एक घंटे में 4800 किलोमीटर! चीन ने बनाया अंतरिक्ष के पास उड़ने वाला ‘सुपरसोनिक’ प्लेन

बीजिंग

चीन की निजी कंपनियां तकनीक और इंजीनियरिंग के क्षेत्र में अपना लोहा मनवा चुकी हैं. बड़े रॉकेट्स हों या एडवांस्ड सैटेलाइट्स या फिर ताकतवर ड्रोन्स, चीनी कंपनियों ने इन्हें बनाने में महारत हासिल कर ली है. एक कंपनी तो चार कदम आगे निकलने की तैयारी है. बीजिंग की Lingkong Tianxing Technology (Space Transportation) ने एक सुपरफास्ट सब-ऑर्बिटल एयरलाइनर का प्रोटोटाइप पेश किया है. कंपनी का दावा है कि उनका यह सुपरसोनिक एयरक्राफ्ट – Cuantianhou (Soaring Monkey) लंबी दूरी की यात्राओं को बेहद छोटा कर देगा.

Mach-4 स्पीड से उड़ेगा यह विमान!

कंपनी के मुताबिक, यह विमान Concorde से दोगुनी स्पीड यानी Mach-4 (4752 किलोमीटर प्रति घंटा) से उड़ान भर सकता है. यह विमान नजदीकी अंतरिक्ष में ऑपरेट कर सकता है, यानी पृथ्‍वी की सतह से 20-100 किलोमीटर ऊपर की रेंज में. Cuantianhou पर 4,500 किलोग्राम वजन भी लादा जा सकता है जो इसे पैसेंजर और कार्गो, दोनों तरह इस्तेमाल किए जाने लायक बनाता है. इसकी पहली टेस्ट फ्लाइट 2026 में प्रस्तावित है.

Cuantianhou क्यों इतना खास है?

ग्लोबल टाइम्स की रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी ने Cuantianhou के प्रोटोटाइप को सोमवार को चेंगदू में सबके सामने पेश किया. मुख्य इंजीनियर डेंग फैन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान बताया कि Cuantianhou का प्रोटोटाइप 7 मीटर लंबा और 1.5 मीट्रिक टन वजनी होगा. इसका एयरोडायनैमिक डिजाइन एयर ड्रैग को कम करता है और फ्लाइट इफिशिएंसी को बढ़ाता है.

डेंग ने कहा कि यह विमान मैक 4.2 (लगभग 5,000 किलोमीटर प्रति घंटे) की गति तक उड़ान भर सकता है. यह एक सामान्य जेटलाइनर की तुलना में लगभग पांच गुना तेज है. Cuantianhou को एक कैरियर रॉकेट के जरिए लगभग 20 किलोमीटर की ऊंचाई तक ले जाया जाएगा, जहां से यह खुद उड़ान जारी रखेगा. इसका अधिकतर सफर 'नियर स्पेस' (20-100 किलोमीटर की ऊंचाई) में होगा.

यह विमान एक एडवांस्ट रैमरोटर डेटोनेशन इंजन से चलेगा. यह एक रोटरी डेटोनेशन इंजन, रोटर कंप्रेसर और रैमजेट तकनीक का कॉम्बिनेशन है. इस इंजन को Jindou-400S कहा जाता है और इसका वजन 100 किलोग्राम होगा. यह कम से कम 4,000 न्यूटन का थ्रस्ट पैदा करेगा.

सुपरसोनिक फ्लाइट्स की वापसी?

डेंग ने बताया कि इस सुपरसोनिक विमान की तेज गति के बावजूद यात्री एक्सीलेरेशन के प्रभावों से पूरी तरह सुरक्षित रहेंगे. चीनी कंपनी की कोशिश सुपरसोनिक यात्रा को फिर से जिंदा करने की है. इससे पहले, Concorde सुपरसोनिक विमान ने 1969 में पहली बार उड़ान भरी थी.

1976 में Concorde कमर्शियल यूज होने लगा लेकिन यह विमान अपनी तेज आवाज, ऊंची टिकट कीमतों, और पर्यावरण पर असर के चलते लंबे समय तक चल नहीं सका.

India Edge News Desk

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