एमपी के 7000 छात्र डिफॉल्टर, बैंक ने घोषित किया दिवालिया, समय पर नहीं चुका पाए लोन

भोपाल
 मध्य प्रदेश में उच्च शिक्षा के लिए कर्ज लेने वाले करीब 7,000 छात्र डिफॉल्टर हो गए हैं। यह चौंकाने वाला आंकड़ा 2019-20 से 2023-24 के बीच का है। इस दौरान 73,504 छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए बैंकों से कर्ज लिया था। नौकरी न मिल पाना भी डिफॉल्टर होने का मुख्य कारण बताया जा रहा है। चिंता की बात यह है कि प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अशिक्षित बेरोजगारों से कहीं ज्यादा है।

गंभीर समस्या बन रही बेरोजगारी

मध्य प्रदेश में बढ़ती बेरोजगारी एक गंभीर समस्या बनती जा रही है। खासकर उच्च शिक्षा प्राप्त युवाओं के लिए रोजगार के अवसर कम हैं। इसका सीधा असर शिक्षा ऋण चुकाने की उनकी क्षमता पर पड़ रहा है। रिपोर्ट के अनुसार, पिछले पांच सालों में 73,504 छात्रों ने उच्च शिक्षा के लिए बैंकों से कर्ज लिया। इनमें से 7,294 छात्र कर्ज चुकाने में असमर्थ रहे और उन्हें डिफॉल्टर घोषित कर दिया गया।
तो इसलिए बने डिफॉल्टर!

बैंक अधिकारियों का कहना है कि नौकरी न मिल पाना डिफॉल्टर होने का सबसे बड़ा कारण है। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद भी युवाओं को रोजगार नहीं मिल रहा है। इससे वे कर्ज का बोझ उठाने में असमर्थ हो रहे हैं। यह स्थिति उनके भविष्य के लिए चिंताजनक है।
रिपोर्ट में आंकड़ों का खुलासा

रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि पिछले पांच सालों में 395 छात्रों ने एक करोड़ रुपये से ज्यादा का शिक्षा ऋण लिया। यह दर्शाता है कि उच्च शिक्षा कितनी महंगी होती जा रही है। अगर नौकरी न मिले तो यह कर्ज एक बड़ा बोझ बन सकता है।
एक छात्र की पढ़ाई के दौरान मौत

सरकारी आंकड़ों के अनुसार, 20 नवंबर 2024 तक मध्य प्रदेश के रोजगार पोर्टल पर 26,17,945 बेरोजगार पंजीकृत थे। पिछले एक साल में निजी क्षेत्र में केवल 58,351 युवाओं को ही रोजगार मिला है। यह आंकड़ा बताता है कि रोजगार सृजन की गति बेरोजगारी की बढ़ती दर के मुकाबले बहुत धीमी है। रिपोर्ट में एक दुखद घटना का भी जिक्र है। एक छात्र अमित खातरकर की पढ़ाई के दौरान मृत्यु हो गई। उसका शिक्षा ऋण नौ लाख 82 हजार 567 रुपये था, जिसे राज्य सरकार ने अनुदान देकर चुकाया।
चुकाने पर हट जाएगा डिफॉल्टर लिस्ट में से नाम

एक आम धारणा है कि डिफॉल्टर होने पर छात्र भविष्य में बैंक से कर्ज नहीं ले सकता। लेकिन ऐसा नहीं है। अगर छात्र नौकरी लगने के बाद बैंक का कर्ज चुका देता है, तो उसका नाम डिफॉल्टर की सूची से हटा दिया जाता है। वह भविष्य में फिर से कर्ज लेने के लिए पात्र हो जाता है। इसके लिए उसका सिबिल स्कोर देखा जाता है। कई बार बैंक छात्रों को विभिन्न योजनाओं के तहत रियायतें भी देते हैं।
पढ़े लिखे बेरोजगारों की संख्या ज्यादा

सबसे चौंकाने वाली बात यह है कि मध्य प्रदेश में शिक्षित बेरोजगारों की संख्या अशिक्षित बेरोजगारों से ज्यादा है। 2024 में 52,017 अशिक्षित बेरोजगार थे, जबकि 25,30,742 शिक्षित बेरोजगार थे। यह आंकड़ा शिक्षा और रोजगार के बीच की खाई को दर्शाता है

India Edge News Desk

Follow the latest breaking news and developments from Chhattisgarh , Madhya Pradesh , India and around the world with India Edge News newsdesk. From politics and policies to the economy and the environment, from local issues to national events and global affairs, we've got you covered.

Related Articles

Back to top button