2 माह से भी कम समय में 1.58 करोड़ टीकाकरण, लंपी वायरस से मिली निजात

इंडिया एज न्यूज नेटवर्क
लखनऊ : उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ सिर्फ आम नागरिकों ही नहीं बल्कि गोवंश के स्वास्थ्य को लेकर भी सजग हैं। इसका ताजा उदाहरण लंपी स्किन डिजीज के खिलाफ प्रदेश सरकार के टीकाकरण अभियान में देखने को मिला। 2 माह से भी कम समय में 1.58 करोड़ टीकाकरण करने वाला उत्तर प्रदेश देश में पहला राज्य बन गया है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की मॉनिटरिंग का ही असर है कि समय रहते प्रदेश में गोवंश की महामारी पर काबू पा लिया गया, जबकि देश के कुछ राज्यों में अभी भी वायरस की चपेट में आकर गोवंश की मृत्यु हो रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वायरस को गंभीरता से लेते हुए टीकाकरण की प्रभावी निगरानी के लिए टीम-9 का गठन किया, जिससे आज उत्तर प्रदेश लगभग पूरी तरह से गोवंश के वायरस से मुक्त हो गया है।
टीकाकरण अभियान में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालयों के छात्रों को किया शामिल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने देश के अन्य राज्यों में गोवंश में लंपी स्किन डिजीज के लक्षण मिलने पर इसे गंभीरता से लेते हुए अगस्त के पहले सप्ताह में टीम 9 का गठन किया। टीम के वरिष्ठ नोडल अधिकारियों द्वारा प्रदेश के बरेली, मुरादाबाद, मेरठ, सहारनपुर, आगरा एवं अलीगढ़ मंडलों का दौरा किया गया और टीकाकरण अभियान चलाने के निर्देश दिए गए। अभियान को सार्थक बनाने के लिए ऑनलाइन एवं ऑफलाइन ट्रेनिंग में हाईब्रिड मॉडल अपनाया गया। साथ ही टीकाकरण में पशु चिकित्सा विज्ञान महाविद्यालयाें के छात्रों एवं निजी टीकाकरण कार्यकर्ताओं का भी सक्रिय सहयाेग लिया गया। सबसे पहले प्रदेश के पश्चिमांचल के 25 प्रभावित जनपदों में 28 अगस्त से रिंग टीकाकरण की प्रक्रिया शुरू की गई। इसके बाद वायरस का प्रसार पश्चिमांचल से मध्य और पूर्वी यूपी में न हो इसके लिए पीलीभीत से इटावा तक 10 किमी. चौड़ी एवं 320 किमी. लंबी पट्टी (वैक्सीनेशन बेल्ट) बनाने का निर्णय लिया गया। बेल्ट वैक्सीनेशन में आने वाले सभी गोवंश का टीकाकरण किया गया। इसके बाद दोबारा इटावा से औरैया तक 155 किमी. लंबी पट्टी (बेल्ट वैक्सीनेशन-2) बनाने का निर्णय लिया गया। टीकाकरण के लिए शुरू में 2 लाख टीका प्रतिदिन का लक्ष्य रखा गया, जिसे बढ़ाकर 3 लाख से 4 लाख कर दिया गया।
प्रदेश और शहर की सीमाओं पर किया गया फोकस
प्रदेश में 2 माह से भी कम समय में हुए 1.58 करोड़ टीकाकरण के लिए 2000 टीमों को लगाया गया था। चिकित्सकों की टीम द्वारा 26 जिलों में 89 डेडीकेटेड गो चिकित्सा स्थल बनाये गये। वहीं वायरस को रोकने के लिए सभी गो आश्रय स्थलों एवं गौशालाओं में संरक्षित गोवंश का बड़े पैमाने पर टीकाकरण करते हुए अंतरजनपदीय और अंतरराज्यीय सीमाओं पर गोवंश के टीकाकरण को प्राथमिकता दी गयी। सबसे पहले पश्चिमी उत्तर प्रदेश के जिलों एवं उसके बाद मध्य, बुंदेलखंड एवं अंत में पूर्वी उत्तर प्रदेश को टेकअप किया गया। सभी जिलों के सीमावर्ती ब्लाॅकों तथा महानगराें के चारों ओर के गांव पर फोकस किया गया।