्चों समेत जिले में 14 बच्चों की मौत प्रतिबंधित कोल्ड्रिफ सिरप पीने से हुई है। इस घटना को लेकर पूरे प्रदेश में हड़कप मचा हुआ है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का जबलपुर का प्रस्तावित दौरा निरस्त कर सोमवार को परासिया दौरे का कार्यक्रम आनन फानन में बनाया गया है।

प्रस्तावित कार्यक्रम के अनुसार मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव दोपहर 1.40 बजे छिंदवाड़ा हवाई पट्टी पहुंचेंगे। इसके बाद वह हेलीकॉप्टर के जरिए परासिया जाएंगे। दोपहर 1.55 से 3.25 तक परासिया में मृतक बच्चों के स्वजनों से मुलाकात करेंगे। इसके बाद छिंदवाड़ा लौटकर वह भोपाल के लिए रवाना होंगे। वहीं कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी भी मृतक बच्चों के स्वजनों से मुलाकात करने पहुंच गए हैं।

कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने मांगा स्वास्थ्य मंत्री का इस्तीफा

जीतू पटवारी ने परासिया पहुंचकर पीड़ित अभिभावकों से मुलाकात की। जीतू पटवारी ने कहा कि इस मामले में डॉक्टर को गिरफ्तार करने से काम नहीं चलेगा। बल्कि इस गंभीर लापरवाही के लिए स्वास्थ्य मंत्री, पीएस को इस्तीफा देना चाहिए। पटवारी ने कहा कि इस मामले में लीपापोती की जा रही है।

डॉक्टर का काम दवाई लिखना होता है। अगर इस प्रकार पूरे प्रदेश में दवाई वितरित हुई है तो क्या सब डॉक्टर पर इसी तरह कार्रवाई की जाएगी। जरूरत है कि दवा कंपनी और इस मामले में जिम्मेदार लोगों पर कार्रवाई की जाए।
नेता प्रतिपक्ष ने उठाया सवाल

विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार में छिंदवाड़ा के परासिया में हुई बच्चों की मौत के मामले में सरकार पर असंवेदनशील होने का आरोप लगाया। जब हमारे विधायक जब धरने पर बैठे तब सरकार जागी। कोई भी प्रतिनिधि सरकार का वहां नहीं पहुंचा। प्रभावित परिवार को 10 लाख रुपये की तत्काल दी जाए। स्वास्थ्य मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए और ड्रग कंट्रोलर पर कार्रवाई होनी चाहिए।

14 स्वजन को 4-4 लाख की सहायता

एडीएम धीरेंद्र सिंह ने बताया कि "14 लोगों को मुख्यमंत्री द्वारा घोषित की गई 4-4 लाख रुपए की सहायता राशि दी गई है। जिसमें 11 बच्चे परासिया के 2 बच्चे छिंदवाड़ा और एक चौरई का है। जबकि अभी 8 बच्चे एडमिट हैं। जिनमें 4 सरकारी अस्पताल में 1 एम्स है, जबकि 3 निजी अस्पतालों में भर्ती हैं। अभी तक इस मामले की बात करें तो 22 सितंबर को सबसे ये मामले सामने आया था।

जहां छिंदवाड़ा के परासिया विकासखंड में मामलू सर्दी जुकाम और बुखार के बाद बच्चों का इलाज कराया गया। जहां कुछ वक्त के बाद उनमें किडनी इंफेक्शन की समस्या आई। छिंदवाड़ा के बाद इन बच्चों को नागपुर में भर्ती कराया गया। जहां जांच में किडनी इंफेक्शन होने की बात सामने आई थी।

पहले तीन फिर यह संख्या बढ़ते-बढ़ते 9 पहुंची, इसके बाद शनिवार रात 10 बच्चों की मौत की जानकारी आई। वहीं रविवार यानि 5 अक्टूबर को एडीएम ने 14 बच्चों के मौत की पुष्टि की। मामले में अभी तक कोलड्रिफ और नेक्सट्रो डीएस सिरप को बैन कर दिया गया है।वहीं दिल्ली से इंडियन काउंसिल आफ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) की टीम दो बार छिंदवाड़ा आकर पानी खाना-पीना सहित सिरप के सैंपल लेकर गई है।

आरोपित डॉक्टर गिरफ्तार

मामले में पुलिस ने आरोपित डॉक्टर प्रवीण सोनी को गिरफ्तार किया है। मामला दर्ज होने से बाद डॉ. प्रवीण सोनी को सस्पेंड कर दिया गया है। डॉक्टर की क्लिनिक के पास ही उनकी पत्नी मेडिकल स्टोर चलाती हैं। जहां से दवाएं खरीदी गई थीं। सिरप बनाने वाली कंपनी श्रीसन और डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ परासिया थाने में 3 अलग-अलग धाराओं में केस दर्ज किया गया है। बीएनएस की धारा 276, दवा में मिलावट मामले में 1 साल की सजा हो सकती है। वहीं, बीएनएस की धारा 105 में कल्पेबल होमीसाइड मामले में 10 साल की सजा दी जा सकती है।

