नोबेल शांति पुरस्कार मचादो को, ट्रंप की उम्मीदों को लगा धक्का

ओस्लो
दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित और चर्चित नोबेल शांति पुरस्कार का ऐलान शुक्रवार को नॉर्वे की राजधानी ओस्लो में होते ही अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का सपना चकनाचूर हो गया। इस बार का 'नोबेल पीस प्राइज' वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचादो को मिला है। बता दें कि नॉर्वेजियन नोबेल कमेटी हर साल इस पुरस्कार के लिए ऐसे लोगों या संस्थाओं को चुनती है, जो शांति को बढ़ावा देने, देशों के बीच भाईचारे को मजबूत करने और समाज के लिए काम करने में योगदान देते हैं। बता दें कि यह पुरस्कार हमेशा चौंकाने वाला होता है।

नोबेल प्राइज के लिए काफी बेचैन थे ट्रंप?
नोबेल पीस प्राइज के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप पिछले कई दिनों से काफी बेचैन नजर आ रहे थे। ट्रंप ने अपनी विदेश नीति की कुछ उपलब्धियों, जैसे शांति समझौतों को लेकर खुद की तारीफ की थी। लेकिन नोबेल विशेषज्ञों का पहले ही कहना था कि उनके जीतने की संभावना बहुत कम है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि कमेटी आमतौर पर उन लोगों या संगठनों को पुरस्कार देती है, जो लंबे समय से शांति के लिए काम कर रहे हों।
 
कौन हैं मारिया कोरिना मचाडो?
मारिया कोरिना मचाडो का जन्म 7 अक्टूबर 1967 को हुआ था। वह वेनेजुएला की प्रमुख विपक्षी नेता और औद्योगिक इंजीनियर हैं। 2002 में उन्होंने वोट निगरानी समूह सूमाते की स्थापना की और वेंटे वेनेजुएला पार्टी की राष्ट्रीय समन्वयक हैं। 2011-2014 तक वे वेनेजुएला की नेशनल असेंबली की सदस्य रहीं। वह 2018 में बीबीसी की 100 प्रभावशाली महिलाओं और 2025 में टाइम पत्रिका की 100 प्रभावशाली व्यक्तियों में शामिल हुईं। निकोलस मादुरो सरकार ने उनके देश छोड़ने पर प्रतिबंध लगा दिया था। 2023 में अयोग्यता के बावजूद, उन्होंने 2024 के राष्ट्रपति चुनाव के लिए विपक्षी प्राथमिक चुनाव जीता, लेकिन बाद में उनकी जगह कोरिना योरिस को उम्मीदवार बना दिया गया।
 
इन नामों की हो रही थी चर्चा
नोबेल शांति पुरस्कार के लिए इस बार कई नाम सामने आए थे। पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट ओस्लो ने कुछ संभावित विजेताओं का जिक्र किया था, जिनमें शामिल थे:
    सूडान की इमरजेंसी रिस्पॉन्स रूम्स: यह एक समुदाय आधारित नेटवर्क है, जो सूडान के गृहयुद्ध के दौरान मानवीय सहायता का मजबूत आधार बना हुआ है।
    इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस और इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट: ये दोनों संस्थाएं वैश्विक न्याय और शांति के लिए काम करती हैं।
    कमेटी टू प्रोटेक्ट जर्नलिस्ट्स: यह अमेरिका आधारित संगठन प्रेस की आजादी को बढ़ावा देता है और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए काम करता है। यह संगठन उन पत्रकारों की सूची भी तैयार करता है, जो अपने काम के दौरान मारे गए।

पिछले साल किसने जीता था नोबेल शांति पुरस्कार?
पिछले साल 2024 में नोबेल शांति पुरस्कार जापान की संस्था निहोन हिदानक्यो को दिया गया था। यह संगठन परमाणु हथियारों के खिलाफ दशकों से काम कर रहा है और हिरोशिमा-नागासाकी बम धमाकों के पीड़ितों की आवाज को दुनिया तक पहुंचाता है।

क्यों खास है नोबेल शांति पुरस्कार?
नोबेल शांति पुरस्कार दुनिया के सबसे बड़े पुरस्कारों में से एक है। बाकी नोबेल पुरस्कार (जैसे चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य) स्वीडन की राजधानी स्टॉकहोम में दिए जाते हैं, लेकिन शांति पुरस्कार का ऐलान और समारोह ओस्लो में होता है। इस हफ्ते स्टॉकहोम में चिकित्सा, भौतिकी, रसायन और साहित्य के पुरस्कारों का ऐलान हो चुका था जिसके बाद सबकी नजर शुक्रवार के ऐलान पर टिकी थीं। इसके अलावा, अर्थशास्त्र का नोबेल पुरस्कार सोमवार को घोषित किया जाएगा।

India Edge News Desk

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