ड्रग्स एंड कॉस्मेटिक एक्ट 1940 की धारा 27 ए मिलावटी ड्रग से मौत के मामले में 10 साल से अधिक या आजीवन जेल की सजा हो सकती है। कोल्ड्रिफ कफ सिरप तमिलनाडु की कंपनी श्रीसन बनाती है, जिसकी फैक्ट्री कांचीपुरम में है। छिंदवाड़ा में कोल्ड्रिफ कफ सिरप से बच्चों की मौत की खबरों के बाद मध्यप्रदेश सरकार ने तमिलनाडु से कोल्ड्रिफ की जांच करने को कहा था। जांच में कोल्ड्रिफ सिरप को नाट आफ स्टैंडर्ड क्वालिटी यानी घटिया क्वालिटी का करार दिया गया। कोल्ड्रिफ में 48.6 फीसदी डाय-इथिलीन ग्लाइकाल मिला जो जहरीला पदार्थ है और इससे किडनी खराब हो सकती है।

सांसद नकुल नाथ का आरोप, सरकारी रिकॉर्ड में दो बच्चों की मौत दर्ज नहीं हुई

 पूर्व सांसद नकुल नाथ ने जारी प्रेस विज्ञप्ति में व्यक्त किए कि जिले के परासिया क्षेत्र में एक बच्चे को मामूली मौसमी बुखार था। स्वजनों ने डॉक्टर को दिखाया, डॉक्टर ने सिरप दिया। सिरप पीने के बाद बच्चे का पेशाब बंद हुआ, इलाज चलता रहा, लेकिन अंततः उसकी सांसें थम गईं।

सवाल उठता है कि पहली ही मौत के बाद जिम्मेदारों ने ठोस कदम क्यों नहीं उठाए? पहली मृत्यु 4 सितंबर को शिवम (4) की किडनी फेल होने से हुई, लेकिन जवाबदारों ने उस मामले की अनदेखी कर दी । नाथ ने कहा कि जब चार बच्चों को पुन: किडनी फेलियर की वजह से नागपुर के अस्पताल में भर्ती कराया गया, तब किडनी की बायोप्सी से पता चला कि इन बच्चों की मौत का कारण जहरीला कफ सिरप है । उसके बाद भी डाक्टर इसे लिखते रहे और यह बाज़ार में बिकती रही।

क्या इसे समय पर रोककर मासूमों को बचाया नहीं जा सकता था? जांच में सामने आया कि श्रीसन कंपनी के कफ सिरप में 48.6 प्रतिशत डाइथाइलीन ग्लाइकाल पाया गया, जबकि सामान्य मात्रा केवल 0.1 प्रतिशत होनी चाहिए।क्या देश की दवा अनुमोदन संस्थाएं इतनी भ्रष्ट हो चुकी हैं कि दवा और जहर में फर्क करना भूल गई हैं?
एक माह से जारी है मौत का सिलसिला

एक माह से मौत का सिलसिला जारी है, अगर केंद्र व राज्य सरकार पहले दिन से सक्रिय होती, तो शायद 11 मासूम जिंदगियां और बचाई जा सकती थीं। अब सवाल यह है, इन परिवारों से उनके बच्चों को छीनने का जिम्मेदार कौन है? उन्होंने कहा कि 2017 की रैपिड अलर्ट गाइडलाइन के अनुसार कोई दवा घातक साबित होती है, तो उसे 72 घंटे के भीतर बाजार से हटाया जाना अनिवार्य है, लेकिन यहां जांच रिपोर्ट आने में ही महीना लग गया।
आखिर जवाबदेही तय कौन करेगा?

रिपोर्ट के मुताबिक, इस जहरीले सिरप की 554 बोतलें छिंदवाड़ा पहुंची, जिनमें से 300 से अधिक बेची जा चुकी हैं। वर्तमान में पीड़ित प्रत्येक बच्चे के नि:शुल्क इलाज का प्रबंधन सरकार अविलंब करें ताकि बीमार बच्चों को समुचित इलाज मिल सके साथ ही पीड़ित परिवार के सदस्यों को आर्थिक परेशानियों का सामना ना करना पड़े।

प्रत्येक शोकाकुल परिवार को 50-50 लाख रुपयों की राहत राशि कफ सिरप कंपनी से दिलवाएं या फिर सरकार स्वयं राहत राशि दें। नाथ ने सरकार से आग्रह किया कि राहत राशि उपलब्ध कराने में किसी दिखावे की दस्तावेजी कार्रवाई नहीं की जाए।

 

India Edge News Desk

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